Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Saturday, March 23, 2013

क्षत्रपों की महिमा अपरंपार!जनविरोधी नीतियों से तंगहाल जनता के समाने कांग्रेस के खिलाफ आखिर वहीं बचा खुचा एक ही ​​विकल्प है यानी हिंदू राष्ट्र।

क्षत्रपों की महिमा अपरंपार!जनविरोधी नीतियों से तंगहाल जनता के समाने कांग्रेस के खिलाफ आखिर वहीं बचा खुचा एक ही ​​विकल्प है यानी हिंदू राष्ट्र।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


क्षत्रपों की महिमा अपरंपार! द्रमुक के केंद्र सरकार से समर्थन वापस करने के साथ साथ क्षत्रपों में होड़ मच गयी यूपीए सरकार की स्थिरता निश्चित करके देश और जनता के  कल्याण का महान कर्तव्य निभाने की। फिर सीबीआई नौटंकी भी हो चली। बंगाल की दीदी को तो ओलंपिक ही भेज देना चाहिए उनकी कलाबाजियों के हूनर के मद्देनजर। राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए में रहते हुए प्रणव को समर्थन न देने की जिद के बावजूद घर शत्रू माकपाइयों के साथ उन्होंने प्रणव का ही समर्थन किया। केंद्र सरकार में रहते हुए और उससे निकलने के बाद आर्थिक पैकेज उनकी थीम सांग हैं। रेलवा के विसर्जन के बाद जनविरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की भी उन्होंने घोषणा की। पिर करुणानिधि के हटते  ही वे राष्ट्रहित में कांग्रेस के पक्ष में बोलने लगी। केंद्रीय मंत्रमंडल में शामिल अपने प्रिय भाइयों से भी बतियाने लगी। पर कांग्रेस ने उन्हें ठेंगा दिखाने का सिलसिला जारी रखा। अब पंचायत चुनाव में वे कांग्रेस को आटो दाल का भाव बताने की तैयारी कर रही हैं। पर पता नहीं चला कि मुलायम सिंह यादवकठोरता का बारंबार प्रदर्शन करकेमुसामियत की झांकियां पेश करते हुए किसको क्या क्या भाव बता रहे हैं। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इराक युद्ध के फैसले को गलत ​कहने के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री से मिलने के बाद फलीस्तीन राष्ट्र के प्रति समर्थन जता दिया। खैर, भारत सरकार की विदेश नीति तो अब तेल अबीब से तय होती है, इसलिए बारत सरकार के अवस्थान को लेकर बात करना ही बेकार है। लेकिन धर्र निरपेक्ष बाहुबलियों के प्रोग्रामिंग ​में आखिर क्या वाइरसअटैक हो गया अचानक कि रातोंरात फलीस्तान पर कोई पक्ष लेने  के बजाय वे हिंदू राष्ट्र की भाषा बोलने लगे। यह रहस्य ठीक उतना ही पेचीदा है जैसे कि c दीदी का जनसंख्या के साथ बलात्रकार की वारदातों को जोड़ते हुए आधुनिकता की खुली संस्कृति को इसका जिम्मेवार बताना। उसी तरह वामपंथियों को अचानक क्या हुआ कि धर्मनिरपेक्षता का एजंडा छोड़कर वे अंबेडकर और बहुजन आंदोलन को न सिर्फ खारिज कर रहे हैं बल्कि मुक्त बाजार और उदारीकरण के लिए पूंजीवादी साम्राज्यवादी अंबेडकर को जिम्मदार ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। गाली गलौज की भाषा में राजनीति करने वाले अंबेडकरवादी तो न लोकतंत्र के आदी हैं और न संवाद के। उनकी बोलती बंद हो गयी।अंबेडकर के नाम पर राजकाज करने वाले तमाम लोगों ने होंठ सी लिये तो अंबेडकर विचारधारा के घोषित दिग्गजों को अंबेडकर को खारिज करने वालों की दलीले समझ में नहीं आयी तो वे भी उनकी हां में हां मिलाने लगे। इन क्षत्रपों से आप उम्मीद लगाये बैठे हैं कि वे देश का नेतृत्व  करके आपको गुलामी से आजाद कर देंगे।


शुरुआत मुलायम सिंह से करें।उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह ने शनिवार को लोहिया जयंती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ सार्वजनिक तौर पर कर सबको चौंका दिया। मुलायम ने कहा कि आडवाणी कभी झूठ नहीं बोलते। वहीं मुलायम ने कांग्रेस को भी आडे हाथों लिया। मुलायम ने बढ़ती महंगाई और भ्रषटाचार के लिए कांग्रेस की सरकार को जिम्मेदार ठहराया।


मुलायम ने लखनऊ में समाजवादी चिंतक डॉ. राममनोहर लोहिया की 103वीं जयंती के मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और सभी मुद्दों पर उनकी बेबाक राय होती है। वह कभी झूठ नहीं बोलते।


मुलायम ने कहा कि आडवाणी से वह कई बार मिले हैं और उन्हें इस बात का एहसास है कि वह कभी झूठ नहीं बोलते।


ममता दीदी ने तो स्त्री उत्पीड़न की घटनाओं की स्त्री स्वतंत्रता से नत्थी करते हुए संघियों को भी लज्जित कर दिया, जो मनुस्मृति संस्कृति की खुल्लमखुल्ला वकालत करते हैं। दीदी फिलहाल स्त्री अनुशासन लागू करने की कोई बात तो नही ंकी तो बताया कि आधुनिकों को निषेध की कोई परवाह नहीं है। देशभर में प्रधानमंत्रित्व के लिए सबसे ईमानदार व्यक्ति की छवि वाले व्यक्तित्व, जो संयोग से स्त्री भी है, ऐसे वक्तव्य के बाद प्रवचन और धर्मग्रंथ ही याद आते हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि महानगर समेत राज्य में रेप की घटनाओं में वृद्धि के लिए जनसंख्या में बढ़ोतरी जिम्मेदार है। बंगाल सहित देश भर में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।ममता ने कहा जनसंख्या बढ़ने के साथ वाहनों की संख्या, ढांचागत सुविधाएं व शापिंग मॉल की संख्या भी बढ़ रही है। हमारे लड़के व लड़कियां आधुनिक हो रही हैं। क्या आप इसका स्वागत करते हैं? ममता ने शुक्रवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस के जवाबी भाषण में विपक्ष की ओर इशारा करते हुए यह बातें कही।


डीएमके के समर्थन वापस लेने के बाद यूपीए सरकार मुलायम सिंह यादव और मायावती के रहमोकरम पर है। डीएमके के बिना लोकसभा में यूपीए सांसदों की तादाद महज 230 रह जाएगी। बहुमत के लिए 272 सांसदों का समर्थन जरूरी है। बाहर से समर्थन दे रहे 59 सांसदों के दम पर यूपीए का आंकड़ा इसे पार तो कर जाएगा, लेकिन फिर 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी और 21 सांसदों वाली बीएसपी के पास सत्ता की चाबी होगी।दल की बैठक में यूपीए सरकार से कैसे रिश्ते रखे जाएं, इस पर फैसला पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर छोड़ दिया गया है।वहीं ममता बनर्जी ने श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर सरकार का समर्थन की बात कही है।पिछले साल सितंबर के महीने में ममता बनर्जी ने सरकार से समर्थन वापिस ले लिया फिर भी सरकार गिरी नहीं।सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दावा किया है कि लोकसभा चुनाव जल्‍द ही होने के आसार हैं और एक बार फिर रेल मंत्रालय उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के हाथ में होगा। इनमे सबसे बुरा हाल जयललिता का है। वै कोई पैंतरा दिका नहीं पायी। तमिलनाडु में श्रीलंका के मानवाधिकार का मामला बहुत बड़ा भावनात्मक मुद्दा है। वरना द्रमुक केहटते ही वे फौरन तैयार हो जाती। उत्तर पर्देश में परस्पर प्रबल प्रतिद्वंदी जहां य़ूपीए सरकार के लिए का संकट मोचक हैं। वहीं केंद्र के प्रति नरमी बरतने में बंगाल के खूंखर दुश्मनों में होड़ मची हुई है।


आम जनता का हल भी बेहाल है। जनविरोधी नीतियों से तंगहाल जनता के समाने कांग्रेस के खिलाफ आखिर वहीं बचा खुचा एक ही ​​विकल्प है यानी हिंदू राष्ट्र। क्षत्रपों की कलाबाजी देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल है कि मोर्चाबंदी में कौन किसके साथ नजर आयेंगे। हालत यह है कि सुबह शाम  विदेशी ब्राह्मणों को गरियाने वाले मूलनिवासी बहुजन मुक्ति के सपनों के कारोबार में संघी मौर्चे के सिपाहसलार के साथ हर मोर्चे पर एकसाथ नजर आ रहे हैं। उनमें खासचेहरा तो वह है, जो नरेंद्र मोदी को प्रदानमंत्री बनाने के लिए यज्ञविशेषज्ञ हैं।​

​​

​इसी के मध्य धर्माधिकारी प्रमव मुखर्जी के योग्य उत्तराधिकारी पी चिदंबरम ने अश्वमेध यज्ञ और तेज करने की घोषणा कर दी। ​

​विचारधाराओं के सिपाहसालार धर्मनिरपेक्ष साम्राज्यवाद विरोदी तत्वों को इस समावेशी विकास की बहिस्कार प्रमाली से कोई खास तकलीफ नहीं है क्योंकि असली मलाईदार तो वे ही हैं।


बहरहाल वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने निवेशकों के लिए नियमों को और उदार बनाने का वादा करते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए ''लगातार और दृढ़ता'' के साथ सुधार प्रक्रिया के अगले चरण की तरफ बढ़ रही है।चिदंबरम ने राष्ट्रीय संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आर्थिक सुधार निरंतर आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया है। सरकार ने हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने के साथ ही और कई उपाय किए हैं। सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाने और राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में काफी रास्ता तय किया है।


विकास की बातों का विरोध कर कभी भी जीवन स्तर को नहीं सुधारा जा सकता और न ही इसे बेहतर बनाया जा सकता। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा जैसे राज्यों के स्थानीय निवासियों के विरोध के चलते ही इन राज्यों में कई विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। यह कहना है केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम का।संपादकों के राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़, ओड़िशा और झारखंड जैसे छोटे राज्यों के विकास के संबंध में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए चिदंबरम ने कहा कि छत्तीसग़़ढ लौह अयस्क और कोयले की खान है। लेकिन प्रदेश में कई ऐसी परेशानियां है जिसके चलते राज्य से निकलने वाले खनिज पदार्थो का उचित दोहन नहीं हो पा रहा है।



No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors