प्रति, दिनांक- 6 जुलाई 2014
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार
लखनऊ
विषय- इंडिया टीवी की ऐंकर तनु शर्मा के साथ संस्थान के कर्मचारियों
द्वारा उत्पीड़न, पुलिस द्वारा जांच को भटकाने की कोशिश और सीबीआई द्वारा
इस मामले की जांच कराकर मीडिया, कार्पोरेट व राजनीतिज्ञों के मुनाफाखोर
गठजोड़ को उजागर करने की मांग के संदर्भ में।
महोदय,
22 जून 2014 को इंडिया टीवी की ऐंकर तनु शर्मा ने अपने चैनल के वरिष्ठ
कर्मचारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नोएडा स्थित अपने ऑफिस
में ही जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। इसके बाद जब चैनल की तरफ
से तनु शर्मा पर ही आत्महत्या की कोशिश का मामला दर्ज करवा दिया गया
जिसके बाद तनु ने भी 26 जून को पुलिस को लिखित में अपना बयान दिया। इस
बयान में उन्होंने मुख्य रूप से इंडिया टीवी की एमडी और रजत शर्मा की
पत्नी रितु धवन, चैनल आउटपुट हेड अनीता शर्मा और ऐकरिंग हेड एमएन प्रसाद
का नाम लिया है।
ज्ञात हो कि तनु शर्मा द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के मुताबिक 5 फरवरी
2014 को चैनल जॉइन करने के बाद से ही तनु के वरिष्ठों ने उन्हें परेशान
करना शुरू कर दिया था। रितु धवन के कहने पर अनीता शर्मा ने उन्हें
बड़े-बड़े नेताओं और कॉरपोरेट हाउस के मालिकों के पास भेजने की बहुत
कोशिश की। इस कोशिश में खुद एक समय में तनु के एचओडी रहे एमएन प्रसाद का
भी हाथ शामिल था। अनीता शर्मा की प्रताड़ना और बढ़ती चली गई। इससे हताश
होकर तनु ने आत्माघाती कदम उठाने की कोशिश की।
इस मामले में पुलिस के समक्ष दिए गए बयान में तनु शर्मा द्वारा रितु धवन
जो रजत शर्मा की पत्नी हैं का नाम लेने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर से
राजनीतिक दबाव में रितु धवन का नाम हटा दिया। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि
उत्तर प्रदेश पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच करने में सक्षम नहीं है।
इसलिए जरुरी हो जाता है कि पूरे मामले की जांच केन्द्रिय जांच एजेंसी
सीबीआई से कराई जाए। यह इसलिए भी जरुरी है कि यह पूरा प्रकरण लोकसभा
चुनाव के दौरान का है। तनु शर्मा को चैनल की मैनेजमेंट अथाॅरिटी में
शामिल रितु धवन के कहने पर अनीता शर्मा ने तनु शर्मा को बड़े-बड़े नेताओं
और कार्पोरेट मालिको के पास भेजने की कोशिश की। इससे इस संदेह को बल
मिलता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया टीवी ने किसी मुनाफे के लिए
कार्पोरेट और राजनेताओं के साथ इस तरह का अनैतिक गठजोड़ बनाया और अपने
कर्मचारियों को जबरन इसमें शामिल होने का दबाव डाला। ऐसे में यह जांच का
विषय है कि यह मुनाफा क्या था और किन-किन राजनेताओं और कार्पोरेट समूहों
ने कितना मुनाफा इंडिया टीवी को दिया और उसके बदले में इंडिया टीवी ने
उन्हें कितना और किस रुप में लाभ पहुंचाया।
तनु शर्मा द्वारा रितु धवन, अनीता शर्मा और एमएन प्रसाद का नाम लेने के
बाद अब तक गिरफ्तारी तो दूर इनसे किसी तरह की पूछताछ तक न होना, इंडिया
टीवी के दबाव में तनु शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त न किया जाना
और सरकार की तरफ से इस पूरे मसले पर अब तक अपना पक्ष नहीं रखा जाना
प्रदेश सरकार की भूमिका को भी संदिग्ध बना देता है। ऐसे में जरुरी हो
जाता है कि मीडिया, कार्पोरेट और राजनेताओं के इस समाज विरोधी गठजोड़ को
उजागर करने के लिए प्रदेश सरकार सीबीआई जांच की संस्तुति करे।
हम इस पत्र के माध्यम से यह मांग करते हैं कि मेरठ में तैनात एसआई अरुणा
राय के साथ उनके वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डीपी श्रीवास्तव द्वारा अभद्रता के
मामले में जिस तरह विवेचना अधिकारी द्वारा श्रीवास्तव के खिलाफ दर्ज की
गई गैरजमानती धाराओं को हटा दिया गया है, और जो ऐसे अधिकतर मामलों में
दबंग और रसूख वाले आरोपियों के पक्ष में विवेचना अधिकारियों द्वारा किए
जाने का खुलासा होता रहा है, से जरुरी हो जाता है कि विवेचना पुलिस से न
कराकर इसके लिए एक अलग से विवेचना इकाई का गठन किया जाए। जैसा कि पुलिस
सुधार के संदर्भ में गठित कई आयोगों की भी सिफारिश रही है। हम उम्मीद
करते हैं कि प्रदेश पुलिस की बदनामी की वजह बने डीपी श्रीवास्तव के खिलाफ
उचित कार्यवाई करते हुए अरुणा राय को न्याय देने के साथ ही पुलिस प्रशासन
के अंदर काम कर रही महिलाओं के लिए भी सुरक्षा की गारंटी प्रदेश सरकार
करेगी।
द्वारा-
संदीप पाण्डे-05222347365 , राम कृष्ण-9335223922, मधु गर्ग-9335519777
गुफरान- 9335160542 , एड. श्ुाऐब- 9415012666 ं,आदियोग-9415011487
वीरेन्द्र त्रिपाठी -9616689170, राजीव यादव-9452800752, शाहनवाज आलम-9415254919
हरे राम मिश्र- 7379393876 , सत्येन्द्र कुमार, ओम प्रकाश शुक्ला,
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार
लखनऊ
विषय- इंडिया टीवी की ऐंकर तनु शर्मा के साथ संस्थान के कर्मचारियों
द्वारा उत्पीड़न, पुलिस द्वारा जांच को भटकाने की कोशिश और सीबीआई द्वारा
इस मामले की जांच कराकर मीडिया, कार्पोरेट व राजनीतिज्ञों के मुनाफाखोर
गठजोड़ को उजागर करने की मांग के संदर्भ में।
महोदय,
22 जून 2014 को इंडिया टीवी की ऐंकर तनु शर्मा ने अपने चैनल के वरिष्ठ
कर्मचारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नोएडा स्थित अपने ऑफिस
में ही जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। इसके बाद जब चैनल की तरफ
से तनु शर्मा पर ही आत्महत्या की कोशिश का मामला दर्ज करवा दिया गया
जिसके बाद तनु ने भी 26 जून को पुलिस को लिखित में अपना बयान दिया। इस
बयान में उन्होंने मुख्य रूप से इंडिया टीवी की एमडी और रजत शर्मा की
पत्नी रितु धवन, चैनल आउटपुट हेड अनीता शर्मा और ऐकरिंग हेड एमएन प्रसाद
का नाम लिया है।
ज्ञात हो कि तनु शर्मा द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के मुताबिक 5 फरवरी
2014 को चैनल जॉइन करने के बाद से ही तनु के वरिष्ठों ने उन्हें परेशान
करना शुरू कर दिया था। रितु धवन के कहने पर अनीता शर्मा ने उन्हें
बड़े-बड़े नेताओं और कॉरपोरेट हाउस के मालिकों के पास भेजने की बहुत
कोशिश की। इस कोशिश में खुद एक समय में तनु के एचओडी रहे एमएन प्रसाद का
भी हाथ शामिल था। अनीता शर्मा की प्रताड़ना और बढ़ती चली गई। इससे हताश
होकर तनु ने आत्माघाती कदम उठाने की कोशिश की।
इस मामले में पुलिस के समक्ष दिए गए बयान में तनु शर्मा द्वारा रितु धवन
जो रजत शर्मा की पत्नी हैं का नाम लेने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर से
राजनीतिक दबाव में रितु धवन का नाम हटा दिया। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि
उत्तर प्रदेश पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच करने में सक्षम नहीं है।
इसलिए जरुरी हो जाता है कि पूरे मामले की जांच केन्द्रिय जांच एजेंसी
सीबीआई से कराई जाए। यह इसलिए भी जरुरी है कि यह पूरा प्रकरण लोकसभा
चुनाव के दौरान का है। तनु शर्मा को चैनल की मैनेजमेंट अथाॅरिटी में
शामिल रितु धवन के कहने पर अनीता शर्मा ने तनु शर्मा को बड़े-बड़े नेताओं
और कार्पोरेट मालिको के पास भेजने की कोशिश की। इससे इस संदेह को बल
मिलता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया टीवी ने किसी मुनाफे के लिए
कार्पोरेट और राजनेताओं के साथ इस तरह का अनैतिक गठजोड़ बनाया और अपने
कर्मचारियों को जबरन इसमें शामिल होने का दबाव डाला। ऐसे में यह जांच का
विषय है कि यह मुनाफा क्या था और किन-किन राजनेताओं और कार्पोरेट समूहों
ने कितना मुनाफा इंडिया टीवी को दिया और उसके बदले में इंडिया टीवी ने
उन्हें कितना और किस रुप में लाभ पहुंचाया।
तनु शर्मा द्वारा रितु धवन, अनीता शर्मा और एमएन प्रसाद का नाम लेने के
बाद अब तक गिरफ्तारी तो दूर इनसे किसी तरह की पूछताछ तक न होना, इंडिया
टीवी के दबाव में तनु शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त न किया जाना
और सरकार की तरफ से इस पूरे मसले पर अब तक अपना पक्ष नहीं रखा जाना
प्रदेश सरकार की भूमिका को भी संदिग्ध बना देता है। ऐसे में जरुरी हो
जाता है कि मीडिया, कार्पोरेट और राजनेताओं के इस समाज विरोधी गठजोड़ को
उजागर करने के लिए प्रदेश सरकार सीबीआई जांच की संस्तुति करे।
हम इस पत्र के माध्यम से यह मांग करते हैं कि मेरठ में तैनात एसआई अरुणा
राय के साथ उनके वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डीपी श्रीवास्तव द्वारा अभद्रता के
मामले में जिस तरह विवेचना अधिकारी द्वारा श्रीवास्तव के खिलाफ दर्ज की
गई गैरजमानती धाराओं को हटा दिया गया है, और जो ऐसे अधिकतर मामलों में
दबंग और रसूख वाले आरोपियों के पक्ष में विवेचना अधिकारियों द्वारा किए
जाने का खुलासा होता रहा है, से जरुरी हो जाता है कि विवेचना पुलिस से न
कराकर इसके लिए एक अलग से विवेचना इकाई का गठन किया जाए। जैसा कि पुलिस
सुधार के संदर्भ में गठित कई आयोगों की भी सिफारिश रही है। हम उम्मीद
करते हैं कि प्रदेश पुलिस की बदनामी की वजह बने डीपी श्रीवास्तव के खिलाफ
उचित कार्यवाई करते हुए अरुणा राय को न्याय देने के साथ ही पुलिस प्रशासन
के अंदर काम कर रही महिलाओं के लिए भी सुरक्षा की गारंटी प्रदेश सरकार
करेगी।
द्वारा-
संदीप पाण्डे-05222347365 , राम कृष्ण-9335223922, मधु गर्ग-9335519777
गुफरान- 9335160542 , एड. श्ुाऐब- 9415012666 ं,आदियोग-9415011487
वीरेन्द्र त्रिपाठी -9616689170, राजीव यादव-9452800752, शाहनवाज आलम-9415254919
हरे राम मिश्र- 7379393876 , सत्येन्द्र कुमार, ओम प्रकाश शुक्ला,
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