NAGRIK PARISHAD
नागरिक परिषद: कार्यालय- 301, मवईया लखनऊ, सम्पर्क- काॅफी हाउस, हजरतगंज, लखनऊ
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‘सत्ता किसकी-जनता की’ के नारे के साथ नागरिक परिषद का सम्मेलन संपन्न
जनता के बुनियादी मुद्दों पर जन आंदोलन का निर्माण होगा- नागरिक परिषद
राज्य स्तरीय संयोजक मंडल व प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया गया
लखनऊ 6 जुलाई 2014। आज लखननऊ में विभिन्न जनसंगठनों जन आंदोलनों से
संबन्धित सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एक सम्मेलन का आयोजन स्थानीय
गांधी भवन में किया। जिसमें वर्तमान राज और समाज व्यस्था से संबन्धित कुछ
बुनियादी मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई। आम नागरिकों पर तंत्र का शिकंजा
कसता जा रहा है, सरकारें टैक्स बढ़ाती जा रही हैं और देशी-विदेशी
कंपनियों के लाभ के लिए महगाई बढ़ती जा रही है। आम नागरिक की आय घट रही
है और उसके जीवन पर अफसरशाही, नेताशाही, दलालों, न्याय प्रणाली का बोझ
लदता जा रहा है। मेहनतकश मजदूर, किसान, कर्मचारी और छोटा कारोबारी अपने
बच्चों को शिक्षा, चिकित्सा, रोजी और सुरक्षा देने में खुद को अक्षम पा
रहा है। सूदखोरों, बैंकों के कर्ज का बोझ बढ़ा है, आत्महत्याएं बढ़ी हैं,
न्याय प्रणाली और अफसरशाही आम नागरिक से दूर हुई। वर्तमान चुनाव प्रणाली,
संसदीय राजनीतिक दलों और आने जाने वाली सरकारों से जनता को गहरी निराशा
हो रही है, अच्छे दिन आने वाले हैं एक मजाक बन गया है। आम नागरिक के
सामने यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अच्छे दिनों का अर्थ है टैक्स और
महगाई का बढ़ना। शहरों में और गांवों में भी लोगों की जिंदगी और जीने की
स्थितियां लगातार कठिन होती जा रही हैं। ऐसे में नागरिक परिषद जन जीवन के
तमाम मुद्दों पर समाज के विभिन्न वर्गों को संगठित करके जन समितियों का
निर्माण करके सड़ती व्यवस्था को बेनकाब करेगा और आम नागरिक समाज को
संगठित कर देश के तमाम आंदोलनकारी शक्तियों को एक सूत्र में पिरोने और
उपनिवेशवादी लुटेरी, दमनकारी, विभाजनकारी, जातिवादी और सांप्रदायिक
ताकतों के खिलाफ एक मंच का निर्माण कर समस्त बदलाव की ताकतों को अपने
कार्यक्रम और घोषित कार्यभारों के आधार पर राष्ट्रीय जनआंदोलन का निर्माण
करेगी। नागरिक को व्यवस्था का वास्तविक मालिक बनाना है, देश में नई
लोकशाही की स्थापना करना है ताकि आजादी के शहीदों का सपना सारे जहां से
अच्छा हिन्दोस्तां बन सके।
सम्मेलन में सम्लित भागीदारों ने अपने कार्यक्रम और कार्यभारों को आजादी
की दूसरी लड़ाई का आधार माना और अपना प्रमुख नारा दिया है ‘सत्ता किसकी,
जनता की’। इस नारे के सार की व्याख्या करते हुए नागरिक परिषद नेता
रामकृष्ण ने कहा है लोकतंत्र का सीधा अर्थ है न्याय पालिका, कार्य पालिका
और विधायिका को नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाना और निरंकुश तंत्र को
नागरिकों के वास्तविक नियंत्रण में ले आना। जिसका साफ मतलब यह है कि
नागरिकों के द्वारा लोकतांत्रिक और संवैधानिक ढंग से चुनी गई समितियों को
कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी जनप्रतिनिधियों, अफसरों और न्यायिक
अधिकारियों को, यदि वो भ्रष्ट, गैरकानूनी और जनविरोधी आचरण में लिप्त पाए
जाते हैं तो उन्हें वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए। भ्रष्ट तंत्र के
खिलाफ उन्हें जांच करने और न्यायिक प्रक्रिया के दायरे उन्हें लाने का
अधिकार होना चहिए। अर्थात नागरिक परिषद देश में इस बात को स्थापित करने
का अभियान चलाएगी कि आम नागरिक का काम सिर्फ प्रार्थना पत्र देना और मांग
पत्र देना नहीं है बल्कि नीतियों के निर्माण प्रशासनिक, न्यायिक और
योजनाओं को बनाने और उन्हें लागू करने में कानून और व्यवस्था के निर्माण
और इसके क्रियान्वयन में नागरिक समाज द्वारा चुनी हुई समितियों की भूमिका
होनी चाहिए।
नागरिक परिषद के इस सम्मेलन में अपने विधान के निर्माण के लिए एक उपसमिति
का गठन करते हुए अपने कार्यभार को व्यस्थित रुप देने के लिए तीन दिन की
एक कार्यशाला अगस्त माह में तय की गई। इस बीच प्रदेश में विभिन्न जिलों
और दूसरे राज्यों के विभिन्न जनसंगठनों और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर सभी
जगह जिला प्रभारी बनाए जाएंगे, सम्मेलन में 85 सदस्यीय प्रदेश समिति और
25 सदस्यीय संयोजक मंडल बनाया गया। यह समिति अगले 6 माह में सभी जिलों
में तथा अन्य प्रदेशों में दौरा कर संयोजन समितियों का गठन करेगी और समाज
के विभिन्न वर्गों और समुदायों से बातचीत कर बदलाव के वास्तविक मुद्दों
को अपने कार्यभार में सम्मिलत करेगी। नागरिक परिषद देश में बदलाव के लिए
सभी राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन संगठनों से एक संयुक्त मंच
बनाने के लिए और आंदोलन के मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए देश भर में
बातचीत चलाएगी।
द्वारा जारी-
वीरेन्द्र त्रिपाठी
संपर्क- 9616689170
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contact : 09335223922, 09453682439
Email- nagrikparishadup@gmail.com
नागरिक परिषद: कार्यालय- 301, मवईया लखनऊ, सम्पर्क- काॅफी हाउस, हजरतगंज, लखनऊ
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‘सत्ता किसकी-जनता की’ के नारे के साथ नागरिक परिषद का सम्मेलन संपन्न
जनता के बुनियादी मुद्दों पर जन आंदोलन का निर्माण होगा- नागरिक परिषद
राज्य स्तरीय संयोजक मंडल व प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया गया
लखनऊ 6 जुलाई 2014। आज लखननऊ में विभिन्न जनसंगठनों जन आंदोलनों से
संबन्धित सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एक सम्मेलन का आयोजन स्थानीय
गांधी भवन में किया। जिसमें वर्तमान राज और समाज व्यस्था से संबन्धित कुछ
बुनियादी मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई। आम नागरिकों पर तंत्र का शिकंजा
कसता जा रहा है, सरकारें टैक्स बढ़ाती जा रही हैं और देशी-विदेशी
कंपनियों के लाभ के लिए महगाई बढ़ती जा रही है। आम नागरिक की आय घट रही
है और उसके जीवन पर अफसरशाही, नेताशाही, दलालों, न्याय प्रणाली का बोझ
लदता जा रहा है। मेहनतकश मजदूर, किसान, कर्मचारी और छोटा कारोबारी अपने
बच्चों को शिक्षा, चिकित्सा, रोजी और सुरक्षा देने में खुद को अक्षम पा
रहा है। सूदखोरों, बैंकों के कर्ज का बोझ बढ़ा है, आत्महत्याएं बढ़ी हैं,
न्याय प्रणाली और अफसरशाही आम नागरिक से दूर हुई। वर्तमान चुनाव प्रणाली,
संसदीय राजनीतिक दलों और आने जाने वाली सरकारों से जनता को गहरी निराशा
हो रही है, अच्छे दिन आने वाले हैं एक मजाक बन गया है। आम नागरिक के
सामने यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अच्छे दिनों का अर्थ है टैक्स और
महगाई का बढ़ना। शहरों में और गांवों में भी लोगों की जिंदगी और जीने की
स्थितियां लगातार कठिन होती जा रही हैं। ऐसे में नागरिक परिषद जन जीवन के
तमाम मुद्दों पर समाज के विभिन्न वर्गों को संगठित करके जन समितियों का
निर्माण करके सड़ती व्यवस्था को बेनकाब करेगा और आम नागरिक समाज को
संगठित कर देश के तमाम आंदोलनकारी शक्तियों को एक सूत्र में पिरोने और
उपनिवेशवादी लुटेरी, दमनकारी, विभाजनकारी, जातिवादी और सांप्रदायिक
ताकतों के खिलाफ एक मंच का निर्माण कर समस्त बदलाव की ताकतों को अपने
कार्यक्रम और घोषित कार्यभारों के आधार पर राष्ट्रीय जनआंदोलन का निर्माण
करेगी। नागरिक को व्यवस्था का वास्तविक मालिक बनाना है, देश में नई
लोकशाही की स्थापना करना है ताकि आजादी के शहीदों का सपना सारे जहां से
अच्छा हिन्दोस्तां बन सके।
सम्मेलन में सम्लित भागीदारों ने अपने कार्यक्रम और कार्यभारों को आजादी
की दूसरी लड़ाई का आधार माना और अपना प्रमुख नारा दिया है ‘सत्ता किसकी,
जनता की’। इस नारे के सार की व्याख्या करते हुए नागरिक परिषद नेता
रामकृष्ण ने कहा है लोकतंत्र का सीधा अर्थ है न्याय पालिका, कार्य पालिका
और विधायिका को नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाना और निरंकुश तंत्र को
नागरिकों के वास्तविक नियंत्रण में ले आना। जिसका साफ मतलब यह है कि
नागरिकों के द्वारा लोकतांत्रिक और संवैधानिक ढंग से चुनी गई समितियों को
कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी जनप्रतिनिधियों, अफसरों और न्यायिक
अधिकारियों को, यदि वो भ्रष्ट, गैरकानूनी और जनविरोधी आचरण में लिप्त पाए
जाते हैं तो उन्हें वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए। भ्रष्ट तंत्र के
खिलाफ उन्हें जांच करने और न्यायिक प्रक्रिया के दायरे उन्हें लाने का
अधिकार होना चहिए। अर्थात नागरिक परिषद देश में इस बात को स्थापित करने
का अभियान चलाएगी कि आम नागरिक का काम सिर्फ प्रार्थना पत्र देना और मांग
पत्र देना नहीं है बल्कि नीतियों के निर्माण प्रशासनिक, न्यायिक और
योजनाओं को बनाने और उन्हें लागू करने में कानून और व्यवस्था के निर्माण
और इसके क्रियान्वयन में नागरिक समाज द्वारा चुनी हुई समितियों की भूमिका
होनी चाहिए।
नागरिक परिषद के इस सम्मेलन में अपने विधान के निर्माण के लिए एक उपसमिति
का गठन करते हुए अपने कार्यभार को व्यस्थित रुप देने के लिए तीन दिन की
एक कार्यशाला अगस्त माह में तय की गई। इस बीच प्रदेश में विभिन्न जिलों
और दूसरे राज्यों के विभिन्न जनसंगठनों और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर सभी
जगह जिला प्रभारी बनाए जाएंगे, सम्मेलन में 85 सदस्यीय प्रदेश समिति और
25 सदस्यीय संयोजक मंडल बनाया गया। यह समिति अगले 6 माह में सभी जिलों
में तथा अन्य प्रदेशों में दौरा कर संयोजन समितियों का गठन करेगी और समाज
के विभिन्न वर्गों और समुदायों से बातचीत कर बदलाव के वास्तविक मुद्दों
को अपने कार्यभार में सम्मिलत करेगी। नागरिक परिषद देश में बदलाव के लिए
सभी राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन संगठनों से एक संयुक्त मंच
बनाने के लिए और आंदोलन के मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए देश भर में
बातचीत चलाएगी।
द्वारा जारी-
वीरेन्द्र त्रिपाठी
संपर्क- 9616689170
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Email- nagrikparishadup@gmail.com
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