सत्ता की दोनों धुरियां मुखौटा बदलने की कवायद में लगा दी गयीं।राष्ट्र के सैन्यीकरण की अंधी दौड़ में हम कहां हैं?
आर्थिक सुधार के खिलाफ बना माहौल फु्स्स हो गया है। एफडीआई की मार झेलकर जनता सत्ता की गंदगी से त्योहारों की रोशनी सजाने में लग गयी है।मीडिया ने आम आदमी की तकलीफों को सनसनी की चाशनी में ऐसा डुबो दिया है कि पहले से सूचनाओं से वंचित बहिष्कृत बहुसंख्यक जनता अपनी बलि चढ़ाने के लिए खुद ब खुद तैयार है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
भारत सरकार पर अब चीम राहुल का दबदबा होना तय है। मनमोहन कैबिनेट में फेरबदल से पहले अचानक राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो कैबिनेट के कुछ बड़े चेहरों को पार्टी के काम के लिए वापस कांग्रेस संगठन में भेजा जा सकता है।दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी फिलहाल इस्तीफा नहीं देंगे लेकिन अब उन्हें भाजपा अध्यक्ष का दूसरा कार्यकाल नहीं मिलेगा। बीजेपी के आला नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया। नितिन गडकरी को अब दिसंबर के बाद दूसरा कार्यकाल मिलने की संभावना नहीं है। पार्टी सूत्रों से ख़बर आ रही है कि गडकरी को सम्मानजनक विदाई दी जाएगी। सत्ता की दोनों धुरियां मुखौटा बदलने की कवायद में लगा दी गयी। भाजपा को अपने दामन में लगे दाग को छुपाने के लिए संघ परिवार की सारी नैतिकता और पवित्रता के साथ हिंदू राष्ट्रवाद का उन्माद कम पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस मंत्रियों के चेहरे बदलकर भ्रष्टाचार के आरोपों को रफा दफा करने में लगा है। इससे आर्थिक सुधार के खिलाफ बना माहौल फु्स्स हो गया है। एफडीआई की मार झेलकर जनता सत्ता की गंदगी से त्योहारों की रोशनी सजाने में लग गयी है।मीडिया ने आम आदमी की तकलीफों को सनसनी की चाशनी में ऐसा डुबो दिया है कि पहले से सूचनाओं से वंचित बहिष्कृत बहुसंख्यक जनता अपनी बलि चढ़ाने के लिए खुद ब खुद तैयार है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आज शाम सात केंद्रीय मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार करने के साथ ही रविवार को कैबिनेट विस्तार का मार्ग प्रशस्त हो गया है जिसमें कम से कम 10 नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं और कुछ राज्य मंत्रियों को तरक्की मिल सकती है। आनंद शर्मा को विदेश मंत्रालय दिया जा सकता है। मनीष तिवारी को भी मंत्री पद देने की तैयारी है। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश में सबसे भ्रष्ट और असंवेदनशील सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वराज ने कहा कि प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख होने के नाते जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।स्वराज, हालांकि मीडियाकर्मियों द्वारा भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में पूछे गए प्रश्नों को टाल गईं। उन्होंने कहा, `गडकरी ने खुद कहा है कि वह किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं।` हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 4 नवम्बर को होना है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों का पालन करने की जरूरत बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि देश के सभी लोग समान हैं और सभी को बराबरी का मौका मिलना चाहिए।
उग्र हिंदुत्व के रास्ते पर लौट रही भाजपा में कल्याण सिंह की वापसी के जरिये हिंदुत्व ब्रेगड को मजबूत करने की रणनीति है। देश के सबसे ज़्यादा आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश की फिजाओं में फिर से सांप्रदायिकता घोली जा रही है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे के ढहाए जाने के आरोपी कल्याण सिंह ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि अयोध्या का विवादित ढांचा उन्हीं के इशारे पर गिराया गया था। उत्तर प्रदेश के एटा में उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने की पूरी जिम्मेदारी उनकी है। कल्याण ने कहा कि उन्होंने ही आदेश दिया था कि कारसेवकों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। करीब 20 साल बाद कल्याण सिंह ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की जिम्मेदारी ली है।
भारतीय लोकतंत्र पर बाजार का वर्चस्व किस कदर हावी है, मसलन, गुजरात में 13 से 17 दिसंबर के बीच चुनाव है। इस दौरान पर्यटकों को चुनावी प्रक्रिया से रूबरू कराया जाएगा। टूर ऑपरेटर सैलानियों को गुजरात आने के लिए 2 दिन से 10 दिन तक के पैकेज ऑफर कर रहे है। इसमें पर्यटकों के साथ एक गाइड भी रहेगा जो उन्हें दर्शनीय स्थान की जानकारी के अलावा चुनावी प्रक्रिया की भी जानकारी देगा। सैलानियों को इस इलेक्ट्रोरल टूर पैकेज के लिए 200 से 600 डॉलर तक चुकाने होंगे।इलेक्शन टूरिज्म पैकैज में अगर सैलानियों को नेताओं से नहीं मिलाया गया तो मजा अधूरा रह जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए ऑपरेटरों ने पर्यटकों को नेता और चुनाव आयोग के अधिकारियों से भी मुलाकात करवाने का आयोजन किया है। गुजरात के द्वारिका, सोमनाथ, अम्बाजी, पावागढ़, कच्छ और डाग जैसे इलाकों के लिए टूर ऑपरेटर्स ने ये पैकेज ऑफर किये हैं। इस नए इलेक्शन टूरिज्म कन्सेप्ट को काफी अच्छा रिस्पान्स भी मिल रहा है। अब तक ऑपरेटर्स को युक्रेन, चीन, जर्मनी, इटली जैसे देशो से करीब 32 लोगों की बुकिंग मिल चुकी है।
राष्ट्र के सैन्यीकरण की अंधी दौड़ में हम कहां हैं? ब्रिटेन और यूरोपियन संघ [ईयू] द्वारा चीन और भारत जैसे आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे देशों को सहायता राशि रोके जाने की वकालत के बाद संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान भी इसके समर्थन में उतर आए हैं। अन्नान ने कहा है कि ब्रिटेन को चीन, भारत, ब्राजील जैसे धनी देशों को सहायता राशि देना बंद कर देना चाहिए।अन्नान का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय विकास सचिव जस्टिन ग्रीनिंग भारत को वित्तीय सहायता रोके जाने की वकालत कर चुकी हैं। ब्रिटेन भारत को हर साल 28 करोड़ पाउंड [करीब 24 अरब रुपये] की वित्तीय सहायता मुहैया करा रहा है। ब्रिटेन में भारत को सहायता देने की आलोचना करने वालों का कहना है कि जब भारत में 7 प्रतिशत से भी अधिक दर से आर्थिक विकास हो रहा है, क्रय शक्ति क्षमता के आधार पर आर्थिक रूप से दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा शक्तिशाली देश बन चुका है, अपने बलबूते पर अंतरिक्ष कार्यक्रम संचालित कर रहा है, हजारों किमी दूर मारक क्षमता वाले प्रक्षेपास्त्र बना रहा है, स्वयं का परमाणु कार्यक्रम चलाने में सक्षम है तो ऐसे राष्ट्र को सहायता लेने की क्या जरूरत है।ऐसे समय में जबकि आर्थिक सुस्ती की वजह से रोजगार सृजन एक बड़ा मुद्दा बन गया है भारतीय कंपनियों ने भारी निवेश के जरिये अमेरिका में 50,000 रोजगार अवसरों का सृजन किया। अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है।अमेरिका के उप विदेश मंत्री विलियम बर्न्से ने कल कहा, हमारे आर्थिक संबंध बहुत हद तक दोहरे रास्ते जैसे हैं। दोनों अपने यहां वृद्धि और निवेश बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। भारतीय नियंत्रित और ओहियो स्थित टाटा संयंत्र में हजारों अमेरिकी नागरिकों को काम मिला जो कि भारतीय कंपनियों द्वारा अमेरिका में पैदा किए गए 50,000 से अधिक रोजगार अवसरों का एक हिस्सा है।अमेरिका के छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों के लिए भारत में अवसरों में बढ़ोतरी हो रही है। बर्न्सम ने कहा कि 2025 तक भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना जतायी जा रही है। लेकिन मैकिंजे के मुताबिक अभी 90 प्रतिशत भारतीयों के पास ब्राडबैंड नहीं है और 2030 तक के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का 80 प्रतिशत का निर्माण अभी नहीं किया जा सका है। भारत की योजना अगले पांच साल में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1000 अरब डालर निवेश करने की है।
इसी बीच 'तीसरे मोर्चे' के गठन में अब तक हाथ आई नाकामी के बावजूद समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आज एक गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा मोर्चे के गठन के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया और केंद्र की संप्रग सरकार में शामिल होने से इंकार किया। भाकपा और तेलुगु देशम पार्टी के नेताओं ने भी इस विचार का समर्थन किया और 'वैकल्पिक राजनीति' को आकार देने में मुलायम से अगुवाई करने को कहा।यादव, भाकपा के ए बी वर्धन और तेदेपा के एन. नागेश्वर राव के अलावा कई अन्य नेताओं ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें एक राजनीतिक संरचना के रूप में एक 'वैकल्पिक राजनीति' के गठन की जरूरत बताई गयी है। जब दोनों बड़े राजनीतिक दल सरकार बनाने में नाकाम होंगे तो यह संगठन विकल्प मुहैया करा सकता है।दिवंगत समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के लोकसभा में दिए गए भाषणों पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर ये नेता इकट्ठा हुए थे। अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता देवब्रत विश्वास, पूर्व न्यायाधीश राजिंदर सच्चर और जाने माने पत्रकार एवं लेखक कुलदीप नैयर भी इस अवसर पर मौजूद थे।
भाकपा नेता डी. राजा ने बाद में कहा कि वह प्रस्ताव का हिस्सा नहीं है। बहरहाल, उन्होंने यह कहते हुए इस विचार का समर्थन किया कि एक शुरुआत हुई है लिहाजा देश के सामने एक विकल्प देने के लिए ताजा पहल किए जाने की जरूरत है। राजा ने भी कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही जनता की अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे हैं। नेताओं ने प्रस्ताव की एक पंक्ति पर आपत्ति जताई जिसमें यह कहा गया था कि समूह के सदस्य साल 2014 के लोकसभा चुनावों में एक ही चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ें। बाद में इस पंक्ति को हटा दिया गया था।
बाद में संवाददाताओं से बातचीत में मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की संप्रग सरकार में शामिल होने से इंकार किया। यह सवाल किए जाने पर कि क्या उन्हें मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता दिया गया है, इस पर यादव ने कहा, 'न तो प्रधानमंत्री ने इस बाबत मुझसे बात की है और न ही सपा ने कभी सरकार में शामिल होने पर विचार किया।'
कांग्रेस को नैतिकता की परवाह नहीं है। भाजपा को कितनी है? अपनी कंपनियों के संदिग्ध वित्तपोषण को लेकर आरोपों का सामना कर रहे भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने शनिवार को किसी भी विवाद के जिक्र से परहेज किया और भ्रष्टाचार, खराब प्रशासन और बेरोजगारी के मुद्दों पर कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। पार्टी का समर्थन हासिल होने के बाद गडकरी ने किन्नौर जिले के आदिवासी बहुल रेकोंग पोए और शिमला के अंदरूनी में चोपाल में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए अपने पूर्ती समूह में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों की चर्चा से परहेज किया। उन्होंने मीडिया से भी बातचीत नहीं की।शुक्रवार शाम दिल्ली पहुंचने के बाद गडकरी भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज से मिले। इससे पहले खबरें आई थीं कि कारोबार में फर्जीवाड़े के आरोपों में घिरे गडकरी ने इस्तीफे की पेशकश की है, जिसे भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने बेबुनियाद बताया। गडकरी पिछले कुछ दिनों से बिजनस में गड़बड़ियां करने के गंभीर आरोपों से जूझ रहे हैं।शुक्रवार को उन चर्चाओं ने भी जोर पकड़ा कि गडकरी को दूसरी बार भाजपा अध्यक्ष बनाने के मुद्दे पर पार्टी नेताओं में मतभेद हैं। चर्चा थी कि पार्टी के ज्यादातर सीनियर नेताओं को लग रहा है कि अब गडकरी को दूसरा कार्यकाल नहीं दिया जाना चाहिए, ताकि चुनाव वाले राज्यों में कोई नुकसान न हो। लेकिन जावडेकर ने इन चर्चाओं पर यह कहकर विराम लगा दिया कि भाजपा न सिर्फ अपने अध्यक्ष के साथ है, बल्कि हिमाचल चुनाव प्रचार में भी उन्हें शामिल करेगी।
गौरतलब है कि भाजपा भले ही मल्टि ब्रैंड रीटेल में एफडीआई का विरोध कर रही है लेकिन पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को लगता है कि देश को कई सेक्टरों में विदेशी निवेश यानी एफडीआई की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि परफॉर्मेंस का हर क्षेत्र में ऑडिट होना चाहिए और पार्टी में भी इस तरह का ऑडिट हो।नई दिल्ली में तीन अक्तूबर को गडकरी ने कहा कि इस वक्त बाहर से निवेश तो नहीं ही आ रहा, साथ ही भारतीय उद्योगपति भी अपनी पूंजी बाहर लेकर जा रहे हैं। हमें कई क्षेत्रों में एफडीआई लाना होगा। उन्होंने कहा कि इस देश में मिसमैनेजमेंट सबसे बड़ी समस्या है। यहां स्मारक बन जाते हैं लेकिन कोल्ड स्टोरेज नहीं बन पाते। उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां स्मारक बनाए गए, अच्छा किया गया, लेकिन कोल्ड स्टोरेज भी बन जाते तो किसानों को अपनी फसल नहीं फेंकनी पड़ती।गडकरी ने दावा किया कि इस साल 85 हजार करोड़ रुपये का अनाज सड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में परफॉर्मेंस का ऑडिट होना चाहिए। यहां तक की पार्टी में भी ऐसा होना चाहिए। ई-गवर्नेंस पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगर इसका उपयोग किया जाए तो 70 फीसदी तक करप्शन खत्म हो सकता है।
इंदौर। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले बड़ी विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि उनका एफडीआई से कोई विरोध नहीं है। गुरुवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में एफडीआई का स्वागत है पर सरकार ऐसे निवेश को स्वीकार नहीं करेगी, जिससे प्रदेश के छोटे व्यापारियों के हित प्रभावित हो। गौरतलब है कि भाजपा रिटेल में एफडीआई के प्रस्ताव का अब तक विरोध करती आ रही है। इसीलिए मुख्यमंत्री ने भी छोटे व्यापारियों का हित ध्यान में रखने की बात कही है।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा निवेश प्रस्तावों पर जल्द कार्रवाई हो और निवेशकों की समस्याएं तय समय सीमा में हल की जा सके, इसलिए लोक सेवा गारंटी की तर्ज पर एक मॉडल बनाया जा रहा है। उनसे पूछा गया कि इन्वेस्टर्स समिट में कितने सौ करोड़ के निवेश की उम्मीद है तो बोले- 30 को बताएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश में लगने वाले उद्योगों को ट्रेंड लेबर की समस्या से नहीं जूझना पड़े, इसलिए करीब 200 स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोले जा रहे हैं। आईटीआई में भी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कोर्स शुरू किए जा रहे हैं।
मंत्रिमंडलीय फेरबदल से पहले कैबिनेट मंत्रियों एस.एम. कृष्णा (विदेश), अंबिका सोनी (सूचना प्रसारण), मुकुल वासनिक (सामाजिक न्याय), सुबोध कांत सहाय (पर्यटन), राज्य मंत्री महादेव खंडेला (आदिवासी मामले), राज्य मंत्री अगाथा संगमा (ग्रामीण विकास), राज्य मंत्री विंसेंट पाला (जल संसाधन एवं अल्पसंख्यक मामले) ने इस्तीफे दे दिये है। उनका कहना है कि वे अब पार्टी के लिए काम करेंगे। कृष्णा को छोड़ बाकी सभी ने आज अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपे।
शुरूआत में अटकलें लगाई जा रही थीं कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है लेकिन अब ऐसा होने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं। उन्हें पार्टी में ही बड़ी भूमिका दी जा सकती है और संभव है कि वह कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए जाएं। आनंद शर्मा को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से हटाए जाने के आसार हैं और कृष्णा की जगह विदेश मंत्रालय दिए जाने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। संप्रग-1 सरकार में वह विदेश मंत्रालय में ही बतौर राज्य मंत्री थे।
आनंद शर्मा का वाणिज्य मंत्रालय डी. पुरंदेश्वरी को मिलने की संभावना है जो दिवंगत एन.टी. रामाराव की पुत्री हैं। वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय में आठ साल बतौर राज्य मंत्री रही हैं। जिन नए लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के प्रबल आसार हैं, उनमें चिरंजीवी (आंध्र प्रदेश), ए एच खान चौधरी, प्रदीप भटटाचार्य और दीपा दासमुंशी (पश्चिम बंगाल), तारिक अनवर (महाराष्ट्र), प्रदीप बालमुचू (झारखंड) और प्रदीप माझी (ओडिशा) शामिल हैं। पुरंदेश्वरी के अलावा अजय माकन को भी कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।जिन राज्य मंत्रियों को प्रोन्नति मिल सकती है, उनमें सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिन्द देवड़ा शामिल हैं। माकन को सूचना प्रसारण मंत्रालय मिल सकता है। शहरी विकास मंत्री कमलनाथ को संसदीय कार्य मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है। इस समय यह मंत्रालय पवन कुमार बंसल के पास है। एक अन्य राकांपा सांसद को कृषि मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया जा सकता है। कृषि मंत्री इस समय शरद पवार हैं, जो राकांपा प्रमुख हैं।
मंत्रिमंडलीय फेरबदल के अलावा कांग्रेस में संगठन के स्तर पर भी कई परिवर्तन होने की उम्मीद है। इस्तीफा देने के बाद अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक और सुबोधकांत सहाय ने कहा कि वे पार्टी के लिए काम करेंगे। सोनी कई साल तक कांग्रेस महासचिव रह चुकी हैं। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की राजनीतिक सचिव भी रही हैं। वासनिक केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस महासचिव दोनों ही जिम्मेदारियां निभा रहे थे। कोल ब्लॉक आवंटन में सहाय विवादों के घेरे में आए थे। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने झारखंड की एक कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश की है। इस कंपनी में उनके भाई निदेशक हैं।
देश के प्रमुख शराब कारोबारी विजय माल्या ने शनिवार को कहा है कि उन्हें यह कड़वी सीख मिली है कि भारत में अपनी धन-संपदा का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए और यहां एक अरबपति राजनीतिज्ञ होना ज्यादा अच्छा है।वीआईपी पार्टीज देने के शौकीन विजय माल्या के पास कलिज्मा और इंडियन इंप्रेस दो प्राइवेट यॉट हैं। माल्या के पास दुनिया भर में दो दर्जन से ज्यादा आलीशान महल और प्रॉपर्टीज हैं, जिनमें एक आइलैंड भी शामिल है। स्पोर्ट्स में गहरी दिलचस्पी लेने वाले विजय माल्या ने आईपीएल की टीम 440 करोड़ रुपये में और फॉर्मूला वन टीम 8.8 करोड़ यूरो में खरीदी है। माल्या के पास 250 से ज्यादा विंटेज कारों का कलेक्शन है और अपने निजी इस्तेमाल के लिए 4 प्राइवेट जेट हैं।विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन के बढ़ते घाटे ने उन्हें ऐसा झटका दिया है कि उन्हें यूबी ब्रीवरीज तक में हिस्सा बेचने को सोचना पड़ रहा है।
यूबी समूह की किंगफिशर एयरलाइंस में लंबे समय से जारी संकट के बीच माल्या ने ट्विट किया, 'मुझे भारत में यह कडवी सीख मिली है कि अपनी धन संपदा का प्रदर्शन कतई नहीं करना चाहिए। खादी पहनने वाला अरबपति राजनीतिज्ञ होना इससे ज्यादा बेहतर है।'
माल्या ने शुक्रवार को सोशल नेटवर्किंग साइट पर लिखा था कि वह ईश्वर के शुक्रगुजार हैं उनका अरबपति का दर्जा छिन गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे अब उनसे ईर्ष्या या उन पर बेमतलब के हमले कम हो सकेंगे।
माल्या फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची से बाहर हो गए हैं। उनके विमानन क्षेत्र के कारोबार के 'बुरे समय' की वजह से नेटवर्थ घटकर एक अरब डॉलर से नीचे आ गई।
बिजनेस पत्रिका की ताजा सूची के अनुसार माल्या अरबपतियों की सूची में 80 करोड़ डॉलर की संपदा के साथ 73वें स्थान पर खिसक गए हैं। पिछले साल वह 1.1 अरब डॉलर की संपदा के साथ 49वें स्थान पर थे।
किंगफिशर एयरलाइंस की कर्मचारियों के साथ तो सुलह हो गई है, लेकिन क्या उड़ान भरने के लिए डीजीसीए की इजाजत मिल पाएगी।
फॉर्मूला वन रेस में हिस्सा लेने पहुंचे यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या ने कहा कि किंगफिशर एयरलाइंस एक बढ़िया रिवाइवल प्लान जल्द डीजीसीए को सौंपेगी और पूरी उम्मीद है कि एयरलाइन फिर से उड़ान भरेगी।
विजय माल्या पूरे 1 महीने बाद भारत लौटे हैं। खबरें हैं कि विजय माल्या फॉर्मूला वन रेस में हिस्सा लेने भारत लौटे हैं। विजय माल्या की टीम फोर्स इंडिया फॉर्मूला वन रेस का हिस्सा है। फॉर्मूला वन रेस 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच होगी।
विजय माल्या किंगफिशर एयरलाइंस में कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के बाद भारत लौटे हैं। सैलेरी में देरी के कारण पिछले 25 दिनों से हड़ताल कर रहे किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने भरोसा दिलाया है कि वो अब विजय माल्या के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करेंगे।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सुपरहिट चुनाव प्रचार से लौटते ही इंडिया टुडे के मैनेजिंग एडिटर एस. प्रसन्नराजन ने उनसे हेलीकॉप्टर में ही उनके चुनावी दौरे से संबंधित कुछ सवाल पूछे. गुजरात और देश की समस्याओं पर उन्होंने खुल कर बातें की. पढ़ें संक्षिप्त इंटरव्यूः
प्रश्नः तो आप दिल्ली आने के लिए बिल्कुल तैयार हैं?
नरेंद्र मोदीः नहीं, मैं किसी काल्पनिक प्रश्न का जवाब नहीं दूंगा.
प्रश्नः आपको गुजरात में तो क्या किया जाना चाहिए आपके पास इसकी अद्भुत कल्पना है. उसी प्रकार देश में अभी सबसे ज्यादा किस चीज पर ध्यान देना चाहिए, इसपर अपके क्या विचार हैं?
नरेंद्र मोदीः हमारे देश में इस वक्त नेता, नीति और नीयत (प्रतिबद्धता) की कमी है.
प्रश्नः क्या आप वह नेता नहीं हैं? लगभग सभी ओपिनियन पोल में आपको प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार माना गया है.
नरेंद्र मोदीः मेरा ध्यान इस वक्त गुजरात के विकास और गुजरात की जनता पर केंद्रित है. मेरा असली सपना गुजरात को दुनिया के किसी भी विकसित देश के विकास दर से कहीं आगे ले जाने का है और मैं जानता हूं कि मैं ऐसा कर सकता हूं. गुजरात में कई संभावनाएं हैं. उदाहरण के लिए, तटवर्ती गुजरात के आसपास 52 द्वीप हैं. मैं उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूरिस्ट प्लेस में विकसित करना चाहता हूं. मैं हमेशा लीक से हटकर सोचता हूं. आप एक बात और याद रखें कि नेहरू परिवार किसी भी गुजराती नेता को पसंद नहीं करता. उन्होंने पटेल के साथ खराब व्यवहार किया. मोरारजी देसाई के साथ भी उन्होंने बुरा बर्ताव किया. अब मेरी बारी है, मुझे निशाने पर लिया जाएगा.
प्रश्नः आपकी छवि आधुनिकीकरण करने वाले की है और आपके पास कॉरपोरेट भारत की भी ताकत है. फिर भी आप देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध क्यों कर रहे हैं?
नरेंद्र मोदीः यह देश का मामला है और एफडीआई लागू करने से देश के संघीय ढांचे में बाधा उत्पन्न होगी. इसके अलावा, अपने देश में कृषि के बाद छोटे और मंझोले दुकानों वाले रिटेल सेक्टर ने सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है. एफडीआई इसको समाप्त कर देगा. यहां तक कि इससे हमारे उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ेगा. एफडीआई से हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था की सहायता नहीं होगी. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अपने देश से रोजगार को बाहर नहीं जाने देना चाहते. मैंने तो इस मामले को लेककर उनका ट्विट भी पढ़ा है.
प्रश्नः मुझे लगा आपके रोल मॉडल थैचर या रीगन हैं?
नरेंद्र मोदीः इस मसले पर ओबामा सही हैं. फिर भी, रिटेल में एफडीआई हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है.
प्रश्नः ऐसा नहीं लगता है कि आपने मुसलमानों का विश्वास फिर से हासिल कर लिया है.
नरेंद्र मोदीः मैं वोट बैंक की राजनीति में विश्वास नहीं करता. मेरे लिए कोई हिंदू वोट बैंक, मुस्लिम वोट बैंक या अल्पसंख्यक वोट बैंक के मायने नहीं हैं. गुजरात की 60 मिलियन आबादी मेरा परिवार है. निस्सन्देह, मुझे बीजेपी का वोट मिलेगा. लेकिन जो मेरे खिलाफ वोट करेंगे वो भी मेरा परिवार ही हैं.
प्रश्नः आप ऐसे नेता लगते हैं जिसकी वोटरों में स्नेह की तुलना में प्रशंसा ज्यादा होती है. कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि आप भावनात्मक रूप से अस्पष्ट हैं.
नरेंद्र मोदीः लेकिन मुझे लोगों से मिलकर तो ऐसा नहीं लगता. आपके मनोभाव की कई परतें होती हैं. क्या आपको रैली देखकर ऐसा नहीं लगा कि वो मुझसे कितना स्नेह करते हैं? वो मुझसे इतना अनुराग करते हैं कि मुझे मेरी जनता की हर भावना को पूरा करना है. और यही वो चैंलेंज है जो मैं खुद के लिए रखता हूं.
प्रश्नः आपको एक अहंकारी के रूप में भी देखा गया है?
नरेंद्र मोदीः अनुमान सच्चाई नहीं होता. अहंकारी मोदी की छवि एक अत्यंत अहंकारी षड्यंत्रकारियों के दल ने बनाई है.
प्रश्नः क्या आपको एकाकी जीवन पसंद है?
नरेंद्र मोदीः मैं हमेशा लोगों के साथ हूं. मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि मैं एकाकी जीवन जी सकूं. मैंने अपने खुद को 16 साल की उम्र से ही देश के लिए समर्पित कर रखा है.
प्रश्नः हो सकता है कि आप अपनी पार्टी के अंदर ही 'एकाकी' हों?
नरेंद्र मोदीः मैं आज जो कुछ भी हूं वो सिर्फ बीजेपी और उसकी केंद्रीय लीडरशिप की वजह से हूं.
और भी... http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/711458/9/76/Nehru-parivar-does-not-like-any-Gujarati-leader-says-Narendra-Modi.html
मौजूदा भारतीय राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। बीते दिनों में उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामलों से राजनीति की छवि धूमिल हुई है। ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे क्या सोचते हैं, इस पर `जी न्यूज` ने सामाजिक कार्यकर्ता से बात की। इस बातचीत में अन्ना हजारे ने `जी न्यूज` के सवालों का खुलकर जवाब दिया-
प्रश्न- अन्नाजी! आपका स्वागत है। बहुत दिनों से आपने मीडिया से बात नहीं की इसकी कोई ख़ास वजह?
अन्ना- नहीं, वजह कुछ नहीं थी क्योंकि इस आंदोलन को घर-घर में पहुंचाया। उसका श्रेय मीडिया को जाता है। मीडिया ने इस आंदोलन को उठाया तो उससे हमेशा के लिए मौन रखना ठीक नहीं है लेकिन हमारे गांधी जी, विनोबा जी की धारणा थी कि कुछ समय के लिए मौन रखना बहुत ज़रूरी होता है।
प्रश्न- इसीलिए, आपने कुछ दिन तक मीडिया से बात नहीं की ? इसी रालेगण सिद्धी में जहां हम बात कर रहे हैं, वहीं आपकी नई कोर कमेटी जिसका गठन हो रहा है और उसकी मीटिंग होने वाली है। क्या होगा उसका एजेंडा और कौन-कौन लोग आपके दिमाग में हैं ?
अन्ना - हमारे पास सौ लोग हैं जिसमें आर्मी के जनरल, ब्रिगेडियर, कर्नल, आईएएस ऑफिसर जो रिटायर हुए हैं ऐसे 9 लोग हैं और करीब 13-14 आईपीएस अफसर हैं जिनमें से 7 डीजीपी पद से रिटायर हुए। एक तरफ इतनी हाई पोस्ट पर काम करने वाले लोग हैं, दूसरी तरफ जेपी आंदोलन से जुड़े हुए लोग हैं। उनकी सोच अच्छी है। ये लोग सर्वोदय से
और गांधी विचारधारा से जुड़े हुए लोग हैं।
प्रश्न- सभी विचारों के अच्छे लोग जो हैं, वे आपकी छत्रछाया में 24 नवंबर को इकट्ठा होंगे ?
अन्ना - अभी उन लोगों का जुड़ने के लिए पत्र आया है। हम जांच करेंगे।
प्रश्न- अन्ना जी, लेकिन इसकी दिशा और इसका एजेंडा क्या होगा ?
अन्ना- दो बातें करनी है। एक तो ये कि आंदोलन के माध्यम से राजशक्ति पर जनशक्ति का अंकुश कैसे निर्माण हो जब तक राजशक्ति पर जनशक्ति का अंकुश निर्माण नहीं होगा, तब तक बुराई पर ब्रेक नहीं लगेगा और आज हमारे पास जो लाखों लोगों के लेटर आए हैं वो कई गुणा बढ़कर एक साल के अंदर करोड़ तक होगा। दूसरा संसद में अच्छे लोग कैसे जाएं ? जो हम किसी को नहीं चुनेंगे। हम किसी का चयन नहीं करेंगे लेकिन लोकशाही में, जनतंत्र में, जनता को कहेंगे कि आप अच्छा कैंडिडेट चुनो और प्रतिज्ञा करो कि बिना रिश्वत लिए वोट करूंगा, चरित्रवान लोगों को ही वोट करूंगा, अच्छे लोग अगर संसद में गए तो कुछ परिवर्तन आएगा, आज तो 163 लोग दागी बैठे हैं,35 मंत्रियों में से 15 पर तो आरोप लगे हैं, उनमें से कई पर तो स्पष्ट भी हो गया कि ये करप्ट हैं तो आज की संसद में कई लोग बैठे हैं, उनमें से भविष्य नहीं है। संसद में हम अच्छे लोग कैसे भेजें, इसकी चाबी जनता के हाथ में है। सिर्फ जनता को इस एलेक्शन में तय करना है कि वह सिर्फ चरित्रशील आदमी को वोट करेगी चाहे वह सत्ता में बैठे या विपक्ष में। अच्छे लोगों का चयन होना चाहिए।
प्रश्न- अच्छे लोग राजनीति में आने चाहिए। आप इसको बहुत ज़्यादा महत्व देते हैं।
अन्ना- दो बातें, एक अच्छे लोगों को संसद में भेजना और दूसरा जनशक्ति के दबाव से राजशक्ति का निर्माण करना। ये हमारी नीति आगे के लिए है।
प्रश्न- अन्ना आपने बहुत दिनों पहले जनलोकपाल का मुद्दा उठाया था, उसके बाद देश में बहुत उथल-पुथल हुई, आप जेल भी गए थे। एक बहुत बड़ा आंदोलन आपके समर्थन में शहर-शहर गांव-गांव में उभर कर आया था, आज आपको ऐसा नहीं लगता कि कई और मुद्दे आ गए, जिससे इसका महत्व कम हो गया है। क्या आज भी आप इस मुद्दे से उतने
ही जुड़े हैं जितना पहले थे।
अन्ना- अगर ऐसी बात होती तो आज हमारे पास जिन लोगों ने देश भर के लोगों ने लेटर भेजे हैं उनमें से सवा चारसौ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि वो अपना जीवन समर्पित करने के लिए तैयार हैं और जो लाखों लोगों के पत्र आए हैं उनका कहना है कि वे आंदोलन के साथ जुड़ना चाहते हैं। इतने हाई लेवल के लोग जो रिटायर हो गए वे इसके साथ जुड़ना चाहते हैं। तो ऐसी बात नहीं है, इतना है कि भीड़ कम हो गई जो भीड़ दिखाई देती थी, वह कम हो गई लेकिन दिल से जुड़े हुए लोग आज भी देश के साथ खड़े हैं।
प्रश्न- आप जनलोकपाल से उतने ही आज जुड़े हैं जितने कि इससे पहले ?
अन्ना- जनलोकपाल को छोड़ा नहीं। जनशक्ति का दबाव निर्माण करना, उसमें पहले जनलोकपाल, उसके बाद राइट टू रिजेक्ट, राइट टू रिकॉल, ग्राम सभा को पावर, जनता की सनद ये सब क़ानून पास कराने का सरकार पर भार पड़ना है। इसीलिए जनशक्ति का दबाव बने और मुझे विश्वास हो रहा है, अभी 2014 का इलेक्शन आ रहा है इससे पहले ही जनलोकपाल आएगा ये मुझे विश्वास हो रहा है।
प्रश्न- पिछले कुछ दिनों से आपने अरविंद केजरीवाल जी की देखा होगा कि वो राजनीतिज्ञों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। चाहे वो कांग्रेस के हों या विपक्ष के, ये जो स्ट्रैटजी जो उन्होंने बनाई है, क्या आप उससे सहमत है, क्या आप अरविंद जी को गाइड करते हैं, इसके तथ्यों, आरोपों की जांच कौन करेगा ?
अन्ना- मैं इस बात को मानता हूं कि अगर उनके पास सबूत हैं तो आरोप
लगाना दोष नहीं। अगर जिन पर आरोप लगे हैं उनको लगता है कि ये आरोप गलत हैं और उनकी हुई है तो वे न्यायालय में जा सकते हैं। नुकसान भरपाई का दावा कर सकते हैं। ये एक बात है, दूसरा ये कि ये सब लोगों को
एक साथ में पकड़ना ठीक नहीं। एक मंत्री को पकड़ा, दूसरे मंत्री को पकड़ा, तीसरे को पकड़ा। एक ही साथ में सब पर आरोप हो जाएंगे तो वे संगठित हो जाएंगे और वो आपको बदनाम करेंगे।
प्रश्न- आपको नहीं लगता है कि अरविंद कुछ ज़्यादा तेज़ रफ्तार से काम कर रहे हैं जिसके चलते उनके आरोपों की गंभीरता कम हो गई है ?
अन्ना- मेरी आंख का ऑपरेशन हुआ था तो मैंने 13 दिन से न तो टीवी देखा और ना ही अखबार पढ़ा। क्या घटनाएं हो गईं, वो मुझे भी नहीं पता। ये सलमान खुर्शीद की बात तो मुझे अभी समझ आ रही है। क्य़ा आरोप हुए
थे मुझे भी नहीं पता।
प्रश्न- रॉबर्ट वाड्रा जी, नितिन गडकरी जी के ऊपर आरोप लगे थे, जिसकी जानकारी आपको नहीं है ?
अन्ना- अगर प्रूफ है तो एक-एक कर आगे जाना चाहिए।
प्रश्न- दूसरी तरफ आप देखेंगे तो कांग्रेस और जो आपके मूवमेंट के साथ जुड़े हुए थे वाई पी सिंह जो एक आईएएसअफसर हैं। उन्होंने भी अरविंद केजरीवाल जी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे। आप क्या कहेंगे इसे बारे में ?
अन्ना- नहीं वो तो मुझे पता नहीं है, उनके दिल में क्या है। क्या आरोप लगाए थे। क्या उनके पास सबूत हैं, ये मुझे पता नहीं। कई लोगों का काम होता है आरोप लगाना, वे ऐसा करते रहते हैं। जैसे मेरे ऊपर भी आरोप लगाए थे। आपका लवासा प्रकरण हैं। अभी उनको पता नहीं। लवासा के बारे में इतनी (हाथ से इशारा करते हुए ) फाइलें है मेरे पास। मेधा पाटकर हम लोग मिलकर ये आंदोलन चलाया और हमारे चौधरी हैं विशंभर उसने
फिर हाईकोर्ट में केस दर्ज किया और उसे स्टे मिला। मैं उस पर इतना बोला हूं। सरकार ने इतना गलत किया है, बहुत गलत किया है। अगर इसकी न्यायिक जांच हो गई तो इनमें से कई लोग जेल जाएंगे।
प्रश्न- अन्ना जी, भ्रष्टाचार की जो लड़ाई है वो दीर्घकालीन लड़ाई है और उसमें कई मुश्किलें आती हैं जैसे कि अरविंद केजरीवाल जी की प्रेस कांफ्रेंस में एनी कोहली ने हंगामा खड़ा किया था। तो आपको नहीं लगता की
आईएसी के सामने मुश्किलों के पहाड़ खड़े हो रहे हैं?
अन्ना- नहीं कौन सा हंगामा हुआ। मुझे पता नहीं क्या हुआ है। मुझे आजकल की घटनाओं के बारें में जानकारी नहीं है।
प्रश्न- अभी एक पॉलिटिकल मूवमेंट में जो आपके साथ थे केजरीवाल, उन्होंने एक पॉलिटिकल पार्टी की घोषणा की है। आपको क्या लगता है बतौर नेता अरविंद केजरीवाल कैसे हैं। क्या दीर्घकालीन ऐसी पार्टी का प्रमुख होने की क्षमता वो रखते हैं, इतनी परिपक्वता उनमें हैं?
अन्ना- वो हैं या नहीं मैं नहीं जानता लेकिन एक बात का मुझे विश्वास है आज तक 65 साल की राजनीति से इस देश के लिए भविष्य मिलेगा ऐसी उम्मीद नहीं रही क्योंकि सत्ता से पैसा पैसे से सत्ता ये कालचक्र घूम रहा है
और कितना भी हम सोचें फिर भी राजनीति में सब लोग ईमानदार आएंगे ऐसा कहने के लिए मुझे को इतना ढाढस नहीं होगा क्योंकि कुर्सी का गुणधर्म ऐसा है कि चेयर पर बैठने के बाद बुद्धि पलट जाती है तो ऐसी स्थिति में राजनीति में ऐसे लोग हमें मिलेंगे त्यागी, चरित्रशील ये कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन वो रास्ता मैं गलत नहीं समझता लोकशाही को स्वीकार किया है।
प्रश्न- क्या अरविंद केजरीवाल इसको संभाल पाएंगे। क्या उतनी लीडरशिप, परिपक्वता उनमें हैं ?
अन्ना- अब ये मैं कैसे बोल सकता हूं उनका जो डेयरिंग, उनकी सोच, उनकी कार्यक्षमता इसके बारे में, मैं नहीं बोल सकता।
प्रश्न- एक दूसरी महत्वपूर्ण बात पर आपके विचार चाहूंगा कि अगस्त के संसद सत्र में कोल के आवंटन का, आउट ऑफ टेंडर कह सकते हैं, आवंटन का मुद्दा उठा था जिसके कारण 1 लाख 86 हज़ार करोड़ का घोटाला देश के
सामने आ गया लेकिन लगता है कि आज सारे मीडिया से लेकर सब लोग इसे भूल गए हैं क्या आपको इसके पीछे साज़िश लग रही है ?
अन्ना- ( मुस्कराकर) ऐसा होने के कारण मुझे ये महसूस हो रहा है कि ये कोयला में कई लोगों के हाथ काले तो नहीं हुए।
प्रश्न- सबके हाथ काले हुए, इसके कारण बंद हो गए जो सत्ता में है या विपक्ष में हैं ?
अन्ना- अभी संसद को चलने नहीं दिया और अभी कई लोग बोल रहे हैं कि अभी कोयला नहीं निकालेंगे हम तो फिर किसलिए इतने करोड़ रुपए का नुकसान किया संसद का मतलब जनता का तो इसमें कुछ ना कुछ तो गड़बड़ी हो सकती है कि आज सब चुप बैठ गए।
प्रश्न- विपक्ष की चुप्पी क्या आपको किसी बड़े षड्यंत्र का आपको आभास नहीं दिलाती ?
अन्ना- पूरे देश में गांव-गांव तक देश में बच्चों को भी पता चला कि कोयला घोटाला क्या है और फिर चुप हो गए तो इसमें संदेह के लिए कारण बनता है।
प्रश्न- कोयला घोटाले में कुछ ऐसे नाम देश के सामने आए थे जो पहले इंडस्ट्रीयलिस्ट रह चुके थे अब वो राजनीतिज्ञ का चोला पहन कर देश के सामने आए हैं, लेकिन इस देश के जो प्राकृतिक संसाधन हैं, उनको हड़प रहे हैं। क्या लगता है आपको इसके बारे में जैसे कि नवीन जिंदल हैं, विजय दर्डा हैं। इन्होंने जिस प्रकार से कोयले को अपने हाथ में लिया, आवंटन को अपने हाथ में लिया और लाखों करोड़ों रुपए का गैर व्यवहार किया, आपको क्या लगता है इसके बारे में ?
अन्ना - मेरे सामने कभी-कभी बहुत बड़ा सवाल बन जाता है कि ये देश कहां जाएगा। मतलब, औद्योगिक क्षेत्र के लोग पैसे के आधार पर चुनकर आते हैं और संसद में जाने के बाद ये जो गड़बड़ी करते हैं, वो आज दिखाई दिया न कोयला में। संसद में जाकर कैसे इन लोगों ने अपने पद का दुरुपयोग किया।
प्रश्न- एक मिलीभगत सामने आई ?
अन्ना- ये जो ख़तरे हैं देश के लिए और विशेष तौर पर आज जो दोहन हो रहा है प्रकृति का इसमें भी बहुत ख़तरा है।
प्रश्न- और कुछ इंड्रस्टीयलिस्ट ये कर रहे हैं ?
अन्ना- ये बहुत ख़तरा है क्योंकि दोहन करके किया हुआ विकास सही विकास नहीं है तो कभी न कभी विनाश होगा। इसीलिए महात्मा गांधी कहते थे प्रकृति ने हमें जो देन दी है उसी का उपयोग करो और व्यक्ति, परिवार, गांव स्वावलंबी कैसे बने इसके बारे में सोचो। आज भूगर्भ, भूकष्ट और जंगल का शोषण-दोहन चल रहा है।
प्रश्न- जो इंडस्ट्री से आए थे..?
अन्ना- सब लोगों को मैं दोष नहीं दूंगा। कई अच्छे लोग हैं लेकिन उनका चलता नहीं और दूसरी बात ये है कि राजनीति में हमारे राष्ट्र से पक्ष के लिए महत्व बढ़ गया और पक्ष से व्यक्ति का महत्व बढ़ गया और व्यक्ति का
महत्व ये लोकशाही के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है। क्योंकि व्यक्ति का महत्व बढ़ेगा तो घरानाशाही, फिर घरानाशाही से उसका लड़का एमएलए, एमपी बनेगा, मंत्री बनेगा। ये जो घरानाशाही है वो लोकशाही के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है।ये जनता को सोचना है कि ये घरानाशाही को खत्म करना है और जो अपने फायदे के लिए संसद में जाते हैं जनता को उन्हें रोकना है। जनता के हाथ में चाबी है, इस बारे में जनता को सोचना है।
प्रश्न- दूसरा फर्क मैं आपके सामने लाना चाहूंगा वो है टूजी घोटाला और कोयला घोटाला। इनमें फर्क ये है कि टूजी घोटाले में जो भी इन्वॉल्व थे, जो भी दोषी पाए गए या जिन पर आरोप हो गए उनमें से बहुत सारे जेल में गए। उनमें से कुछ ब्यूरोक्रेट भी थे लेकिन आज कोल घोटाले में जो हैं उनका जेल में जाने का नाम ही छोड़िए, उनके ऊपर कोई आंच भी नहीं आई है। क्या लगता है इसके बारे में आपको ?
अन्ना- इसके बारे में एक बात कहूंगा। सरकार चलाने वाले जो लोग हैं उनका सामाजिक, राष्ट्रीय दृष्टिकोण नहीं रहा। इस देश की आज़ादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी, उनकी याद नहीं रही. दूसरी तरफ स्वार्थ बढ़ गया। सत्ता से पैसा, पैसे से सत्ता आज लखपति बन गया, करोड़पति बन गया, रुकता नहीं, अरबपति बन गया, रुकता नहीं। ये भूल गए कि एक दिन मरना है और खाली हाथ जाना है। ये जो बातें हो रही हैं पॉलिटिक्स में कि सब लोग बुरे हैं ऐसा मैं नहीं मानता। कई लोग अच्छे हैं लेकिन कई लोगों ने एक रैकेट बना दिया देश को लूटने के लिए।
प्रश्न- कुछ नाम लेना चाहेंगे आप जो इंडस्ट्री के लोग हैं।
अन्ना - नहीं, मेरे ऊपर 11 जगह कोर्ट में दावे हैं और मैं चक्कर काट रहा हूं। मेरी बदनामी और बेइज्जती की। अरे, बेइज्जती किया, ऐसा लगता है जिनको इज्जत होती है उनकी बेइज्जती होती है।
प्रश्न- मतलब, कोल घोटाले में ऐसे लोग इन्वॉल्व हैं जिनकी कोई इज्जत या कोई नाम नहीं है। आपको ऐसा नहीं लगता कि कोल घोटाले पर देश को फिर से फोकस करना चाहिए ?
अन्ना- बिल्कुल वो तो सीबीआई, इससे कुछ हासिल नहीं होगा।
प्रश्न- कैसे करेंगे फिर ?
अ्न्ना- इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। सरकार ने अगर दिल में लाया तो न्यायालय से कमेटी बनाकर इसकी जांच हो सकती है और डीप में जाकर इनक्वायरी होगी तो टूजी में जितने लोग जेल में नहीं गए उससे ज़्यादा जेल में जाएंगे।
प्रश्न- अन्ना एक जनवरी अगले साल से आप पूरे देश का दौरा करने वाले हैं। क्या इस दौरे में आपके लिए कोल घोटाला सबसे अहम रहेगा क्योंकि इतना बड़ा 1 लाख 86 हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है। क्या अन्ना जैसा व्यक्ति जिसके आने से एक आंदोलन को गति मिलती है, दिशा मिलती है, ताकत मिलती है। क्या कोयला घोटाले के मामले को फिर से उठाएंगे ?
अन्ना- ज़रूर, क्यों नहीं उठाएंगे। देश के भूजल, भविष्य के लिए उठाना ही चाहिए जो इस देश को बर्बाद करने वाले आ रहे हैं। अंग्रेज़ों ने डेढ़ सौ साल में जितना नहीं लूटा, 65 साल में उससे ज़्यादा आप लोग लूट रहे हैं तो क्यों नहीं बोलना चाहिए। जब देश के बारे में प्रेम है, इसको उठाना ही चाहिए और मैंने तो लाइफ समाज और देश की भलाई केलिए अर्पण किया क्यों न बोलूं मैं ये बुराई के लिए बोलना मेरा फर्ज है।
प्रश्न- क्या आपको नहीं लगता कि कोयले में फंसे दलालों को सज़ा होनी चाहिए ?
अन्ना- बिलकुल होनी चाहिए लेकिन सज़ा तब होनी चाहिए उसकी जांच होने के बाद। उसमें जब ये दिखाई देगा, स्पष्ट तरीके से रिपोर्ट आ जाएगी कि ये दोषी है उनको तो सज़ा होनी ही चाहिए और सिर्फ ऐसी सज़ा नहीं,
कठोर सज़ा होनी चाहिए, जन्मठिप( आजीवन)।
प्रश्न- फांसी भी आप इसको...।
अन्ना- फांसी को मैं बोलता था। अब कई लोगों ने बोला फांसी मत बोलो लेकिन जन्मठीप ठीक है।
प्रश्न - कोयला घोटाले में जो इन्वॉल्व हैं, दोषी पाए जाने पर उन्हें जन्मठिप की सज़ा होनी चाहिए ?
अन्ना- अगर जन्मठिप की सज़ा हुई तब भी दिमाग ठिकाने पर आ जाएगा।
प्रश्न- आपको नहीं लगता कि इसमें जो राजनीतिज्ञ लोग इन्वॉल्व हैं, उनसे स्पष्टीकरण मांगे कि आप पर इतने आरोप लग रहे हैं। ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है ?
अन्ना- वो बोल ही नहीं सकते ना, सरकार चलाना है ना तो सरकार चलाना है तो गुंडा है, लफंगा है, लुटेरा है, भ्रष्टाचारी है सबको लेके जाना पड़ता है। क्या वजह है, चुप रहने के लिए कुछ न कुछ तो वजह है और इतने
घोटाले बाहर आ गए जो-जो बैठे हैं इससे देश आगे बढ़ेगा ?
प्रश्न- कोल का इतना बड़ा घोटाला आया, सब चुप क्यों हैं ?
अन्ना- तो यही बात है वो नहीं बोल सकेंगे। न मनमोहन सिंह बोल सकेंगे, न सोनिया जी बोल सकेंगी और न राहुल गांधी जी बोल सकेंगे क्योंकि उनको सरकार चलानी है। आज बहुत सी सरकारें ऐसे लोगों के आधार पर ही तो चल रही है कि जिसके पीछे वोट का काफी बड़ा गट्ठा है।
प्रश्न- अन्ना जी आपने अपने जीवन में जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया है वो राइट टू इन्फॉर्मेशन का किया है जिसके तहत बहुत सारे तथ्य दुनिया के सामने आ रहे हैं लेकिन हाल ही में प्राइम मिनिस्टर ने भी कहा है कि
इसका दुरुपयोग हो रहा है आप क्या कहेंगे इसके बारे में ?
अन्ना- ये दुरुपयोग हो रहा है ये बात कहना थोड़ा ठीक नहीं होगा। दुरुपयोग क्यों हो रहा है इसके बारे में क्यों नहीं सोचते। क़ानून बनने के बाद 7 साल बीत गए। सभी डिपार्टमेंट को अपनी वेबसाइट ओपन करनी चाहिए और सब जानकारी उसमें दे देनी चाहिए। ऐसा करने पर गलत होने का सवाल ही नहीं है। ये तो करते ही नहीं हैं। सिर्फ ऊपर-ऊपर से बोलते हैं, गलत हो रहा है, इसका नाजायज़ फायदा उठा रहे हैं। ये कलम नंबर चार का अमल क्यों नहीं करते। उसको नेट पर डालने के लिए बताओ सब डिपार्टमेंट को, तो कोई भी उसमें गलत करने का गुजाइश नहीं है।
प्रश्न - सोनिया जी ने आरटीआई को सबसे बड़ी उपलब्धि बताया, लेकिन जो आरटीआई एक्टिविस्ट हैं उनकी जान आज जोखिम में है उनको बचाने के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। क्या लगता है आपको ?
अन्ना- इसीलिए तो हम पीछे पड़े थे। व्हिसिल ब्लोअर एक तो जनता में कोई ढाढस नहीं करता है अभी तक हमारे देश में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है और हम सरकार को बोल रहे हैं कि इनको प्रोटेक्शन दे दो। सरकार नहीं दे रही है। नाजायज़ लोगों के पीछे तो जवान घूम रहे हैं, ज़रूरत न होते हुए भी और जिनको ज़रूरत है उनको नहीं दे रहे हैं तो इस देश से करप्शन कैसे मिटेगा। करप्शन मिटाने के लिए जो लोग खड़े हैं उनको आप सपोर्ट नहीं करते, उनको प्रोटेक्शन नहीं देते तो करप्शन कैसे मिटेगा तो इसके लिए जनशक्ति का दबाव निर्माण करना पड़ेगा।
प्रश्न- पिछले कुछ दिनों से आप आंख के ऑपरेशन की वजह से टीवी नहीं देख रहे थे। अखबार नहीं पढ़ रहे थे इसलिए आपको जानकारी के लिए बताता हूं, एक आरटीआई एक्टिविस्ट थे रमेश अग्रवाल, जिनके पीछे `ज़ी न्यूज़` डट कर खड़ा रहा क्योंकि वो कोयला घोटाले में जो नवीन जिंदल इन्वॉल्व थे, उनके बारे में बहुत सारे तथ्य दुनिया के सामने लाए थे, आज उनकी जान ख़तरे में है। आपको क्या लगता है इसके बारे में, इसके बारे में क्या कहना चाहिए ?
अन्ना- इनकी जान अगर ख़तरे में हैं तो उनको सपोर्ट करने के लिए हम भी अपनी जान की बाज़ी लगाएंगे अगर कोई ऐसी सच बातों के लिए आगे आता है और उसकी जान अगर खतरे में आती है तो ऐसे लोगों के सपोर्ट के लिए हम भी अपनी जांन गंवाने को तैयार हैं। करेंगे हम सिर्फ हमें पता होना चाहिए कि कैसे-कैसे क्या हो रहा है। देश में घूमकर लोगों के
सामने रखेंगे हम।
प्रश्न- तो आप हिंदुस्तान को आश्वस्त कर रहे हैं, इस इंटरव्यू के ज़रिए कि आप फिर से कोयला घोटाले को अपना अहम मुद्दा मानेंगे। इसमें आरटीआई एक्टिविस्ट जो भी इन्वॉल्व है, जिनकी आज जान खतरे में हैं आप उनके साथ हैं और जो भी इस घोटाले में दोषी पाए जाएंगे इसके लिए आप सख्त से सख्त उम्र क़ैद की सज़ा की मांग करते हैं ?
अन्ना- नहीं, इसको तो हम जनता पर छोड़ देंगे। जब सभा में जनता से पूछेंगे कि आपको क्या लगता है भाई, ये कोयला घोटाले में सज़ा होना चाहिए कि नहीं तो ये भी सरकार को देखना चाहिए। दिल्ली में बैठकर कितने लोग हाथ ऊपर किए हैं उसका भी असर हो जाएगा. वो भी काम करना हैं लेकिन आपका जनलोकपाल, राइट टू रिजेक्ट,ये काम भी बहुत ज़रूरी है ये सब को लेकर हमें आगे बढ़ना हैं इस बात को सोचते हैं हम।
प्रश्न- अन्ना जी बहुत दिनों के बाद आपने मीडिया से इतना खुल के बात की और ज़ी न्यूज़ के बहुत सारे सवालों का जवाब दिया इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आप कोयला घोटाले के मामले में जो भी आपका आंदोलन रहेगा, उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं और आपसे विदाई लेते हैं।
राहुल के करीबियों को तरजीह
रविवार को होने जा रहे अहम कैबिनेट बदलाव से ठीक पहले विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, कृष्णा का इस्तीफा मंजूर हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, कृष्णा के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, सामाजिक न्याय मंत्री मुकुल वासनिक और राज्यमंत्री महादेव खंडेला ने भी पद से इस्तीफा दिया है। दूसरी ओर राहुल गांधी के बारे में खबर आ रही है कि उन्हें पार्टी की वर्किंग कमेटी का अध्यक्ष या फिर उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की टीम की अहम सदस्य मीनाक्षी नटराजन को राज्यमंत्री बनाकर युवा एवं खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके अलावा राहुल की टीम के प्रदीप मांझी और तमिलनाडु के युवा नेता मानिक टैगौर को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। इसके अलावा झारखंड से आने वाले आदिवासी चेहरा प्रदीप बालमुचु और पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी को भी राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है।
सहाय पर गिरी कोयला घोटाले की गाज
पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय पर कोयला घोटाले की गाज गिरी है। गौरतलब है कि सुबोध कांत सहाय ने अपने भाई सुधीर सहाय की कंपनी एसके इस्पात लिमिटेड को खदान देने की सिफारिश की थी। झारखंड सरकार और कंपनी के बीच हुए करार पर बाकायदा सुधीर कुमार सहाय के दस्तखत मौजूद हैं। कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए 7 फरवरी 2008 को कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में भी सुधीर बतौर कंपनी डायरेक्टर पेश हुए थे।
कई विवादों से घिरे हैं कृष्णा
माना जा रहा है कि कर्नाटक में तेजी से बदल रहे घटनाक्रम की वजह से कांग्रेस पार्टी उन्हें वहां बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। उनके इस्तीफे की खबर ऐसे समय पर आई है जब स्पेन के किंग जुआन कार्लोस भारत दौरे पर हैं। दरअसल, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अहम बैठक से पहले खबरें चल रही थीं कि कृष्णा की कैबिनेट से छुट्टी की जा सकती है। इसके पीछे कई विवादों को आधार बताया जा रहा है। इनमें मैसूर-बैंगलोर एक्सप्रेस वे स्कैम और कृष्णा का लंदन में टेनिस मैच देखने का कार्यक्रम शामिल है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एसएम कृष्णा, पूर्व सीएम और हाल में बीजेपी छोड़ने वाले बीएस येदियुरप्पा और एचडी देवेगौड़ा के खिलाफ एक्सप्रेस वे स्कैम में लोकायुक्त ने जांच के आदेश दे रखे हैं। इसके अलावा उनके शाही मिजाज को लेकर भी सवाल उठ रहे थे। ऐसा ही एक किस्सा लंदन में टेनिस मैच देखने से जुड़ा है।
शिवराज पाटिल हो सकते हैं विदेश मंत्री
कांग्रेस को लगता है कि वो इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीत सकती है और मुख्यमंत्री पद के दावेदार बतौर एस एम कृष्णा लोगों की पसंद हो सकते हैं। इसी के साथ पंजाब के राज्यपाल की कुर्सी संभाल रहे शिवराज पाटिल को वापस बुलाकर विदेश मंत्री बनाया जा सकता है। साथ ही, सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी को संगठन में जिम्मेदारी संभालने भेजा जा सकता है। ये भी साफ हो गया है कि श्रीप्रकाश जायसवाल से लेकर सुबोधकांत सहाय जैसे मंत्रियों पर कोई आंच नहीं आएगी। इन्हें हटाने का मतलब होगा कि सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर लगे आरोपों को स्वीकर कर लिया है।
कैबिनेट में बने रहेंगे कई दागी मंत्री
मंत्रिमंडल से दागियों की छुट्टी की उम्मीद कम ही है। भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष और सिविल सोसायटी के निशाने पर आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नई टीम के साथ मुकाबले में उतरेंगे। चर्चा है कि रविवार को मंत्रिमंडल को नई शक्ल दी जाएगी। इस फेरबदल में स्वतंत्र प्रभार संभाल रहे कुछ राज्यमंत्रियों को प्रमोशन मिल सकता है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री से राहुल गांधी की हुई मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि फेरबदल में उनकी टीम के कुछ तेज-तर्रार चेहरों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
अजय माकन को मिल सकती है तरक्की
स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री के वी थॉमस, जयंती नटराजन और अजय माकन को तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का बोझ हल्का करते हुए रहमान खान को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया जा सकता है। दो मंत्रालय संभाल रहे कपिल सिब्बल, व्यालार रवि, आनंद शर्मा, वीरप्पा मोइली और सीपी जोशी से एक-एक मंत्रालय लिया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक सीपी जोशी रेल और वीरप्पा मोइली ऊर्जा मंत्रालय संभालेंगे। हालांकि फेरबदल को कांग्रेस प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार बता रही है, लेकिन विपक्षा का दावा है कि इससे सरकार की छवि नहीं बदलेगी। बहरहाल, चर्चा ये भी है कि विदेशमंत्री एस एम कृष्णा को कर्नाटक का प्रभारी बनाया जा सकता है।
रविवार को कौन होगा इन और कौन होगा आउट?
* पयर्टन मंत्री सुबोध कांत सहाय पर कोलगेट के चलते गिरी गाज।
* राज्यमंत्री महादेव खंडेला ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया।
* अंबिका सोनी और मुकुल वासनिक को संगठन में वापस भेजा जाएगा।
* सीपी जोशी रेल मंत्री रहेंगे, सड़क परिवहन मंत्रालय छिनेगा।
* सलमान खुर्शीद कानून मंत्री रहेंगे, अल्पसंख्यक मंत्रालय छिनेगा।
* वीरप्पा मोइली के पास ऊर्जा मंत्रालय रहेगा, कॉरपोरेट अफेयर छिनेगा
* कपिल सिब्बल के पास टेलीकॉम या विदेश मंत्रालय रहेगा।
* कमलनाथ को संसदीय कार्य मंत्री बनाया जा सकता है।
* सरकार में एक मंत्री-एक मंत्रालय का नियम लागू होगा।
* तेल राज्य मंत्री आरपीएन सिंह प्रमोट होंगे।
* राज्य सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री जितिन प्रसाद प्रमोट होंगे।
* रेल राज्य मंत्री के मुनियप्पा का भी प्रमोशन होगा।
* जे कृपारानी को बनाया जा सकता है मंत्री।
* मीनाक्षी नटराजन, प्रदीप मांझी और प्रदीप बालमुचु बनेंगे मंत्री।
* आरोपों से घिरे श्री प्रकाश जायसवाल बचे रहेंगे।
* आरोपों से घिरे सलमान खुर्शीद बचे रहेंगे।
Saturday, October 27, 2012
सत्ता की दोनों धुरियां मुखौटा बदलने की कवायद में लगा दी गयीं।राष्ट्र के सैन्यीकरण की अंधी दौड़ में हम कहां हैं?
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