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Tuesday, October 2, 2012

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एफडीआई में ममता के​ ​ जिहाद के बीच सोनिया गांधी के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपाई कौन सा खेल कर रहे हैं?

माना कि यूपीए अध्यक्ष कोई संवैधानिक पद नहीं है, लेकिन इसी के लिए सोनिया के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनानेवाली भाजपा सरकारी शाहखर्च पर अब तक क्यों चुप रही और अब जब पूरा राष्ट्र पिछले बीस सालों में पहली बार खुले बाजार के खिलाफ लामबंद है, तब आर्थिक सुधारों के बजाय​ ​ सोनिया गांधी को मुद्दा बनाकर उसकी कौन सी राजनीति चल रही है?अपनी क्रिकेट टीम जरूर हार गयी, लेकिन राजनेता कोई दांव हारने के लिए नहीं खेलते। इनकी टी २० में तो हर पक्ष की जीत तय होती है और कोई खेल से बाहर नहीं होता।खेल जारी रहता है संसद में और संसद से बाहर भी।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

कोलगेट की किसी को याद है? स्पेक्ट्रम घोटाले की? और दूसरे घोटालों की​?गौर कीजिए, कैसी टी२० चल रही है और कैसी मैच फिक्सिंग है! भारत ने रोमांचक मैच तो जीता लेकिन खिलाड़ियों के चेहरे मुरझाए हुए थे। यह दृश्य आर प्रेमदासा स्टेडियम में देखने को मिला जहां पर भारतीय टीम आईसीसी विश्व ट्वेंटी-20 के सुपर आठ के आखिरी मैच में दक्षिण अफ्रीका पर एक रन की करीबी जीत के बावजूद नेट रन में पाकिस्तान से पिछड़ने के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गई। भारत के लिए पाकिस्तान के नेट रन रेट से आगे निकलने के लिए इस मैच में 31 रन के अंतर से जीत दर्ज करनी जरूरी थी।अपनी क्रिकेट टीम जरूर हार गयी, लेकिन राजनेता कोई दांव हारने के लिए नहीं खेलते। इनकी टी २० में तो हर पक्ष की जीत तय होती है और कोई खेल से बाहर नहीं होता।खेल जारी रहता है संसद में और संसद से बाहर भी।


​सलमान रश्दी के मामले में जब गिर गयी थी, अमेरिकी सरकार, तब पामेला बोर्डेस का मामला उछाला गया था। ममता बनर्जी ने तो साफ साफ ​​कहा है कि कोलगेट को रफा दफा करने के लिए जनविरोधी फैसले करके फोकस बदलने का मास्टर प्लान बना है। पर एफडीआई में ममता के​ ​ जिहाद के बीच सोनिया गांधी के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपाई कौन सा खेल कर रहे हैं?बच्चा भी यह जानता है, सरकार की तरफ से शाहखर्ची और फिजूल के अन्य खर्चों पर लगाम लागने की बात कहना महज दिखावा भर है। अन्यथा ऐसी शाहखर्ची के नमूने बार-बार सामने नहीं आते, जैसा कि सरकार, उसमें शामिल आला मंत्रिगण और अन्य वरिष्ठ जन प्रतिनिधि गुलछर्रे उड़ा कर रहे हैं। एक साल में मंत्रियों के विदेश दौरों पर 678 करोड़ रुपए फूंकना, यूपीए-2 सरकार की तीसरी सालगिरह के जश्न पर मेहमानों को 7721 रुपए की कीमत की एक थाली का परोसा जाना, कुछ राज्यों में सीएम कार्यालय के एक महीने का चाय-पानी और नाश्ते का खर्च आम आदमी के महीनेभर के पूरे खर्च से 100 गुना ज्यादा होना, वगैरह-वगैरह। माना कि यूपीए अध्यक्ष कोई संवैधानिक पद नहीं है, लेकिन इसी के लिए सोनिया के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनानेवाली भाजपा सरकारी शाहखर्च पर अब तक क्यों चुप रही और अब जब पूरा राष्ट्र पिछले बीस सालों में पहली बार खुले बाजार के खिलाफ लामबंद है, तब आर्थिक सुधारों के बजाय​ ​ सोनिया गांधी को मुद्दा बनाकर उसकी कौन सी राजनीति चल रही है?  गुजरात में विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान पर निकले मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं पर होने वाले फिजूलखर्ची पर निशाना साधा है। मोदी ने कहा कि एक तरफ तो यूपीए सरकार सादगी और मितव्ययता की बात करती है और दूसरी तरफ सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं में जनता की गाढ़ी कमाई के 1880 करोड़ रुपये फूंक दिए जाते हैं। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के विदेश दौरों हुए खर्च को लेकर नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। मोदी ने कहा कि मैंने अखबारों में खबर पढ़ी कि सोनिया गांधी के बीते कुछ सालों में विदेश दौरों पर 1880 करोड़ रुपये खर्च हुए। अब प्रधानमंत्री इस मसले पर देश को जवाब दें।नरेंद्र मोदी ने आज एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सोनिया के विदेश दौरे पर हुए खर्च को लेकर जुलाई में अखबार में खबर छपी थी। कई अखबारों ने सोनिया गांधी के बारे में खबर छापी थी। उन्‍होंने सवाल किया कि यदि खबर गलत थी कांग्रेस और सरकार ने अब तक कानूनी नोटिस क्‍यों नहीं दिया। सोनिया के दौरों पर सरकारी खजाने से हुए खर्च को लेकर मनमोहन सिंह को जवाब देना चाहिए। मोदी ने यह भी पूछा कि क्‍या खर्च का ब्‍यौरा मांगना गलत और गुनाह है। मैं किसी की धमकी से नहीं डरता हूं। सरकार अब तक इस मसले पर चुप क्‍यों है। 2004-12 तक के दौरों की जानकारी सार्वजनिक होना चाहिए।शाम होते-होते उन्हें कहना पड़ा, 'मैंने तो सिर्फ अखबार में छपी खबर ही जनता तक पहुंचाई। यदि वह गलत है तो मैं माफी मांगने को तैयार हूं।'

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर हुए खर्च के बारे में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोपों के कारण उन पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आरएसएस ने दुष्प्रचार की नाजी परंपरा में उन्हें अच्छी तरह प्रशिक्षित किया है।मालूम हो कि अमेरिकी मीडिया और कारपोरेट इंडिया की नजर में नरेंद्र मोदी से बेहतर कोई प्रधानमंत्रित्व का दावेदार नहीं हैं।गुजरात में उनके कारनामे विश्वविख्यात हैं। मनेसर में तालाबंदी के दौरान वे जापान जाकर गुजरात में मारुति कारखाना लगाने का सौदा पक्की कर आये। सिंगुर आंदोलन का फायदा उठाकर सानंद विश्वविद्यालय की जमीन पर नैनो निकाली। आदिवासियों को जमीन से बेदखल करके सांधला सेज की सौगात दी। आर्थिक सुधारों ​
​के मामले में, विदेशी पूंजी की दौड़ में वे अवव्ल हैं।सोनिया पर चर्चा शुरू कराकर क्या सरकारी फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना ही उनका मकसद है? यह नाटक कुछ ऐसा ही है, जैसे कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने महिलाओं पर दिए अपने बयान पर माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो वो माफ करें। श्रीप्रकाश जायसवाल ने अपने जन्म दिन पर आयोजित कवि सम्मेलन में क्रिकेट मैच में जीत पर जश्न की तुलना महिलाओं से की थी। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उनसे सफाई मांगी थी और महिला संगठन ने जायसवाल के इस बयान पर हंगामा शुरु कर दिया था।मोदी और जायसवाल दोनों मसालेदार सनसनी खबरों से कोलगेट और एफडीआई पर मीडिया कवरेज का स्पेस और प्रायरिटी बदलने का जुगाड़ लगा रहे हैं।

सोनिया गांधी के विदेश यात्रा पर किए गए खर्च से संबंधित सवाल पर भाजपा ने कहा है कि इस मामले में सही जानकारी उपलब्ध कराने की बजाय कांग्रेस इस पूरे मामले पर भ्रम फैला रही है। भाजपा ने कहा है कि सोनिया गांधी के स्वास्थ्य संबंधी मामलों का हवाला देकर कांग्रेस इस मामले से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती है।भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उठाए गए इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से दिए जा रहे बयानों की भ‌र्त्सना की है। उन्होंने कहा कि सोनिया गाधी की यात्रा के बारे जानकारी देने से कांग्रेस क्यों पल्ला झाड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में कांग्रेस से सीधा सीधा सवाल पूछा गया था जिसका जवाब जनता सीधा सीधा जानना चाहती है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अगर यह राशि 1880 करोड़ नहीं है तो कितनी है और अगर यह आम जनता का पैसा नहीं है तो कांग्रेस इसका जवाब ना कह कर दे सकती है। निर्मला सीतारमण ने कहा इस मुद्दे पर कांग्रेस बजाय सीधा जबाव देने के जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।

उधर, इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को इसलिए उछाला है ताकि वह गुजरात के वास्तविक समस्या से जनता का ध्यान हटा सके।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने भले ही सोनिया गांधी के विदेश दौरों के समय खर्च धन का विवरण देने से इन्कार किया हो, लेकिन उक्त जानकारी पाने की कोशिश कर रहे आरटीआइ कार्यकर्ता रमेश वर्मा को इसका ब्योरा मिल चुका है कि कांग्रेस अध्यक्ष की विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय दूतावासों ने कितना पैसा खर्च किया? आइटीआइ के जरिये मिली जानकारी के अनुसार, सोनिया के सात विदेशी दौरों के समय उनकी खातिरदारी पर संबंधित देशों में भारतीय दूतावासों-उच्चायुक्तों ने करीब 80 लाख रुपये होटल, गाड़ी, टेलीफोन एवं अन्य मद में खर्च किए।

रमेश वर्मा को यह जानकारी इसलिए मिल पाई, क्योंकि विदेश मंत्रालय ने उनके आवेदन को भारतीय दूतावासों को अग्रसारित कर दिया। इनमें से कुछ ने उन्हें सीधे यह जानकारी प्रेषित कर दी कि उन्होंने सोनिया पर कितना खर्च किया।

दूतावास खर्च की गई राशि

1. जोहानिसबर्ग 14,06,650

2.लंदन [3 अक्टूबर, 2007] - 2,82,913

3.लंदन [15 से 20 मार्च, 2011] 35,91,740

4. ब्रसेल्स [9 से 12 नवंबर, 2006]-8,573

5. म्यूनिख [8 से 10 जून, 2007] - 39,284

6. शंघाई [29 अक्टूबर, 2007] - 14,14,573

7. बीजिंग [7 से 9 अगस्त, 2008]- 12,57,793

अब खबर है कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और उनकी अमेरिकी समकक्ष हिलेरी क्लिंटन के बीच हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान अमेरिकी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर भारत की चिंता, पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों और विस्कोन्सिन के गुरुद्वारों में हुई गोलीबारी पर चर्चा की गई। अमेरिका के वीजा संबंधी इस कदम का भारत की कुछ बड़ी कंपनियों मसलन टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और महिंद्रा सत्यम पर असर पड़ सकता है। भारत इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के साथ विचार-विमर्श कर सकता है।

जाहिर है कि कांग्रेस के समर्थन में भाजपा मुलायम, मायावती या जयललिता की तरह तो नहीं कर सकती। पर आर्थिक सुधार का अश्वमेध बेलगाम चलता रहे, इसे सुनिश्चित करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। अविश्वास परस्ताव या संसद के विशेष सत्र के बारे में कोई दबी जुबान से चर्चा भी ​​नहीं कर रहा है। राजग अध्यक्ष शरद यादव की पैंतरेबाजी तो सबसे दिलचस्प है। उनके मुख्यामंत्री बिहार के सुशासनबाबू कांग्रेस के सात प्रेम की ​​पींगों में निष्णात है तो उन्होंने पहले कह दिया कि अविश्वास प्रस्ताव नहीं लायेगें, फिर बंगाल की शेरनी की जंतर मंतर रैली में शामिल होकर​​ तीसरे मोर्चे की हवा बनायी और अब राजग के प्रमुख घटक जनता दल यूनाइटेड ने मंगलवार को ममता बनर्जी के क्षेत्रीय (फेडरल) फ्रंट के विचारों को कोई खास तवज्जो नहीं दिया। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर केन्द्र की संप्रग सरकार गिर रही होगी तो हम इसे धक्का जरूर मारेंगे।
पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने आज  संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि बगैर धूरी के कोई गठबंधन नहीं चल सकता। गठबंधन के लिए कोई घूरी चाहिए। चक्की तभी चलती है जब कोई धूरी रहती है । जब जनता दल बड़ी पार्टी हुआ करती थी तो थर्ड फ्रंट बनता था। उन्होंने कहा कि अभी राजग की धूरी है भाजपा उसी तरह कांग्रेस संप्रग की और माकपा वाममोर्चे की धूरी है। ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना और केन्द्र सरकार की स्थिरता के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि राजग अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएगी लेकिन अगर कोई यह प्रस्ताव लाता है तो हम उसे तौलेंगे और निर्णय करेंगे। सरकार को गिराना राजग का मकसद नहीं है लेकिन अगर यह गिर रही होगी तो धक्का मारेंगे।

दूसरी ओर अन्ना ब्रिगेड में आपसी के घमासान के बीच प्रसिद्ध योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि नये राजनैतिक दल के लिये चार महीने का इंतजार करें।बाबा रामदेव ने मंगलवार को गांधी जयंती के अवसर पर अपने आंदोलन को नये सिरे से शुरू करने के अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुये कहा कि वह भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ अपने पुराने रूख पर कायम हैं । बाबा से जब यह पूछा गया कि क्या वह नयी पार्टी बनायेंगे तो उन्होने साफतौर पर कहा '' कम से कम तीन या चार महीने का इंतजार करें । आपको मालूम हो जायेगा ।' उन्होने नयी पार्टी के गठन से इन्कार नहीं किया ।अन्ना हजारे टीम के पूर्व सदस्य अरविंद केजरीवाल के बारे में पूछे जाने पर बाबा ने कहा, 'उन्हें पार्टी बनाने दो। उनका घोषणा पत्र आने दो फिर पता चलेगा । पार्टी तो एक मिनट में कोई भी बना सकता है लेकिन सवाल यह है कि पार्टी बनाकर आप कितने लोगों को अपने में जोड़ सकते हैं।'उन्होने कहा कि देश में भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर जो लोग उनसे सहमत नहीं हैं, उनको हम हरायेंगे । जो हमारे मुद्दे पर सहमत होंगे, ऐसे तीन सौ चार सौ लोगों को संसद में पहुंचायेंगे । पत्रकार वार्ता के बाद बाबा हरिद्वार से करीब 35 किलोमीटर 'लिब्ब्रहेडी गांव' से अपना आंदोलन शुरू करने के लिये रवाना हो गये ।

अन्ना हजारे के विरोध के बावजूद अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को समर्थकों के जोरदार उत्साह के बीच अपनी पार्टी का एलान कर दिया। उन्होंने दावा किया कि यह पार्टी कई मायने में मौजूदा राजनीतिक दलों से अलग होगी। उनकी पार्टी ऐसी व्यवस्था लाएगी, जिसमें कोई भी सत्ता में आए, देश को लूट नहीं पाएगा। अन्ना के सवाल का जवाब देते हुए केजरीवाल ने यह भी कह दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़ने के लिए जनता पैसे की कमी नहीं होने देगी।


कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि बिहार में जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन के ज्यादा दिन चलने की संभावना नहीं है और साथ ही संकेत दिया कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ तालमेल के खिलाफ नहीं है बशर्ते कि नीतीश कुमार के संबंध भाजपा से टूट जाते हैं।पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं कहा कि कुछ समय से जदयू जो कुछ भी कर रही है उससे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि उसे बोझा ढोना है। हम नहीं समझते कि बोझा और बोझा ढोने के लिए मजबूरी के बीच सबकुछ ठीक-ठाक है ।

इस बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के फैसले को वह कतई वापस नहीं लेगी। इस फैसले का विपक्ष के अलावा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कुछ सहयोगी विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार ने कहा है कि वह इसे वापस नहीं लेगी, क्योंकि यह फैसला किसानों तथा उपभोक्ताओं के हित में है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने मंगलवार को नई दिल्ली में किसानों के एक समूह का संबोधित करते हुए कहा कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य तो प्राप्त होगा ही, साथ ही इससे रोजगार के लाखों अवसरों का सृजन होगा।कांग्रेस मुख्यालय में किसानों को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा, यह अंतिम निर्णय है। इसे वापस नहीं लिया जाएगा। हम किसी चीज का भय नहीं है। यह फैसला किसानों तथा उपभोक्ताओं के हित में लिया गया।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने बहु ब्रांड खुदरा व्यापार के क्षेत्र में एफडीआई और महंगाई के मुद्दे को लेकर राजधानी में कल एक विरोध रैली का आयोजन किया था। इस रैली में ममता ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और संकेत दिए कि उनकी पार्टी संसद के अगले सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों से उसका समर्थन करने की अपील की। ममता की इस रैली में शरद यादव भी मौजूद थे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर कल हिलेरी के साथ 45 मिनटों की बातचीत के बाद कृष्णा ने कहा कि यह सकारात्मक और रचनात्मक मुलाकात रही। इसमें कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर हिलेरी को चिंता से अवगत कराया गया, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव निकट है और ऐसे में इस मुद्दे पर वाशिंगटन से तत्काल आश्वासन और कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती। कृष्णा ने कहा कि अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं। अमेरिकी पक्ष से इस मुद्दे पर किसी तरह के आश्वासन की अपेक्षा करना ज्यादा उम्मीद लगाना होगा। अमेरिका ने वीजा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी ताकि मैक्सिको के साथ सीमा को सुरक्षित रखने में खर्च में वृद्धि की जा सके। इस साल कृष्णा की हिलेरी के साथ यह तीसरी मुलाकात थी। दोनों ने इसी साल अप्रैल में नयी दिल्ली तथा जून में वाशिंगटन में मुलाकात की थी। अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हिलेरी ने भारत और पाकिस्तान की ओर से परस्पर रिश्तों में सुधार के लिए उठाए गए हालिया कदमों का स्वागत किया। अधिकारी ने कहा कि हिलेरी और कृष्णा ने इसी साल अगस्त में विस्कोन्सिन स्थित गुरुद्वारे में गोलीबारी पर दुख व्यक्त किया। इस घटना में सिख समुदाय के छह लोगों की मौत हो गई थी।

उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन के अनुसार विदेशी निवेशकों के लौटने तथा वैश्विक बाजार में नकदी बढ़ने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स निकट भविष्य में 20,000 अंक तक जा सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि लिवाली के लिहाज से आईटी तथा एफएमसीजी प्रमुख शेयर हो सकते हैं। वहीं, ब्याज दर के प्रति संवेदनशील रीयल एस्टेट, वाहन तथा उपभोक्ता टिकाउ सामान बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी आने में थोड़ा समय लगेगा।

हालांकि बुनियादी ढांचा क्षेत्र के शेयरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। बिजली, सड़क, बंदरगाह तथा हवाई अड्डा क्षेत्र में नीतिगत मुद्दों के हल होने तक इसमें तेजी की संभावना कम है।

एसोचैम ने कहा कि सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1,000 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है लेकिन इसके लिए गति देने की जरूरत है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने घरेलू शेयर बाजारों में 19,000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश किया है। पिछले सात महीने में किसी एक माह में यह सर्वाधिक वृद्धि है।

पिछले कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 18,823.91 के स्तर पर बंद हुआ था।

अध्ययन के अनुसार सरकार ने सुधारों की दिशा में जो कदम उठाया है और अमेरिका तथा यूरोप में केंद्रीय बैंकों द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए उपायों से पूंजी प्रवाह बढ़ा है जिसका असर शेयर बाजार की तेजी पर पड़ा है।

अन्ना की जगह महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री के पोस्टर लगे मंच से केजरीवाल ने कहा, 'सभी दलों ने मिलकर जन लोकपाल आंदोलन को बार-बार धोखा दिया। हमें चुनौती दी गई कि खुद चुनाव लड़कर बनवा लो। आज हम इस मंच से एलान करते हैं कि हम चुनावी राजनीति में कूद रहे हैं। जनता राजनीति में कूद रही है।' इस मौके पर योगेंद्र यादव ने भी कहा कि राजनीति आज का युगधर्म है, इससे अलग नहीं रहा जा सकता।

केजरीवाल ने पार्टी के दृष्टि पत्र, एजेंडा और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया का मसौदा पेश किया। पार्टी के नाम और संविधान का एलान 26 नवंबर को किया जाएगा। वर्ष 1949 को इसी दिन देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था। अन्ना का नाम लिए बिना केजरीवाल ने कहा, 'बार-बार सवाल पूछा जा रहा है कि पैसा कहां से आएगा? लेकिन, ईमानदारी से चुनाव लड़ने के लिए पैसे की जरूरत नहीं होती। मौजूदा नेताओं ने ऐसा माहौल बना दिया है कि राजनीति सिर्फ गुंडों का काम बनकर रह गई है। हमें साबित करना है कि यह देशभक्तों का काम है।'


कैसे अलग होगी पार्टी

1. एक परिवार से एक सदस्य के ही चुनाव लड़ने का नियम

2. पार्टी का कोई भी सांसद, विधायक लाल बत्ती का नहीं करेगा इस्तेमाल

3. सुरक्षा और सरकारी बंगला नहीं लेंगे सांसद, विधायक

4. हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज करेंगे पार्टी पदाधिकारियों पर आरोप की जांच

5. एक रुपये से ऊपर के सभी चंदे का हिसाब वेबसाइट पर डाला जाएगा

बिजली दरें कम करवा कर ही मानेंगे: केजरीवाल

अपनी नई पार्टी के एलान के साथ ही अरविंद केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया है कि उनका पहला ध्यान दिल्ली विधानसभा ही होगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में निजी कंपनियों को फायदा देने के लिए बढ़ाई गई बिजली और पानी की दरों को घटवा कर ही दम लेगी।

केजरीवाल ने पार्टी के एलान के साथ ही दिल्ली के लिए अपने कार्यक्रम का भी ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर को 62 विधासभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ता बिजली बिलों को जलाएंगे। इसके अलावा लोगों को अपील की जाएगी कि वे अपने बिल का भुगतान नहीं करें। इसके बाद आठ अक्टूबर को दिल्ली विद्युत नियामक इस पर सुनवाई करने वाला है। उस दिन इसके दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। फिर भी अगर बिजली की दर नहीं घटाई गई तो चार नवंबर को मुख्यमंत्री के घर का घेराव होगा। केजरीवाल ने यहां तक कहा कि 'अगर सरकार ने आपकी बिजली काटी तो मैं आकर कनेक्शन लगाऊंगा। सरकार चाहे तो मुझे जेल भेज दे।' इसी तरह उन्होंने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर हमला करते हुए कहा कि वे बताएं कि वे दिल्ली की जनता की मुख्यमंत्री हैं या फिर प्राइवेट कंपनियों की।

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