चाहे देश को बेच डालें या फिर काला धन के बंदोबस्त में आम जनता के खिलाफ चांदमारी करें,राजनीति की पिच पर जमे खिलाड़ियों को कोई माई का लाल उखाड़ने वाला नहीं!
भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और घोटालो का परिणति देखिये। पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री एवं 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य अभियुक्त ए. राजा और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के अभियुक्त सुरेश कलमाड़ी को संसद की दो विभिन्न स्थायी समितियों का सदस्य बनाया गया है। गौरतलब है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में राजा को पिछले साल 2 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और वह इस साल 15 मई से जमानत पर रिहा हैं। कलमाड़ी को भी नौ महीने तक जेल में रहने के बाद इस साल 19 जनवरी को जमानत पर रिहा किया गया था।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि कृषि के क्षेत्र में विकास जरुरी है, जिसके लिए दूसरी हरित क्रांति की आवश्यकता है।बिहार कृषि रोड मैप का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि में किसानों को मुनाफा कैसे हो, इस पर अध्ययन होना चाहिए। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत मंत्री ने कहा है कि रिटेल में एफडीआइ का विरोध करने वाले कन्फ्यूज हैं। उन्होंने कहा कि रिटेल में एफडीआई आने से किसानों का भला होगा।
दूसरे चरण के आर्थिक सुधार लागू करने में सरकार और आक्रमक हो गयी है।आर्थिक सुधारों की राह पर चल रहे वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ भी मिले। इस मुलाकात में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामलों पर खास चर्चा हुई।इसके अलावा शोम और केलकर कमेटी की रिपोर्ट पर भी उद्योगपतियों ने अपने विचार वित्त मंत्री के सामने रखे। साथ ही इस बात पर भी चर्चा की कि किस तरह ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट के काम में तेजी लाई जा सकती है। भाजपा की चुनावी महात्वाकंक्षा को चुनौती देते हुए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाजपाई भावी प्रधानमंत्री की आज उन्हीं की केशरिया जमीन गुजरात में खूब खबर ली, तो दूसरी ओर पेंशन बिल और कंपनी कानून समेत तमाम वित्तीय विधेयक पारित कराने की पूरी तैयारी हो गयी है। किसी एक ममता बनर्जी की बंदरघुड़की और कारपोरेट गुलाम सिविलसोसाइटी की मुहिम नरसंहार संस्कृति पर अंकुश तो नहीं लगा सकती।भाजपा के सूरजकुंड अधिवेशन में तो लोककल्याणकारी सुधारों पर मुहर लग ही चुकी है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अमेरिकी कंपनियों को दो मिनट में जमीन दिलाने का वायदा करके भाजपाई स्वदेसी अर्थशास्त्र की कलई भी खोल दी।बुधवार को गुजरात में चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया। लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने को बेकरार नरेंद्र मोदी कमर कस कर मैदान में उतर पड़े हैं, लेकिन दांव उन्होंने पुराना ही चला है। विकास का दम भरने वाले नरेंद्र मोदी अब चुनाव को मोदी बनाम सोनिया गांधी की शक्ल देने की कोशिश में हैं। वो चाह रहे हैं कि चुनाव उनके इर्दगिर्द सिमट कर रह जाए और इसीलिए उन्होंने सोनिया गांधी पर निजी हमले करने भी शुरू कर दिए हैं।कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुजरात में चुनाव अभियान शुरू करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है।राजकोट में हुई रैली में नरेंद्र मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बीजेपी ने खिल्ली उड़ाई है।राजकोट में दिए भाषण में सोनिया गांधी ने इस बार नरेंद्र मोदी पर कोई निजी टिप्पणी नहीं की, लेकिन उनके विकास और सुशासन के दावों पर सवाल उठाए।हालांकि इससे एक दिन पहले मोदी ने आरोप लगाया था कि सरकार ने सोनिया के विदेशी दौरों और उपचार पर 1800 करोड़ रुपए खर्च कर डाले हैं।पर इसके जवाब में सोनिया ने इतना भर कहना ही मुनासिब समझा कि विपक्ष निराधार आरोप लगा रहा है जिस वजह से अहम मुद्दे नज़रअंदाज़ हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "गुजरात में जब गरीब लोग अपने हक माँगते हैं तो उन्हें गोलियाँ मिलती हैं।"
गुजरात विधानसभा चुनाव दिसंबर में होना है।अपने भाषण को सोनिया बनाम मोदी न बनाते हुए इस बार सोनिया गांधी ने गुजरात सरकार को राज्य का समुचित विकास न करने के लिए कोसा। केंद्र के हालिया आर्थिक सुधारों का जोरदार बचाव करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज विपक्ष पर खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया और जोर दिया कि किसानों को उनके उत्पादों की सही कीमत मिलें इसके लिए उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे । डीजल मूल्य वृद्धि और एलपीजी सिलेंडरों की सीमा तय करने के मुद्दों पर सोनिया ने कहा कि प्रदेश सरकारों को भी जनता को राहत देने के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए जबकि केंद्र ऐसा कर रही है ।
केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इन बातों को बकवास करार दिया कि ज्यादातर मंत्री रिश्वत लेते हैं और चुनौती दी कि कोई यह साबित कर दिखाए कि उसने ऐसी कोई पेशकश की।
उन्होंने बीबीसी से कहा, 'क्या आप भारत या दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति ढूढ़ पाएंगे जो मेरे सामने खड़ा होकर कहेगा कि मैंने आपको एक भी रुपया रिश्वत दिया। यह कहना बिल्कुल ही बकवास है कि ज्यादातर मंत्री रिश्वत लेते हैं ।'
उनसे इस धारणा के बारे में पूछा गया था कि ज्यादातर मंत्रियों ने कभी न कभी रिश्वत ली और क्या उन्हें भी रिश्वत मिली या लालच दिया गया।
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत नौ फीसदी की विकास दर पर लौटेगा, उन्होंने कहा, 'जब निवेश 37-38 फीसदी हो जाएगा हम नौ फीसदी वृद्धि दर पर लौटेंगे।'
उन्होंने कहा कि काफी कुछ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है। इसी के साथ उन्होंने जवाबी सवाल किया, 'क्या आप मुझे बता सकते हैं कि कब वैश्विक अर्थव्यवस्था चार फीसदी की दर से विकास करेगी?.'
वर्ष 2008 में वैश्विक वित्तीय बाजार के टूटने से भारत की विकास दर लुढ़क गयी, उससे पहले भारत नौ फीसदी की दर से विकास कर रहा था . वर्ष 2011-12 में देश की वृद्धिदर लुढ़ककर नौ साल की सबसे निचली दर 5.6 फीसदी पर आ गयी।
दूसरी ओर, ग्वालियर से सत्याग्रहियों का हुजूम दिल्ली के लिए चल पड़ा है। कोई बिहार से हजार किलोमीटर का सफर करके पहुंचा है, तो कोई उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाकों से। जमीन पर हक और भूमि सुधार नीति की मांग को लेकर जन सत्याग्रह यात्रा में शामिल होने देश के लिए कोने−कोने से गरीब और भूमिहीन आए हैं। इन हजारों लोगों में ज्यादातर के पास दो गज जमीन भी नहीं है ।सरकार की साख गिरने के बाद अब भूमिहीन खेतिहर मजदूर भी उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे ही एक लाख पद यात्रियों को समझाने गए दो केंद्रीय मंत्रियों को ग्वालियर से मंगलवार को खाली हाथ लौटना पड़ा। वजह सिर्फ यह थी कि चार साल पहले जब दिल्ली में ही इन्हीं एक लाख लोगों ने जमघट लगाया था, तब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद का गठन कर दिया गया था। चार साल बीत गए लेकिन परिषद की एक बैठक तक नहीं हुई। इसीलिए खफा भूमिहीन आदिवासियों ने फिर दिल्ली की ओर कूच कर दिया है।सरकार ने मंगलवार को भी उनके साथ छलावा किया। ग्वालियर जाने वाली टीम में पहले मुद्दे से जुड़े चार बड़े मंत्रियों को जाना था, जिसमें नोडल मंत्री किशोरचंद्र देव भी शामिल थे, लेकिन उन्हें नहीं भेजा गया। सिंधिया को तो ग्वालियर का होने के नाते भेजा गया। झोपड़ी बनाने भर को जमीन की मांग कर रहे भूमिहीन खेतिहर मजदूर और आदिवासियों का हुजूम केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से शुरू होकर देश के 25 राज्यों के कुल 352 जिलों की पांच हजार किमी की पद यात्रा कर चुका है। ग्वालियर पहुंचे इन पद यात्रियों का अंतिम पड़ाव राजधानी दिल्ली है, जहां पहुंचने में 16 दिन और लगेंगे। इसका एलान उन्होंने बहुत पहले ही कर दिया था। लेकिन केंद्र सरकार की आंख तब खुली, जब इन गरीबों व मजलूमों का हुजूम दिल्ली के नजदीक आ धमका।डेढ़ साल से सिविल सोसाइटी के आंदोलनों से आजिज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एकता परिषद के नेतृत्व में दिल्ली की ओर बढ़ रही इस मुसीबत को रोकने का जिम्मा संबंधित विभागों के मंत्रियों को सौंपा। भूमि संसाधन, ग्रामीण विकास, आदिवासी मामले, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता के मंत्रियों को इनसे वार्ता करने को कहा गया। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के नेतृत्व में बुधवार को किशोरचंद्र देव, मुकुल वासनिक और ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर जाना था। लेकिन ऐन वक्त पर सिर्फ जयराम रमेश और सिंधिया को चार्टर्ड हवाई जहाज से ग्वालियर भेजा गया।ग्वालियर के मेला मैदान में अनुशासित तरीके से बैठे लाखों भूमिहीन व आदिवासियों के समक्ष दो घंटे से अधिक चली भाषणबाजी के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। दरअसल जिस परिपत्र पर हस्ताक्षर होना था, उसे पेश नहीं किया जा सका। दोनों ओर से एक-दूसरे के लिए विस्तार से लिखे पत्र जारी किए गए। सरकार की ओर से जहां 11 अक्टूबर को दिल्ली में एक और बड़ी बैठक का प्रस्ताव रखा गया, वहीं आंदोलनकारियों ने इसे स्वीकार करते हुए तब तक पदयात्रा जारी रखने का एलान कर दिया। पदयात्रियों को पटाने में केंद्रीय मंत्रियों का राजनीतिक व रणनीतिक कौशल काम नहीं आया।
भारतीय क्रिकेट टीम के सीनियर खिलाड़ियों की विदाई का वक्त आ गया है , पर राजनीति की पिच पर जमे खिलाड़ियों को कोई माई का लाल उखाड़ने वाला नहीं है । चाहे देश को बेच डालें या फिर काला धन के बंदोबस्त में आम जनता के खिलाफ चांदमारी करें। लगातार तीसरी बार आईसीसी टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहने के बाद बीसीसीआई को इस प्रारूप में कुछ सीनियर खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में कड़े फैसले लेने होंगे ।संदीप पाटिल की अध्यक्षता वाली नयी चयन समिति को तय करना होगा कि वे मौजूदा टी20 टीम में आमूलचूल बदलाव चाहते हैं या कुछ सीनियर खिलाड़ियों को क्रमबद्ध तरीके से विदाई देना चाहेंगे ।
भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और घोटालो का परिणति देखिये। पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री एवं 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य अभियुक्त ए. राजा और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के अभियुक्त सुरेश कलमाड़ी को संसद की दो विभिन्न स्थायी समितियों का सदस्य बनाया गया है। गौरतलब है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में राजा को पिछले साल 2 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और वह इस साल 15 मई से जमानत पर रिहा हैं। कलमाड़ी को भी नौ महीने तक जेल में रहने के बाद इस साल 19 जनवरी को जमानत पर रिहा किया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कोयला घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच का हवाला देते हुए कोयला खान आवंटन से जुड़ी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत देने से इनकार किया है। सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत दाखिल एक सवाल के जवाब में पीएमओ ने जांच का उल्लेख कर जानकारी देने से इन्कार कर दिया है।पीएमओ ने कहा है कि मामले में मौजूदा सीबीआई जांच को ध्यान में रखते हुए आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (एच) के संदर्भ में सूचना का खुलासा फिलहाल रोका जा सकता है। कानून की यह धारा के तहत यदि किसी सूचना के प्रकट करने से जांच प्रक्रिया या दोषियों के अभियोजन में संभावित अड़चन आ सकती है तो उसे रोका जा सकता है।वकील विवेक गर्ग ने आरटीआई के तहत कोयला खान आवंटन के संबंध में केंद्रीय कोयला मंत्री तथा प्रधानमंत्री के बीच सभी बैठकों का ब्यौरा, फैसलों, मंजूरियों तथा कोयला मंत्रालय तथा पीएमओ के बीच अन्य संवाद या पत्रों की प्रतियां मांगी थी।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए बड़े सुधार की सिफारिश करते हुए सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने बिजली शुल्क और रेल किराया बढ़ाने का सुझाव दिया है। एचडीएफसी अध्यक्ष दीपक पारेख की अध्यक्षता वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र ऋण मुहैया कराने से जुड़ी उच्च स्तरीय समिति ने आज प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दूरसंचार क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का भी समर्थन किया। फिलहाल इस क्षेत्र में एफडीआई पर 74 फीसद की सीमा है। समिति ने प्राकृतिक गैस की कीमत भी बढ़ाने का सुझाव दिया।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आज यहां सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि इन सिफारिशों का उद्देश्य 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए 51.46 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करना है। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार को निजी निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के उद्देश्य से एक समयबद्ध योजना बनानी चाहिए। 12वीं योजनावधि में परियोजनाओ में करीब 47 फीसदी निवेश निजी क्षेत्र से आकर्षित करने का लक्ष्य है। रिपोर्ट में कहा गया कि 11वीं योजनावधि में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी में 37.53 फीसदी थी जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 62.47 फीसदी थी जो 12वीं योजनावधि में सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान घटकर 53.32 फीसदी हो जाने की उम्मीद है।
इसी के मध्य वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उद्योग जगत को आश्वस्त किया कि सरकार सुधारों को आगे बढ़ाने के लिये गंभीर है। वित्तमंत्री ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बुधवार को यहां बैठक में उम्मीद जतायी कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने से संबद्ध विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पारित हो जाएगा।बैठक के बाद उद्योग मंडल फिक्की की वरिष्ठ उपाध्यक्ष नैना लाल किदवई ने संवाददाताओं से कहा कि वित्त मंत्री ने प्रमुख आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है और वह चाहते हैं कि हम सभी मिलकर काम करें।चिदंबरम ने सीआईआई, फिक्की तथा एसोचैम के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया था। बैठक करीब दो घंटे चली। उन्होंने कहा कि उद्योग भी चाहता है कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने, एफडीआई के लिये पेंशन क्षेत्र को खोले जाने तथा बैंकिंग संशोधन कानून से संबद्ध प्रमुख आर्थिक विधेयक संसद में यथाशीघ्र पारित हों।सीआईआई के मनोनीत अध्यक्ष गोपालकृष्णन ने कहा कि उद्योगपतियों ने वित्त मंत्री के साथ बुनियादी ढांचा, आईटी तथा बैंकिंग एवं वित्त के अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा की।एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा कि चिदंबरम ने संसद के आगामी सत्र में तीन विधेयकों के पारित किये जाने की अहमियत पर जोर दिया। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल बीमा और पेंशन विधेयक पर कल विचार कर सकता है।आने वाला समय भारत और चीन का है। दुनिया के सबसे प्रमुख उभरते बाजारों में शुमार चीन और भारत का उपभोक्ता खर्च वर्ष 2020 तक बढ़कर तीन गुना हो जाएगा। मंगलवार को जारी एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 8 साल में भारत और चीन का कुल उपभोक्ता खर्च सालाना 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे अमेरिका जैसे विकसित देशों को भी आर्थिक विकास दर में उछाल और कंपनियों को मुनाफे केरूप में फायदा मिलेगा।बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) का यह अध्ययन 24,000 उपभोक्ताओं पर किए गए सर्वे और बिजनेस लीडर्स के साक्षात्कार पर आधारित है।बिजनेस की रणनीति पर सलाह देने वाली फर्म बीसीजी की भविष्यवाणी हैकि चालू दशक में भारत और चीन के उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं पर कुल 64 लाख करोड़ डॉलर खर्च करने वाले हैं।कंज्यूमर गुड्स पर भारत और चीन के उपभोक्ताओं का खर्च 2010 के मुकाबले तब तक तीन गुना हो चुका होगा। बीसीजी ने अपने अध्ययन '10 लाख करोड़ डॉलर का पुरस्कार:भारत और चीन के लुभावने नव संपन्न' में यह बात कही है। इस पुस्तक के सह-लेखक और बीसीजी के सीनियर पार्टनर माइकल जे. सिल्वरस्टेन कहते हैं, 'हम इतिहास के एक मोड़ पर हैं जहां संबंधित संपदा पश्चिम से चीन और भारत की ओर रुख करेगी। लेकिन सही मायने में इससे पश्चिम में भी संपदा बढ़ेगी।'अध्ययन में कहा गया है कि पश्चिमी देशों की कंपनियों को भारत-चीन के मध्यम वर्ग का दिल लंबी अवधि की रणनीति के तहत जीतना होगा। दोनों देशों में पैदा होने वाले इन नए उपभोक्ताओं की भावी खर्च की आदतों को पहचानना होगा। रिपोर्ट में क्राफ्ट, यम! ब्रांड्स, पेप्सिको, गुच्ची, एलवीएमएच, बीएमडब्ल्यू और परनोड रिकेर्ड का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि इन कंपनियों ने भारत और चीन में अपनी रणनीति को सफलतापूर्वक फैलाया है।
उद्योग जगत की इच्छाएं पूरी करने और इसके लिए रणनीति अमल में लाने में सरकारी नीति निर्धारक कोई कसर भी नहीं छोड़ रहे हैं।बीमा नियामक इरडा ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी करने का समर्थन किया क्योंकि इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए बड़े निवेश की जरूरत है।रेल, बिजली, कोयला, गैस आपूर्ति, दूरसंचार और राजमार्ग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कई किस्म के सुधार की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कर चलना चाहिए कि 12वीं योजनावधि के दौरान कम से कम 51 लाख करोड़ रुपए का निवेश उपलब्ध हो जाएगा ।
दीपक पारेख की अध्यक्षता वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र ऋण मुहैया कराने से जुड़ी उच्च स्तरीय समिति ने रिपोर्ट में कहा कि जिंसों एवं सेवाओं, खास कर उर्जा क्षेत्र में दरें तो व्यावहारिक रखनी ही होंगी। रिपोर्ट के मुताबिक बिजली क्षेत्र में निवेश के प्रवाह को बरकरार रखने के लिए शुल्क को व्यावहारिक स्तर पर रखना होगा। साथ ही शुल्क संग्रह की दक्षता बढ़ानी होगी और नुकसान कम करना होगा। समिति ने रेल, बंदरगाह, हवाईअड्डे और राजमार्ग जैसे क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के संवर्धन की जरूरत पर भी बल दिया गया। इसमें कहा गया कि ईंधन की लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर भी डालना चाहिए ताकि बिजली वितरण कंपनियों के बढ़ते नुकसान को रोका जा सके।
समिति ने अगले दो महीने में गैर आवंटन और मूल्य निर्धारण को तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया क्योंकि और देरी से गैस से परिचालित बिजली संयंत्रों का परिचालन प्रभावित होगा। रेल किराए के संबंध में रिपोर्ट में आर्थिक रूप से अव्यावहारिक मौजूदा रेल भाड़ा को तर्कसंगत बनाने की मांग की गई जिसमें पिछले दशक भर से संशोधन नहीं किया गया है। इसमें रेल परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की ज्यादा बड़ी भूमिका और रेल बोर्ड में तब्दीली का सुझाव दिया गया है।
जहां तक दूरसंचार क्षेत्र का सवाल है तो समिति ने इस क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 100 फीसदी करने की जोरदार सिफारिश की जो फिलहाल 74 फीसदी है। समिति की दलील है कि भारतीय भागीदारों के लिए उन कंपनियों में 26 फीसद शेयर पूंजी देने में मुश्किल आ सकती है जो अखिल भारतीय परिचालन करना चाहती हैं।
द्रमुक के लोकसभा सदस्य ए. राजा को ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति के लिए मनोनीत किया गया है, जबकि कांग्रेस के लोकसभा सदस्य कलमाड़ी को विदेशी मामलों की स्थायी समिति के लिए मनोनीत किया गया है। इनके अलावा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के कुछ मामलों की अभियुक्त द्रमुक सांसद कानिमोझी को भी गृह मामलों की स्थायी समिति के लिए मनोनीत किया गया है। मालूम हो कि संसद की स्थायी समितियां विधेयकों का निरीक्षण कर संबंधित मंत्रालयों को प्रस्तावित कानून के बारे में सुझाव देती हैं।
विभिन्न समितियों के पुनर्गठन के तहत कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को भी वित्त से संबंधित संसद की स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया है, जिसके अध्यक्ष भाजपा नेता यशवंत सिन्हा हैं। इससे पहले राहुल मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित समिति के सदस्य थे।
द्रमुक के तिरुची शिवा को उद्योग से संबंधित स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि बसपा बसपा के ब्रजेश पाठक को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रह चुके बसपा नेता दारा सिंह चौहान को श्रम संबंधी समिति में स्थानांतरित किया गया है। धनशोधन के मामलों में रांची कारागार में बंद निर्दलीय सांसद मधु कोड़ा को किसी भी समिति का सदस्य नहीं बनाया गया है।
सरकार ने अल्ट्रा मेगा पावर परियोजनाओं (यूएमपीपी) के लिए स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट (एसबीडी) को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत, अब यूएमपीपी के लिए बिडिंग करने वाली कंपनियों को सिर्फ एक साल के लिए बिजली की दरों की बोली लगानी होगी। हालांकि, यह नियम केवल केस-2 पर आधारित यूएमपीपी पर लागू होगा।
केस-2 के तहत कंपनियों को परियोजना स्थापित करने के लिए खुद ही पर्यावरण, पानी व जमीन की व्यवस्था करनी व मंजूरी लेनी होती है। बिजली मंत्रालय ने इस दस्तावेज को अपनी मंजूरी दे दी है और इस महीने के आखिर तक इसे विशेषाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) में भेजा जाएगा। इस ईजीओएम के अध्यक्ष रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी है।
बिजली मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, ईजीओएम की मंजूरी के बाद नए यूएमपीपी के लिए बिडिंग का रास्ता साफ हो जाएगा। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, केस-2 पर आधारित यूएमपीपी के लिए कंपनियों को सिर्फ एक साल की बिजली दरों के लिए बोली लगानी होगी। जिस कंपनी की बिजली दरें सबसे कम होंगी, उसे वह परियोजना सौंप दी जाएगी।
एक साल के बाद फ्यूल कीमत और थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर बिजली की दरों में सरकार स्वयं बदलाव करेगी। अब तक के नियमों के मुताबिक, यूएमपीपी हासिल करने वाली कंपनियों को एक लंबे अंतराल के लिए एक निश्चित दर पर पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) करना होता है।
इस वजह से कंपनियां यूएमपीपी की व्यावहारिकता को लेकर सवाल खड़ी करती रही हैं। बिडिंग दस्तावेज को अंतिम रूप दिए जाने के इंतजार में ही उड़ीसा के बेडाबहल में 4,000 मेगावाट क्षमता के प्रस्तावित यूएमपीपी को लेकर दूसरे चरण की बिडिंग रुकी पड़ी है। बेडाबहल यूएमपीपी के मामले में पहले राउंड की बिडिंग हो चुकी है और इसमें 20 कंपनियों को अगले चरण की बिडिंग के योग्य पाया गया है।
दूसरे चरण की बिडिंग में इन कंपनियों को इस यूएमपीपी से उत्पादित बिजली की दरों के लिए बोली लगानी है। देश में अब तक चार यूएमपीपी को अवार्ड किया जा चुका है। जबकि, आठ अन्य यूएमपीपी पाइपलाइन में है। इनमें से बेडाबहल व सरगुजा यूएमपीपी की प्रक्रिया जारी है।
रिजर्व बैंक का मानना है कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिये जाने से उत्पादकता बढ़ेगी और एक सक्षम खाद्यान्न वितरण नेटवर्क खड़ा होगा जिससे खाद्यान्नों के दाम पर अंकुश रखने में मदद मिलेगी।रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा खाद्यान्नों के ऊंचे दाम की समस्या से निपटने का सीधा से उपाय यही है कि लोग जिन उत्पादों का ज्यादा उपभोग करते हैं उनका उत्पादन बढ़ाया जाये। आप बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई होने अथवा नहीं होने को लेकर बहस कर सकते हैं, लेकिन हमें मूल समस्या पर ध्यान देना होगा। हमें उत्पादकता बढ़ानी होगी और वितरण क्षमता को बेहतर बनाना होगा। एशियाई विकास बैंक [एडीबी] ने भी अब देश की विकास दर को लेकर चिंता जता दी है। बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अनुमान में करीब डेढ़ फीसद की भारी कटौती की है। ताजा अनुमान में बैंक ने 5.6 फीसद वृद्धि दर की संभावना जताई है जो पहले सात फीसद थी। ग्लोबल मांग में कमी और मानसून में देरी के चलते कृषि उपज प्रभावित होने को देखते हुए एडीबी ने यह कटौती की है।
गोकर्ण ने दक्षिण भारत वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की 102वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिये समस्या के निदान की आवश्यकता है। हमें उन बिंदुओं को देखना होगा जहां दबाव है। कहां दबाव है। हमें वहद आर्थिक स्थिति में असंतुलन पैदा करने वाले बिंदुओं को देखना होगा। हमें इनका निदान भी तलाशना होगा ताकि इन्हें दूर किया जा सके।डिप्टी गवर्नर ने कहा कि यदि खाद्य पदार्थों के दाम लगातार बढ़ते रहे तो इसका वेतन भत्तों पर असर होगा और इससे मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि पर दबाव बढ़ाये बिना सभी संबंद्ध पक्षों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिये संतुलन बनाये रखने की कोशिश कर रहा है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अमेरिकी कंपनियों को राज्य में निवेश करने का न्यौता दिया है और कहा कि प्रदेश में वृद्धि व औद्योगिक विकास के अनुकूल माहौल है।उन्होंने निवेशकों को तुरंत जमीन उपलब्ध कराने का वादा करते हुए कहा कि सरकार के पास औद्योगिक वृद्धि के लिए 16,000 एकड़ जमीन है। उन्होंने 28-30 अक्टूबर को इंदौर में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन में अमेरिकी प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया।चौहान ने मंगलवार को अमेरिका-भारत व्यापार परिषद यूएसआईबीसी तथा भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई की बैठक में कहा कि मैं केवल मुख्यमंत्री ही नहीं हूं, मैं मध्यप्रदेश का सीईओ भी हूं। मैं कार्य क्षमता में विश्वास रखता हूं। इसलिए आएं और राज्य में निवेश करें।
प्रमुख उद्योगपतियों के साथ घंटे भर की बैठक में चौहान ने जोर देकर कहा कि उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश कुशल तथा निवेशक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराता है। चौहान ने अपनी बात हिंदी में रखी, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया। उन्होंने कहा कि किसी समय डाकुओं के लिए चर्चित मध्यप्रदेश अब कम अपराधों के साथ शांति का द्वीप बन गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) का दाम 127 रुपये बढ़ाकर 883.50 रुपये प्रति सिलेंडर कर दिया है। इंडियन ऑयल कापरेरेशन ने कहा, दिल्ली में एक अक्तूबर से बिना सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर का दाम 127 रुपये बढ़ा दिया गया है। इंडियन ऑयल के निदेशक विपणन एम.नेने ने कहा अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी के दाम में यदि गिरावट आती है तो उसका लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जायेगा। तेल कंपनियां अब हर महीने अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुसार गैस सिलेंडर का दाम तय करेंगी। बाजार मूल्य पर बिकने वाले बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम हर महीने घटबढ सकते हैं।
सरकार ने पिछले महीने ही सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति सीमित करने का फैसला किया। दिल्ली में सब्सिडीयुक्त 14.2 किलो गैस सिलेंडर का दाम 399 रुपये है। इस तरह के सिलेंडर अब साल में केवल छह ही दिये जायेंगे। इससे अधिक जरुरत पड़ने पर सिलेंडर बाजार मूल्य पर खरीदना होगा।
कंपनी सूत्रों के अनुसार सब्सिडीयुक्त गैस सिलेंडर का दाम तो स्थिर रहेगा लेकिन बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर का दाम तेल कंपनियों हर महीने अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुसार अधिसूचित करेंगी। सरकार ने बाजार मूल्य पर बिकने वाले घरेलू सिलेंडर पर बोझ कम करने के लिये उत्पाद एवं सीमा शुल्क से छूट दी है। व्यावसायिक उपयोग वाले वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर का दाम दिल्ली में अब 1,062 रुपये होगा जबकि 19 किलो वाले सिलेंडर का दाम 1,636.50 रुपये होगा।
सरकार ने एसयूयूटीआई के शेयर बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पिछले 2 महीने में बाजार में आई तेजी का फायदा उठाने के लिए सरकार जल्द ही एसयूयूटीआई के पास रखे एक्सिस बैंक, आईटीसी और एलएंडटी के शेयर बेच सकती है।हालांकि अभी ये तय नहीं है कि शेयर किस तरह और कब बेचे जाएंगे। एसयूयूटीआई में रखे तीनों कंपनियों के शेयरों की कीमत 44000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।सरकार ने इस साल का विनिवेश लक्ष्य 30000 करोड़ रुपये रखा है। ऐसे में इन शेयरों की बिकवाली सरकार के लिए बड़ी राहत बनकर आ सकती है।
एसयूयूटीआई के पास एक्सिस बैंक की 23.6 फीसदी, आईटीसी 11.5 फीसदी और एलएंडटी की 8.25 फीसदी हिस्सेदारी है। दूसरे बड़े निवेशकों के साथ एलआईसी ने भी इस हिस्सेदारी को खरीदने की इच्छा जताई है।जानकारों के मुताबिक सरकार बाजार की तेजी का फायदा उठाकर जल्द एसयूयूटीआई के शेयरों को बेचेगी। ऐसे में शेयरों में दबाव देखा सकता है।
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकार (इरडा) ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी करने का समर्थन किया है क्योंकि इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए बड़े निवेश की जरूरत है। इरडा प्रमुख ने यह भी कहा कि वह अगले दो सप्ताह में साधारण बीमा कंपनियों के लिए प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकार (इरडा) के अध्यक्ष जे. हरिनारायण ने सीआईआई के एक समारोह से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'बिल्कुल, मैं एफडीआई सीमा बढ़ाने के पक्ष में हूं। मुझे लगता है कि जब तक एफडीआई सीमा 49 फीसदी नहीं होगी हमारे पास बीमा उद्योग की वृद्धि बढ़ाने के लिए जरूरी पूंजी नहीं होगी।' उन्होंने कहा, 'इस क्षेत्र को बहुत अधिक धन की जरूरत है। बैंकों में यह सीमा 74 फीसदी है। परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों में यह 100 फीसदी है। मुझे नहीं लगता है कि बीमा कंपनियों में यह 26 फीसदी क्यों रहनी चाहिए, हमें इसे बढ़ाना चाहिए।'
साधारण बीमा कंपनियों के आईपीओ के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'बीमा परामर्श समिति ने सिफारिशों पर विचार किया है। अगले दो सप्ताह में गैर जीवन बीमा कंपनियों के आईपीओ से जुड़े दिशा-निर्देश आ जाने चाहिए।' हरिनारायण ने कहा, 'इस साल हमने जीवन बीमा कंपनियों के एकीकरण और गैर जीवन बीमा कंपनी के आईपीओ को अंतिम स्वरूप दिया है।' यह पूछने पर कि क्या किसी जीवन बीमा कंपनी ने पूंजी बाजार के जरिए धन जुटाने में रुचि जाहिर की है उन्होंने कहा, 'अब तक नहीं, किसी ने प्रस्ताव नहीं किया है।'
उन्होंने कहा बीमा कंपनियों को पालिसी बेचते समय पालिसीधारक की सेहत की जांच करनी होगी जैसा कि ज्यादातर देशों में होता है। उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य बीमा के मामले में समस्या यह है कि आप यदि स्वास्थ्य संबंधी जोखिम का आंकलन करना चाहते हैं तो इसके लिए काफी वक्त और स्वास्थ्य जांच की जरूरत होगी। इसलिए बीमा कंपनियां इसे बाद में जब दावा पेश होता है तब कंपनियां इस तरह की जांच करती हैं। मुझे लगता है यह स्थिति बदलेगी।'
किंगफिशर एयरलाइन्स में संकट आज और गहरा गया। प्रबंधन और हड़ताली इंजीनियरों व पायलटों के बीच सात महीने से बकाया वेतन के भुगतान के संबंध में बातचीत असफल रही। प्रदर्शनकारियों ने आंशिक भुगतान की पेशकश खारिज कर दी और अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया।गतिरोध खत्म न होने के मद्देनजर विमानन कंपनी की शुक्रवार से परिचालन शुरू करने की योजना पर सवालिया निशान लग गया है। उल्लेखनीय है कि चार दिन से आंशिक तालाबंदी की स्थिति है और सोमवार रात से पूरी तरह उड़ानें बंद हैं।किंगफिशर के हड़ताली इंजीनियरों और पायलटों के प्रतिनिधि कैप्टन विक्रांत पाटकर ने मुंबई में कहा, हमारी हड़ताल जारी रहेगी क्योंकि प्रबंधन वेतन भुगतान के संबंध में कोई वादा नहीं कर सका। विमानन कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि प्रबंधन ने अपनी ओर से जल्दी ही एक महीने के वेतन का भुगतान करने की पेशकश की और शेष छह महीने का वेतन कंपनी के पुनर्पूंजीकरण के बाद करने की बात कही। लेकिन कर्मचारियों ने इस पेशकश को ठुकरा दिया।
पाटकर ने कहा, पैसा नहीं है और कंपनी कोई वायदा भी नहीं कर सकती। इंजीनियर और पायलट अपना आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, प्रबंधन ने हमें एक महीने के वेतन की पेशकश की और वह भी 10-15 दिन बाद। जब तक हमें सात महीने का वेतन नहीं मिलता हम काम नहीं करेंगे। इसलिए हमने उनकी पेशकश ठुकरा दिया।'' किंगफिशर के शीर्ष अधिकारियों ने विमानन नियामक डीजीसीए से वादा किया था कि वे कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के साथ बैठक करेंगे ताकि हड़ताल खत्म की जा सके और आज यह प्रक्रिया शुरू की गई।
किंगफिशर के मुख्य कार्यकारी संजय अग्रवाल और यूबी समूह के मुख्य वित्त अधिकारी रवि नेदुंगडी ने मुंबई में इंजीनियरों और पायलटों समेत वाणिज्यिक कर्मचारियों के साथ बैठक की। कल उनकी मुलाकात दिल्ली में कर्मचारियों के साथ होने की उम्मीद है। इससे पहले दिन में नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय :डीजीसीए: किंगफिशर के हालात पर अंतरिम रपट सौंपेगा जिसमें सुरक्षा का मामला भी शामिल होगा क्योंकि विमान इंजीनियर हड़ताल पर हैं।
किंगफिशर 8,000 करोड़ रुपए के नुकसान से जूझ रही है और उस पर 7,000 करोड़ रुपए का रिण है। कंपनी के कई विमान या तो पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियांे ने वापस ले लिया है या फिर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकार ने पिछले कुछ महीने से बकाए का भुगतान न करने के कारण उनकी उड़ान बंद कर रखी है।
मंत्री ने कहा कि किंगफिशर को परिचालन शुरू करने के लिए डीजीसीए की सहमति की जरूरत है जिसने कंपनी को कहा है कि वह एक रपट सौंपे जिसमें अन्य चीजों अलावा इस बात का जिक्र हो कि उसके विमान उड़ने लायक हैं या नहीं।उन्होंने कहा कि विजय माल्या के स्वामित्व वाली विमानन कंपनी गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है और डीजीसीए उड़ान शुरू करने की अनुमति देने से पहले परिचालन सुरक्षा से जुड़े सभी आयामों के संबंध में संतुष्ट होना चाहेगी। विमानन कंपनी से प्राप्त सूचना और अपने निष्कर्ष के आधार डीजीसीए अगले कुछ दिनों में सुरक्षा मानकों के आधार पर अंतरिम रपट सौंपेगा।मंत्री ने कहा, हम तभी विमानन कंपनी के परिचालन पर फैसला लेंगे। इंजीनियरों और पायलटों की हड़ताल के मद्देनजर चार अक्तूबर तक आंशिक तालाबंदी की घोषणा के बाद विमानन कंपनी के मुख्य कार्यकारी अग्रवाल ने भरोसा जताया था कि अगले कुछ दिनों में हालात सुधर जाएंगे। उन्होंने कहा, हम चार अक्तूबर को अपना परिचालन फिर से शुरू करने के बारे में विचार करेंगे
पश्चिमी देशों, चीन व जापान की तर्ज पर अब भारत में शहरों को स्मार्ट बनाया जाएगा। सरकार जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के अगले चरण में देश के हर राज्य के दो शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में डेवलप करने की योजना बना रही है। इन स्मार्ट शहरों में ब्रॉडबैंड व इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाएं होंगी और इन्हें कार्बन उत्सर्जन से मुक्त रखा जाएगा। इसके लिए सरकार ऑस्ट्रियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करेगी।
इंश्योरेंस सेक्टर को राहत के बाद अब वित्त मंत्रालय रियल एस्टेट सेक्टर में जान फूंकने की तैयारी में है। इसके तहत वित्त मंत्रालय वैसे प्रोजेक्ट्स को मदद देगा, जो फंड की कमी की वजह से रुके हुए हैं। अब तक ऐसे 76 अधूरे प्रोजेक्ट्स की पहचान की गई है जिनमें करीब 3.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है।
वित्त मंत्रालय बैंकों को कहेगा कि इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए उन्हें कर्ज दे, इसके एवज में रियल एस्टेट डेवलपर्स कीमतों को नीचे लाएंगे और इसका फायदा खरीदारों को देंगे। इस मुद्दे पर फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी डी के मित्तल ने रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई) और बैंकरों के साथ बैठक की है।
जानकारों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट्स टियर-2 और टियर-3 शहरों में हैं और इसलिए अधूरे पड़े हैं क्योंकि बैंक इन प्रोजेक्ट्स को कर्ज नहीं दे रहे हैं। बैंकों को कहा गया है कि वो कंपनियों पर फोकस करने की बजाए प्रोजेक्ट पर फोकस कर कर्ज दें।
इस मामले में तेजी लाने के लिए रियल एस्टेट डेवलपर्स की मांग पर वित्त मंत्रालय आरबीआई से सेक्टर के लिए एक्सपोजर नॉर्म्स में ढील देने की बात भी कह सकता है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि अगर हाउसिंग सेक्टर में तेजी आने पर इकोनॉमिक ग्रोथ में बढ़त लाई जा सकती है, साथ ही देश में सबको घर देने का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है। साल 2012 की शुरुआत में देश में करीब 2 करोड़ घरों की कमी का अनुमान लगाया गया है।
नई दिल्ली में ऑस्ट्रिया के ट्रांसपोर्ट, इनोवेशन एवं टेक्नोलॉजी मंत्री डोरिस ब्यूरेस की अगुआई वाले एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने कहा कि जेएनएनयूआरएम के तहत देश के हर प्रदेश में दो स्मार्ट सिटी विकसित करने का प्रस्ताव है। इस योजना में पांच लाख से 10 लाख तक की आबादी वाले मझोले आकार के उज्जैन व जबलपुर जैसे शहरों को शामिल किया जाएगा। इन स्मार्ट शहरों में ब्रॉडबैंड व इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट जैसी कईं तरह की सुविधाएं होंगी और इन्हें कार्बन न्यूट्रल रखा जाएगा।
कमलनाथ ने कहा कि इन स्मार्ट शहरों के लिए किस तरह का मॉडल अपनाया जाए, इस बारे में हम ऑस्ट्रियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का सहयोग लिया जाएगा। बैठक में ऑस्ट्रियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी व शहरी विकास मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।
कमलनाथ ने कहा कि देश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के मद्देनजर हमें स्मार्ट सिटी, शहरी यातायात की सुविधाओं व इनके इंटीग्रेशन की टेक्नोलॉजी की जरूरत है। ऑस्ट्रिया के मंत्री ने भी इस मौके पर दोनों देशों के बीच बड़े स्तर पर सहयोग की उम्मीद जताई। एयरपोर्ट मेट्रो लाइन की कमियों को समझने के लिए अधिकारियों की एक टीम चिली भेजे जाने के मुद्दे पर कमलनाथ ने कहा कि इसे अभी फाइनल नहीं किया गया है। लेकिन, इस पर विचार जरूर किया जा रहा है।
प्लानिंग
पांच से 10 लाख तक की आबादी वाले मझोले आकार के शहर बनेंगे स्मार्ट
ब्रॉडबैंड व इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट जैसी कईं तरह की सुविधाएं दी जाएंगी इनमें
ऑस्ट्रियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की विशेषज्ञता का किया जाएगा इस्तेमाल
दुनियाभर के निवेशकों के लिए पसंदीदा निवेश स्थल माने जाने वाले दुबई में भारतीय भी जमकर निवेश कर रहे हैं। वर्ष 2012 की पहली छमाही में भारत दुबई में सबसे ज्यादा निवेश करने वाले 10 देशों की सूची में शामिल रहा है। इन दस देशों ने यहा कुल 83 परियोजनाओं में 4.2 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया है। यह दुबई में इस दौरान आए कुल एफडीआइ का 94 फीसद है।
डोमिनोज देगी चार हजार नौकरिया
डोमिनोज पिज्जा रेस्तरा का संचालन कर रही जुबिलेंट फूडवर्क्स चालू वित्त वर्ष के अंत तक 4,000 लोगों को नौकरी देगी। कंपनी देश में 100 नए आउटलेट्स खोल रही है। इनमें से 24 की शुरुआत हो चुकी है। विस्तार योजना पर कंपनी 150 करोड़ रुपये निवेश कर रही है। डोमिनोज के अलावा कंपनी डंकिन डोनट्स के भी नए स्टोर खोल रही है।
3जी रोमिंग पर एयरटेल गई कोर्ट
दिग्गज दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल लाइसेंस प्राप्त सर्किल से बाहर 3जी रोमिंग सेवाएं देने पर दूरसंचार विभाग (डॉट) के रोक के खिलाफ अदालत चली गई है। दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कंपनी ने कहा है कि इस फैसले से उपभोक्ताओं के हित प्रभावित होंगे। यह फैसला अतार्किक, मनमाना और द्विपक्षीय समझौतों के विपरीत है। कंपनी ने डॉट के इस आदेश पर रोक लगाने की अदालत से गुहार लगाई है।
Wednesday, October 3, 2012
चाहे देश को बेच डालें या फिर काला धन के बंदोबस्त में आम जनता के खिलाफ चांदमारी करें,राजनीति की पिच पर जमे खिलाड़ियों को कोई माई का लाल उखाड़ने वाला नहीं!
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