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Monday, December 24, 2012

आंदोलन के साझा खेल में बुरी फंसी कांग्रेस!जो सरकार संविधान और संसद की परवाह नहीं करती, राष्ट्र के प्रति ​​उसके इस संबोधन का असली तात्पर्य क्या है?

आंदोलन के साझा खेल में बुरी फंसी कांग्रेस!जो सरकार संविधान और संसद की परवाह नहीं करती, राष्ट्र के प्रति ​​उसके इस संबोधन का असली तात्पर्य क्या है?

पलाश विश्वास

स्वराज के सपनों को लेकर लंबी लड़ाई के बाद आधीरात को जो सूर्योदय हुआ, उसमें इतना अन्धकार भरा ङुआ है कि अब इस अन्धेरे से मुक्ति की कोई राह नहीं। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है और इसके शासकीय अध्यक्ष को असंवैधानिक कारपोरेट राज चलाने, मुक्त बाजार के लिए​ ​ जनसंहार की नीतियां लागू करने में किसी प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ता। पर राजधानी में हुए एक बलात्कार के विरोध में राजपथ​ ​ पर जनविद्रोह से निपटने के लिए राष्ट्र को संबोधित करना पड़ता है।जो सरकार संविधान और संसद की परवाह नहीं करती, राष्ट्र के प्रति ​​उसके इस संबोधन का असली तात्पर्य क्या है?अस्सी के दशक में नवउदारवादी युग शुरु होने की तैयारी के दौरान उत्तरप्रदेश में पत्रकारिता का हमारा अनुभव है। मेरठ के दंगों में सत्ता राजनीति और कारपोरेट हितों पर मेरी लंबी कहानी उनका मिशन पाठकों को याद होगी। अंडे सेंते लोग भी लोगों के ध्यान में होगा। उस दरम्यान न जाने कितने मारे गये, तीन तीन चार चार बैनरवाली पत्रकारिता का नया अवतार टीवी पर अंधाधुंध बाइट्स, संकल्प और शपथ के मध्य अवतरित हो रहा है। पहले दौर के आर्थिक सुधारों के लिए जो धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद का माहौल गढ़ने में देशभर में जघन्यतम सांप्रदायिक दंगों और आतंकी वारदातों का खेल शुरु किया गया, उसके हमारी पीढ़ी के पत्रकार चश्मदीद गवाह हैं। दंगों का खेल अब बेनकाब हो गया है उत्तरभारत में समाजिक उथल पुथल की वजह​
​ से। इसलिे सिविल सोसाइटी, राजनीति और कारपोरेट गठजोड़ से जो नया खेल खेला जा रहा है, उससे सावधान होने और मुद्दों के भटकाव से सजग होना वक्त का तकाजा है।

उधर, सोमवार को सफदरजंग अस्‍पताल से भी अच्‍छी खबर नहीं आई। गैंगरेप की शिकार लड़की की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। सफदरजंग अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने सोमवार को कहा कि कल के मुकाबले लड़की की स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि वह होश में है, बात भी कर रही है लेकिन खतरे से बाहर नहीं है। वह अब भी वेंटिलेटर पर है। ज्‍यादा खून बहने की वजह से उसकी हालत बिगड़ी है। हालांकि किडनी का काम करना राहत की बात है। 23 वर्षीय पैरा-मेडिकल छात्रा का शरीर चिकित्सा के प्रति मिलीजुली प्रतिक्रिया दे रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि उसने अपनेआप सांस लेनी शुरू कर दी है लेकिन उसमें संक्रमण और सेप्सिज (जीवीणु संक्रमित उतक) के प्राथमिक संकेत दिख रहे हैं। आठ दिन पहले चलती बस में गैंगरेप पर मचे कोहराम के बीच दिल्‍ली सरकार ने महिलाओं के लिए हेल्‍पलाइन नंबर का ऐलान किया है। महिलाएं या लड़कियां शहर में किसी तरह के खतरे की आशंका पर 181 नंबर पर कॉल कर सकती हैं। पहले खबर आ रही थी कि यह नंबर 167 होगा। समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने गैंगरेप की घटना की निंदा करते हुए पीएम मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है।दिल्ली गैंगरेप की वारदात से महानायक अमिताभ बच्चन भी आहत हैं। अपने ऑडियो संदेश में अमिताभ ने अपनी पीड़ा जाहिर की है। अमिताभ ने कहा कि बच्ची के साथ जो हुआ बहुत बुरा हुआ, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जो जनाक्रोश उमड़ा है वो जायज है और देश के नौजवानों ने सोते सिस्टम की नींद तोड़ दी है। अमिताभ ने कहा कि ये युद्ध अभी जारी है और आगे भी चलता रहेगा, जब तक कि हमारा समाज नहीं बदलता।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संदेश दिया। संदेश अंग्रेजी में था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए वीडियो संदेश में डॉ. मनमोहन सिंह अपने संदेश के बाद कहते हैं, 'ठीक है'। संदेश को सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे पीएम कैमरामैन से पूछ रहे हों कि संदेश ठीक रिकॉर्ड हुआ है या नहीं। दिल्‍ली गैंग रेप मामले में बीजेपी नेता लालकृष्‍ण आडवाणी, सुषमा स्‍वराज, अरुण जेटली और नितिन गडकरी राष्‍ट्रपति से मिलने पहुंचे हैं।दूसरी ओर बीते दो दिनों से हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए आज भारत आ रहे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच मुलाकात का वैन्यू बदला गया है। अब ये दोनों प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री आवास स्थित रेसकोर्स में मिलेंगे। पहले यह मुलाकात हैदराबाद हाउस में होने वाली थी जो इंडियागेट के समीप है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पुतिन के बीच बातचीत में रक्षा सौदों पर जोर रहेगा। इसके अलावा व्यापार,निवेश, विज्ञान व प्रौद्योगिकी पर भी समझौते होने की उम्मीद है।

बीजेपी नेता संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल तेजिंदर खन्‍ना ने सोमवार को पहली बार चुप्‍पी तोड़ी है। उन्‍होंने कहा है कि प्रदर्शनकारियों का गुस्‍सा जायज है। उन्‍होंने कहा कि लापरवाही बरतने के आरोप में एसीपी (ट्रैफिक) और एसीपी (पीसीआर) को सस्‍पेंड कर दिया गया है। दो डीसीपी को जवाब देने को कहा गया है।इस मामले को लेकर देशभर में हो रहे आंदोलन के आगे सरकार झुक गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जनवरी के पहले हफ्ते से इस केस की सुनवाई रोजाना की जाएगी। सुनवाई में शामिल सभी तीन जज महिलाएं होंगी। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और दिल्‍ली की सीएम शीला दीक्षित की दिल्‍ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से मुलाकात हुई। सरकार ने तय किया है कि दिल्‍ली गैंगरेप मामले की सुनवाई तीन जनवरी से शुरू होगी और यह रोजाना होगी। सूत्रों के मुताबिक रेप जैसे मामले जल्‍द निपटाने के लिए और फास्‍ट ट्रैक कोर्ट गठित किए जाएंगे। शिंदे ने चीफ जस्टिस से मुलाकात के बाद कहा, 'मैंने स्‍टूडेंट्स से कल भी कहा था कि मामले की जांच के लिए न्‍यायिक आयोग का गठन होगा। यह आयोग 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट भी दे देगा। हम इस मामले में पहले दिन से ही लगे हैं।' उन्‍होंने सवालिया लहजे में कहा, 'हम लगातार स्‍टूडेंट्स से मिल रहे हैं। आंदोलनकारियों की मांगें मान ली गई हैं, ऐसे में अब आंदोलन क्‍यों हो रहे हैं?'केंद्र सरकार ने पूर्व चीफ जस्टिस जे एस वर्मा की अगुवाई में तीन सदस्‍यीय आयोग का गठन किया है जो सेक्‍सुअल असॉल्‍ट से जुड़े मामलों में त्‍वरित फैसले और कठोर से कठोर सजा सुनाने के मकसद से मौजूदा क़ानून की समीक्षा करेगा। इस आयोग ने अपना काम शुरू कर भी कर दिया है।उधर, इंडिया गेट से प्रदर्शनकारियों के साथ मीडिया को भी यहां से हटाया जा रहा है। दिल्‍ली पुलिस का कहना है कि पूरे इलाके में धारा 144 लागू है। ऐसे में मीडियाकर्मी भी यहां नहीं रह सकते हैं। इंडिया गेट से अधिकांश ओबी वैन को हटाया जा रहा है। इस वजह से पुलिस और पत्रकारों में भी झड़प हो रही है। इंडिया गेट से लेकर राष्‍ट्रपति भवन के बीच पूरे राजपथ पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

अराजनीतिक असंगठित आंदोलन के राजनीतिक समीकरण स्पष्ट होने लगे हैं और उसकी राजनीति भी बेनकाब होने लगी है। रणनीति तो ​​सत्तावर्ग की साझा तैयारी की फसल है। मीडिया कवरेज के तौर तरीके भी यहीं बताते हैं। सरकार दूसरे चरण के आर्थिक सुधार कारपोरेट संचालित, प्रायोजित निर्देशित राजनीतिक सर्वसम्मति से धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के उन्मक्त सर्वव्यापी वातावरण बेरहमी से लागू कर रही है। जनता को​ ​ अपराध की सुर्खियों के बीच नीति निर्धारण की कोई सूचना ही नहीं होती। संसद में अल्पमत सरकार को दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों के​ ​ लिए बेहद जरूरी विधेयकों को पारित कराने में सहयोग करना संघ परिवार के लिए कारपोरेट जायनवादी साम्राज्यवाद के हितों के प्रति​​ प्रतिबद्धता और सत्तावर्ग के कुलीन हितों के रक्षार्थ बाध्यता है। राजनीति चलाने के लिए बाजार और कारपोरेट को साधना उतना ही जरुरी है जितना वोट बैंक और राजनीतिक समीकरण साधना। फिर संघ परिवार के भावी प्रधानमंत्रित्व के दावेदार और खुला बाजार के विकासपुरुष हैं जिन्हें ​​पश्चिम की उपभोक्तावादी संस्कृति का कुला समर्थन है। देश में कांग्रेस और यूपीए ने भी संघ परिवार से एक कदम आगे बढ़कर उग्रतम हिंदुत्व ​​का विकल्प चुना हुआ है। जाहिर है कि उग्रतम हिंदुत्व का इतिहास भी संघ परिवार के विरुद्ध है।सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के खेल में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की दक्षता कहीं ज्यादा है। अस्सी के दशक में सिख विरोधी धर्मोन्माद भड़काने में संघ परिवार की मुख्य भूमिका थी, लेकिन​ ​ आपरेशन ब्लू स्टार, उसके परिमाम स्वरुप इंदिरा गांधी की हत्या और तदोपुरान्त उत्पन्न उन्मादी हिंदू राष्ट्रवाद की जय जयकार के मध्य सिखों का देश भर में नरसंहार के बाद जो परिस्थ्तियां बनीं, उसमें संघ परिवार न केवल किनारे हो गयी, बल्कि उसे हिंदू हितों के नाम कांग्रेस और राजीव गांधी को बिना शर्त समर्थन करना पड़ा। इसी तरह रामजन्मभूमि आंदोलन और बाबरी विध्वंस से तात्कालिक रुप से हिंदुत्व के पुनरूत्थान हो ​​जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नरम हिंदुत्व के सहारे केंद्र में रसत्तासुख भोगने के बाद अंततः बाजार, कारपोरेट वा जायनवादी ​​ताकतों के अटूट समर्थन और इससे भी महत्वपूर्ण हिंदुत्व के तमाम शक्तियों के ग्लोबल हिंदुत्व के जायनवादी हितों के अनुरुप कांग्रेस ताकतों के कारपोरेट बाजारु कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद हो जाने से सत्ता के तिलिस्म को तोड़ने लायक मंत्र से अभीतक संघ परिवार​
​ अनभिज्ञ है। गुजरात नरसंहार के जरिये हिंदुत्व का प्रयोगशाला जरूर तैयार हुआ और अनुसूचित, दलित व आदिवासी भी हिंदुत्व की पैदलसेना में तब्दील होने लगे, पर नरेंद्र मोदी की कामयाबी को हिंदुत्व की फसल मानने के लिए संघ परिवार भी तैयार नहीं है। वरना अब तक लालकृष्म आडवानी की तरह वे बी प्रधानमंत्रित्व के संघी प्रत्याशी घोषित हो गये होते। मोदी का हिन्दुत्व स्वदेशी हिन्दुत्व है ही नहीं।इसमें जबरदस्त कारपोरेट ​​तड़का है। गुजरात की जीत के बाद मोदी बाजार और कारपोरेट विकास के सबसे बड़े सिपाहसालार बनकर उभरे हैं और चुनावी हैट्रिक भी उन्होंने हिंदुत्व के बजाय गुजरात की क्षेत्रीय अस्मिता और कारपोरेट विकास के नारे उछालकर जीते हैं। जाहिर है कि नागपुर मुख्यालय चाहे या न चाहे, संघ परिवार के तारणहार अलीबाबा नरेंद्र मोदी ही हैं। इसलिए मनुस्मृति के संविधान को लागू करने के एजंडे के साथ साथ कारपोरेट एजंडे को पूरा करने में​ ​ संघ परिवार की सबसे बड़ी जिम्मेवारी है। लेकिन आर्थिक सुधारों को लागू करने की सर्वदलीय सहमति के लिए समाजवादी मुलायम सिंह यादव और अबंडकरवादी मायावती जैसे दो कठिन क्षत्रपों को निपटाने के लिए कांग्रेस भाजपा गठजोड़ और मिलीभगत कारपोरेट हितों के लिए सबसे ​​ज्यादा जरुरी जरुरी थी। इसके मुताबिक मंडल के खिलाफ कमंडल लाने वाले संघ परिवार और विश्वनाथ को सत्ता पर काबिज कराने में पहल करने वाले जिस संघ परिवार को उन्हींके खिलाफ आरक्षण विरोध के ब्रह्मास्त्र का उपयोग करना पड़ा, उसी संघ परिवार को मायावती और मुलायम दोनों को चकमा देने  के लिए राज्यसभा में अनुसूचितों को पदोन्नति में आरक्षण हेतु विधेयक को सवर्ण वोट के नाराज होने का जोखिम उठाकर भी ​​समर्थन देना पड़ा। लेकिन चूंकि आरक्षण की व्यवस्ता और समता सामाजिक न्याय का कोई भी कदम उग्रतम हिंदुत्व के खिलाफ है, कारपोरेट हितो के भी खिलाफ, इसलिए इसे लोकसभा में पारित होकर कानून बन दजाने से रोकने का जुगाड़ भी जरुरी था। बलात्कार, यौन उत्पीड़न, महिलाओं की तस्करी , भ्रूण हत्या,कारपोरेट उपभोक्ता संस्कृति और देह व्यवसाय की राजधानी नयी दिल्ली में हुए एक बलात्कार कांड ने इतना तुल पकड़ा कि संसदीय हंगामे में आरक्षण विधेयक हवा हवाई हो गया। ​​मायावती भी खुश और मुलायम  भी खुश। वोटबैंक और सत्ता समीकरण साधकर सत्ता की मलाई जातीय अस्मिता भुनाते हुए चाटते रहने ​​का भी चाक चौबंद इंतजाम हो गया।​​
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​पर अब बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल और संघी तत्वों के चेहरे शुरु से अराजनीतिक और असंगठित आंदोलन में इतने हावी होने लगे​​ कि कांग्रेस के लिए खतरा हो गया है। सड़कों पर उमड़ने वाले युवा हुजूम को देश के कोने कोने में हो रहे नरसंहार और गृहयुद्ध की खबर ​​तक नहीं है। उन्हें अर्थ व्यवस्था की बारीकियां नहीं मालूम।डिजिटल और बायोमेट्रिक नागरिकता के जरिए अबाध पूंजी निवेश और अबाध​ ​ बेदखली की साजिश से भी वे अनजान हैं। पर उनकी रायसीना हिल्स तक पहुंच और राजपथ पर इसाफ की जंग की निरतंरता में मध्यपूर्व के लोकतंत्र आंदोलन और यूरोप अमेरिका के वाल स्ट्रीट आंदोलन की गूंज और आहट सुनायी पड़ने लगी है कारपोरेट सरकार को। यह तय है कि इस देश में कानून का राज सबके लिए समान नहीं है। सत्तावर्ग के विशिष्टजल जो आम नागरिकों और खासतौर पर महिलाओं के विरुद्द मानवाधिकार हनन और नागरिक अधिकारों के हनन के दोषी हैं,अभियुक्त होने के बाद भी वे ही देश के भाग्य विधाता बने रहेंगे। सिख नरसंहार, भोपाल गैस त्रासदी, गुजरात​ ​ नरसंहार, बाबरी विध्वंस के सबक ये ही हैं। राजनीति, सत्ता और पूंजी के केंद्रों में आपराधिक साम्राज्य, बिल्डर प्रोमोटर राज, महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचार येही कहते हैं। अगर बलात्कारियों को फांसी की सजा मिल भी जाये, दो चार मामलों में न्याय मिल भी जाये, तो आतंक निरोधक कानूनों की तरह इस कानून का दुरुपयोग रोकने लायक कानून का राज और न्याय प्रणाली हमारे पास नहीं है।तो इस आंदोलन से इसके फौरी एजंडे के भी पूरे होने के आसार कम ही है।कारपोरेट एजंडा पूरा होना तय है। पर सत्ता समीकरण तो आंदोलन के नियंत्रण पर निर्भर है। फिलहाल आंदोलन पर नियंत्रण संघी तत्वों का लगातार बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति भवन में हिंदू राष्ट्रवाद के धर्माधिकारी का निवास है और संसदीय बदलाव को रोकने में वे इंदिरा जमाने से मजबूतदीवार बने हुए हैं।विपक्ष और जनता कुछ भी करें , कांग्रेस को कोई खतरा नहीं है। लेकिन अगर यही आंदोलन अप्रतिबद्ध असंगठित अराजनीतिक ​​युवाओं को देश में कारपोरेट राज, जनसंहार की संस्कृति. जनता के खिलाफ राष्ट्र के युद्ध, कश्मीर और पूर्वोत्तर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार ​​कानून और आदिवासी इलाकों में रंग बिरंगे सलवा जुड़ुम अभियानों के तहत मानवाधिकार हनन और नागरिक अधिकारों, जल जंगल​ ​ जमीन आजीविका से बेदखली विस्तृत हो जाये और वे इरोम शर्मिला के समर्थन में खड़े हो जाये, तो कारपोरेट राज के अस्तित्व और ​​खुला बाजार की जनसंहार नीतियों की निरंतरता के लिए निर्मम गंभीर खतरा बन जायेगा​। राष्ट्रपति, सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री के जनसरोकार का असली तात्पर्य यही है।

ताजा खबरों के मुताबिक दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार युवती की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई हैं। हालांकि सफदरजंग अस्पताल में दाखिल पीड़िता के संबंध में सोमवार शाम को सकारात्मक बात यह निकल कर आई है कि तेईस वर्षीय युवती के प्लेटलेट्स व सफेद रक्त कणिकाओं की संख्या में कुछ इजाफा हुआ है। डॉक्टर लगातार उसकी हालत पर नजर रखे हुए हैं।वहीं, इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में तीन जनवरी से शुरू होगी। उधर, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज इस मामले पर राष्ट्रपति से मंगलवार को मुलाकात कर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करेंगी।

गैंगरेप के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में रविवार हुई हिंसा के बाद दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ा दी गई है। कल हुई हिंसक घटनाओं को देखते हुए राजघाट, इंडियागेट और रायसीना हिल्स जाने वाले रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है।

दूसरी ओर,गैंगरेप के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों को सही तरीके से नियंत्रित न करने के आरोपों के बीच गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने प्रदर्शनकारियों की तुलना हथियारबंद माओवादियों से कर दी।शिंदे ने सोमवार को कहा कि यह कहना बेहद आसान है कि गृहमंत्री इंडिया गेट जाएं और छात्रों से बातचीत करें। कल किसी पार्टी के प्रदर्शन के दौरान भी कहा जाएगा कि मंत्री वहां क्यों नहीं गए। शिंदे ने उग्र छात्रों की तुलना माओवादियों से करते हुए कहा कि कल को माओवादी भी वहां आएंगे और हथियारबंद प्रदर्शन करेंगे।गृहमंत्री ने कहा कि लोगों को सरकार की भूमिका को समझना चाहिए। वह बातचीत के लिए कही भी नहीं जा सकती। कल को किसी अन्य किसी सरकार के सामने भी ऐसी ही ऐसी ही परिस्थिति आएगी तो क्या वह कहीं भी बातचीत के लिए चली जाएगी।जब शिंदे से यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रदर्शनकारियों की तुलना माओवादियों से करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि आप इसे कानून-व्यवस्था से अलग न करें। मैंने इस पर पहले भी बातचीत की है। जब से प्रदर्शन शुरू हुआ है, मैं उनके [प्रदर्शनकारियों] प्रतिनिधियों से घर में मिला, ऑफिस में मिला। सब कुछ करने के बाद भी वे कह रहे हैं, हमें न्याय चाहिए, तो हम किसे और कैसे न्याय दें। हमारी भी कुछ सीमाएं हैं, उनकी सारी मांगें मान ली गई फिर भी हिंसक प्रदर्शन जारी है। शिंदे ने कहा कि इंडिया गेट पर कल की हिंसा के पीछे कुछ राजनीतिक तत्वों का हाथ है। हम इसकी जांच कर कर रहे हैं।

दिल्ली गैंगरेप मामले में प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संदेश

दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सोमवार को राष्ट्र के नाम दिए गए संदेश का मूल पाठ इस प्रकार है-

मेरे प्यारे देशवासियों, दिल्ली में सामूहिक बलात्कार के घिनौने अपराध पर लोगों में वास्तविक और जायज गुस्सा तथा पीड़ा है। तीन लड़कियों का पिता होने के नाते मैं भी आप सभी की तरह इस मामले को संजीदगी से महसूस करता हूं।

मैं, मेरी पत्नी और मेरा परिवार मिलकर इस क्रूर अपराध की शिकार लड़की के प्रति चिंतित है। सरकार उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखे हुए है। संकट की इस घड़ी में हम सभी को उसके और उसके प्रियजनों के लिए दुआ करनी चाहिए।

मुझे इस घटनाक्रम पर भारी दुख है जिसकी वजह से प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इस अपराध पर गुस्सा समझा जा सकता है, लेकिन हिंसा इसका हल नहीं है। मैं सभी नागरिकों से शांति और अमन बनाए रखने की अपील करता हूं।

मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। गृहमंत्री ने की जा रही कार्रवाइयों और उपायों की जानकारी दी है। हम बिना देरी के बलात्कार के इस घृणित अपराध की जांच करेंगे और साथ ही महिलाओं और बच्चों पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कानूनों की व्यापक समीक्षा करेंगे।

हमारी सरकार इन सभी के बारे में आपको लगातार जानकारी देती रहेगी। मैं समाज के सभी वर्गों से अपील करता हूं कि वे शांति बनाए रखें और हमारे प्रयासों में सहयोग करें।

इस बीच, भाजपा ने गैंगरेप पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि औरतों के खिलाफ जघन्य अपराध को लेकर उनका बयान लोगों में आत्मविश्वास जगाने वाला नहीं है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि उनका प्रयास काफी देर से उठाया गया छोटा कदम है। लोग कड़ा कानून और समयबद्ध कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के मूड को भांपने में नाकामयाब रही है।

उधर, कल प्रदर्शन के दौरान घायल हुए दिल्ली पुलिस के जवान सुभाष चंद की हालत चिंताजनक बताई जा रही है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उसे जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया है।

दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में तीन जनवरी से शुरू होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बाबत राज्य सरकार को आदेश जारी किया है। आगामी तीन जनवरी से दुष्कर्म मामले की सुनवाई बिना किसी रुकावट के प्रतिदिन होगी।

एक समाचार चैनल के रिपोर्ट के अनुसार के इसके साथ ही दिल्ली के अन्य सभी बलात्कार मामलों की सुनवाई भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी। वहीं, गृहमंत्रालय के अनुसार इस तरह के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे। इतना ही नहीं बलात्कार के मामलों की सुनवाई बिना किसी रुकावट के प्रत्येक दिन होगी। इसके बाद पूरे देश में इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि सरकार इस मुद्दे पर बेहद गंभीर है। हमने आरोपियों को तुरंत पकड़ा और इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी।

सफदरजंग अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि शनिवार को मेडिकल जांच के दौरान कुछ गड़बड़ी का पता चलने पर आज उसका एक छोटा सा ऑपरेशन भी किया गया। वहीं पीड़िता की प्लेट्लेट्स लगातार गिर रही थी हालांकि अब उसमें कुछ सुधार के संकेत मिल हैं। शनिवार को उसकी प्लेटलेट्स गिरकर 19हजार हो गई, जबकि एक सामान्य इंसान में इसकी संख्या डेढ़ लाख से करीब साढे चार लाख तक होती है।

डाक्टरों के मुताबिक खून में फैले इंफेक्शन की वजह से परेशानियां बढ़ रही हैं, वहीं उसके शरीर में बिलिरुबिन लेवल भी बढ़ गया है। गैंगरेप पीड़िता के शरीर में फैल रहा इंफेक्शन लगातार डाक्टरों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। डाक्टरों के लिए इसको कम करना सबसे बड़ी चुनौती है। युवती को इस दौरान काफी तेज बुखार भी बताया गया है।

वहीं, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ घृणतम अपराधों के लिए मौजूदा कानून में संशोधन करने के लिए वह राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगी एवं संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करेंगी।

उधर, इंडिया गेट पर लगातार दो दिन तक चले प्रदर्शन के बाद सैंकड़ों प्रदर्शनकारी आज जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए हैं। ये लोग शांतिपूर्वक तरीके से सामूहिक बलात्कार में शामिल लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग कर रहे है। प्रदर्शन में स्कूली छात्र और महिलाएं भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर पर समूह में बैठकर नारेबाजी कर रहे है और पीड़िता के लिए इंसाफ की मांग कर रहे है। हालांकि कल के मुकाबले आज विरोध शांतिपूर्ण हैं।

दिल्ली में रेप पर इतनी हायतौबा क्यों: काटजू

यह सही है कि राजधानी दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। संसद से लेकर सड़क तक आक्रोश दिखाई भी दे रहा है, लेकिन प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू के मुताबिक इस मुद्दे पर मीडिया को जोश से नहीं बल्कि होश से काम लेना चाहिए।

काटजू ने इस मुद्दे पर दिए अपने बयान में कहा कि लोग दिल्ली में हुए इस सामूहिक बलात्कार की घटना पर मेरी राय पूछ रहे हैं। काटजू ने कहा कि मैं इसकी जबर्दस्त भ‌र्त्सना करता हूं। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी हैं उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए।

काटजू ने कहा कि इसके साथ ही मैं यह भी जानना चाहता हूं कि मीडिया और संसद में क्या तब भी इतनी ही हायतौबा मचती जब यही घटना देश के किसी दूसरे हिस्से में हुई होती, खासकर ग्रामीण इलाके में। मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसा नहीं होता लेकिन निश्चित रूप से दिल्ली पूरा भारत नहीं है। काटजू ने कहा कि विदर्भ, आंध्रप्रदेश और अन्य जगहों पर पिछले 10-15 साल में ढाई लाख किसानों ने आत्महत्या कर ली जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है, लेकिन शायद ही इसपर कभी ऐसी हायतौबा मची हो। देश में 48 फीसद बच्चे कुपोषित हैं, यह सोमालिया और इथियोपिया से भी बदतर स्थिति है। देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है। गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। शिक्षा की भी ऐसी ही स्थिति है। महंगाई आसमान छू रही है और देश की 80 फीसद आबादी कैसे अपना जीवन यापन करती है ये अपने आप में एक आश्चर्य है। लेकिन न तो मीडिया और न ही संसद में कभी इसपर कोई हायतौबा मची। काटजू ने कहा कि मैं यहां रेप को उचित ठहराने की कोशिश नहीं कर रहा मैं सिर्फ लोगों से संतुलन में रहने और दिल्ली की गैंगरेप की घटना को ऐसी हाइप न देने की प्रार्थना कर रहा हूं जैसे कि ये देश की अकेली समस्या हो। भारतीय दंड संहिता की धारा 376 में पहले से ही रेप के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद निर्धारित है। मुझे इसमें फांसी की सजा का प्रावधान जोड़ने का कोई कारण नजर नहीं आता।

LIVE: लोगों का गुस्सा जायजः तेजेंद्र

शनिवार की तरह रविवार को भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई और पुलिस ने वाटर केनन के अलावा आंसू गैस के गोले भी प्रदर्शनकारियों पर दागे. यही नहीं पुलिस के लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी जख्‍मी हो गए. रविवार को योगगुरु बाबा रामदेव और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल अपने साथियों के साथ इंडिया गेट पर प्रदर्शन के लिए पहुंचे. पढ़ि‍ए इंडिया गेट, जंतर मंतर से लाइव अपडेट.
05.03 PM: दिल्ली गैंगरेप पीड़ित का मेडिकल बुलेटिन. डॉक्टरों ने कहा, पीड़ित की हालत में सुधार नहीं. पीड़ित की हालत पहले से बिगड़ी. रक्तस्राव की वजह से हालत ठीक नहीं. किडनी का काम करना राहत की बात. कल के मुकाबले स्थिति ठीक नहीं. वेंटिलेटर पर है पीड़ित. खून निकलने की वजह से हालत बिगड़ी. पीड़ित होश में है, बात कर रही है.
04.44 PM: पुलिस की गलती से बस में काले शीशे.
04.42 PM: पुलिसकर्मी की अभद्रता पर तुरंत कार्रवाई.
04.40 PM: पुलिस का बर्ताव बदलने के लिए ट्रेनिंग.
04.39 PM: स्पेशल कमिश्नर महिलाओं से संपर्क में. स्पेशल कमिश्नर सुधीर यादव.
04.38 PM: महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबरः 981800012. शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होगी.
04.37 PM: हर तीन महीने पर सुरक्षा के लिए बैठक.
04.36 PM: डीसीपी (ट्रैफिक) को कारण बताओ नोटिस.
04.35 PM: दिल्ली महिला आयोग से भी बात हुईः तेजिंदर खन्ना
04.34 PM: डीसीपी पर भी कार्रवाई संभवः तेजिंदर खन्ना
04.33 PM: एसीपी रैंक के दो अधिकारी सस्पेंड किए गएः तेजिंदर खन्ना
04.32 PM: ऐसा लगता है पुलिस ने लापरवाही बरतीः तेजिंदर खन्ना
04.30 PM: दिल्ली गैंगरेप मामले पर बोले उपराज्यपाल तेजिंदर खन्ना. उन्होंने कहा, लोगों का गुस्सा जायज है.
03.17 PM: दिल्‍ली में महिलाओं के लिए CM की हेल्‍पलाइन सेवा शुरू हो गई है, हेल्‍पलाइन नंबर है 167.
03.11PM: राष्‍ट्रपति से कल मिलकर करेंगे विशेष सत्र बुलाने की मांग: सुषमा स्‍वराज
03.02PM: इंडिया गेट पर इमरजेंसी जैसे हालात: सुषमा

02.59PM: बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक खत्‍म, दिल्‍ली गैंगरेप मसले पर हुई बैठक

02.53PM: गैंगरेप पर सरकार ने हमारे दोनों सुझाव ठुकराए: सुषमा
02.05PM: पांच फास्‍ट ट्रैक कोर्ट पर दिल्‍ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से गृहमंत्री और मुख्‍यमंत्री की हुई बात. रेप के मामलों पर रोजाना होगी सुनवाई.
02.02PM: चीफ जस्‍टिस से मिलकर आयीं मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने बताया कि 3 जनवरी से फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में रोजाना सुनवाई होगी और फास्‍ट ट्रैक कोर्ट की जज भी महिलाएं ही होंगी.
01.46PM: दिल्‍ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से मिले शिंदे, मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित भी साथ  
01.01PM: गैंगरेप पीड़ि‍त लड़की की हालत नाजुक, अब भी वेंटिलेटर पर
12.25PM: गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 4 जनवरी को डीजीपी और गृह सचिवों की बैठक बुलाई.
12.19PM: फास्‍ट ट्रैक कोर्ट के लिए चीफ जस्टिस से मिलेंगे शिंदे
12.06PM: इंडिया गेट हिंसा मामले में तेजिंदर पाल बग्‍गा गिरफ्तार
12.04PM: बैठक में ट्रांसपोर्ट सचिव और ट्रांसपोर्ट कमिश्‍नर को भी किया गया तलब
12.02PM: दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल ने पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाई
11.32AM: जनता का गुस्‍सा नहीं समझ रहे हैं पीएम: बीजेपी
11.31AM: पीएम के बयान से निराशा हुई: बीजेपी
11.25AM: तिहाड़ में गैंगरेप के आरोपी राम सिंह की पिटाई, तिहाड़ की जेल नंबर 3 में बंद है राम सिंह.
11.00AM: प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कल की पुलिस कार्रवाई सही: सुशील कुमार  शिंदे, गृहमंत्री
10.58AM: सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पुलिस कमिश्‍नर पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
10.56AM: गृह मंत्री ने कहा संसद का विशेष सत्र बुलाने की जरूरत नहीं है.
10.54AM: गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को कहा कि सर्वदलीय बैठक बुलाना अभी तय नहीं हुआ है.
10.50AM: कुछ लोग जंतर मंतर पहुंचे, विरोध प्रदर्शन जारी
10.24AM: न्‍याय दिलाने के प्रति सरकार गंभीर: शिंदे
10.22AM: कानून में बदलाव पर विचार: शिंदे
10.19AM: केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इंडिया गेट पर हुई हिंसा की जांच का ऐलान किया है.
10.13AM: गैंगरेप की घटना से सभी दुखी: PM
10.12AM: बेटियों का पिता हूं, घटना की गंभीरता को समझ सकता हूं: PM
10.09AM: हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलता, शांति बनाए रखें: PM
10.08AM: हम लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं: पीएम
10.06AM: सुरक्षा के सभी कदम उठाए जा रहे हैं: पीएम
10.03AM: दिल्‍ली गैंगरेप मामले पर दोपहर 12.30 बजे नितिन गडकरी के आवास पर होगी बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक.
09.53AM: दोपहर में राष्‍ट्र के नाम संदेश दे सकते हैं PM
08.21 AM: गैंग रेप पीड़ित लड़की की हालत अभी भी खतरे से बाहर नहीं, डॉक्टरों ने कहा- होश में है लड़की, लेकिन प्लेटलेट घटने से बढ़ी चिंता,पीडित लडकी के पिता ने की शांति की अपील
08.20 AM:  गैंगरेप को लेकर विरोध पर सख्ती के बाद इंडिया गेट कराया गया खाली,चप्पे चप्पे पर सुरक्षा इंतजाम, आज भी बंद रहेंगे दस मेट्रो स्टेशन
07.06 AM:  दिल्ली गैंग रेप पर  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तोडी चुप्पी, कहा - लड़की के साथ बर्बर अपराध से सरकार चिंतित, प्रदर्शनकारियों के गुस्से को भी बताया जायज
07.00 AM: गैंगरेप पर मौजूदा कानून में संशोधन के लिए तैयार सरकार,गृहमंत्री शिंदे ने रिटायर्ड जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में बनाई कमेटी,30 दिन में मांगी रिपोर्ट.
06.45 AM: दिल्ली पुलिस कमिश्नर पर लटकी तलवार, इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों से निपटने के तरीके पर शीला दीक्षित नाराज, संदीप दीक्षित ने की कमिश्नर को हटाने की मांग.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/live-update-of-india-gate-agitation-1-716632.html


पीड़िता के पिता ने की शांति की अपील

राजधानी दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की पीड़ित पैरा-मेडिकल छात्रा के भावुक पिता ने रविवार रात प्रदर्शनकारियों से तोड़फोड़ रोकने और दोषियों को न्याय के दायरे में लाने में पुलिस को मदद करने की अपील की।

लड़की के पिता ने साथ ही लोगों से अपील की कि वे उनकी 23 वर्षीय बेटी के लिए प्रार्थना करें जो शहर के एक अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही है।

उन्होंने एक टेलीविजन चैनल से कहा कि मेरी पुत्री की हालत अब स्थिर है। वह होश में है। मैं सभी से अपील करता हूं कि तोड़फोड़ नहीं करें और पुलिस की मदद करें ताकि दोषियों को पकड़ने और सजा दिलाने की प्रक्रिया सफल हो। पीड़िता के पिता ने कहा कि उनकी बेटी की लड़ने की क्षमता अब भी वही है।

उन्होंने कहा कि मेरी बेटी में जीने और लड़ने की क्षमता अब भी वही है। कृपया भगवान से प्रार्थना करें कि मेरी पुत्री ठीक हो जाए। तोड़फोड़ से कुछ भी अच्छा नहीं होगा। मैं आपसे अपील करता हूं कि कोई तोड़फोड़ नहीं करें ताकि आप और हम दोनों शांति से अपना काम कर सकें।

मेरी बेटी साहसी : पीड़ित लड़की के पिता ने कहा है कि उनकी बेटी साहसी है। उन्होंने भरोसा जताया कि उनकी बेटी जिंदगी की जंग जरूर जीतेगी। मेरी पुत्री कितनी बहादुर है इसका वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं।

पीड़िता की हालत चिंताजनक : राजधानी में एक सप्ताह पहले चलती बस में सामूहिक बलात्कार की शिकार 23 वर्षीय पैरा-मेडिकल छात्रा का कला रात एक छोटा ऑपरेशन किया गया और उसे फिर से वेंटिलेटर पर रखा गया है। उसकी हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।

मेडिकल परीक्षण में पता लगा कि उसके पेट में कुछ तरल पदार्थ जमा हो गया है। सफदरजंग अस्पताल में छात्रा का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि पीड़िता के पेट की 'छोटी' सर्जरी हुई है और उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है। डॉक्टरों के अनुसार उसके प्लेटलेट में उतार चढ़ाव हो रहा है।

सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बीडी अथानी ने संवाददाताओं से कहा कि रात में उसने पेट में दर्द की शिकायत की थी और उसे सांस लेने में भी दिक्कत थी। उन्होंने कहा कि सांस की स्थिति में सुधार हुआ है।

डॉक्टर संक्रमण की आशंका को लेकर चिंतित हैं। डाक्टर ने कहा कि वह गंभीर हालत में है और आईसीयू में बनी हुई है। हमें अगले कुछ दिन तक उसका खास ख्याल रखना है।

इस छात्रा को शुक्रवार से वेंटिलेटर से हटा दिया गया था, लेकिन कुछ सांस संबंधी समस्याओं के कारण उसे शाम को फिर वेंटिलेटर पर रखा गया। अथानी ने कहा कि हम उसकी सभी तरह की जांच कर रहे हैं। उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

पीड़िता के परिजनों ने बताया कि चिकित्सकों ने 'कुछ परेशानी' के बाद उसे शाम में वेंटिलेटर पर रखा।


पिछले साल 572 और इस साल 661 रेप

घर के बाहर खेल रही चार साल की गुड्डी अंधेरे में कहीं गुम हो गई। पार्क, पड़ोसी, रिश्तेदार सब जगह तलाश हुई। तीन दिन बाद गुड्डी तो नहीं, नग्न अवस्था में उसकी लाश जरूर परिजनों को मिल गई। दुख में डूबा परिवार कुछ संभल पाता उससे पहले ही मेडिकल रिपोर्ट में बच्ची से दुष्कर्म के खुलासे ने उन्हें तोड़कर रख दिया। प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर लौट रही प्रीति (दोनों बदला हुआ नाम) का रास्ते में अपहरण हुआ और सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बन गई। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर ही यकीन करें तो शहर में न जाने ऐसी कितनी ही गुड्डी और प्रीति हैं जो आए दिन वहशी दरिंदों का शिकार बन रही हैं। पुलिस आयुक्त नीरज कुमार की मानें तो 2011 की तुलना में इस साल दुष्कर्म की वारदात बढ़ी हैं। इसके पीछे वह जनसंख्या में बढ़ोत्तरी व मामलों को दर्ज कराने के लिए महिलाओं का आगे आना मानते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर वहशी दरिंदों पर पुलिस लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है? पुलिस अधिकारियों की मानें तो तीन साल की बच्ची से लेकर 80 साल की बुजुर्ग महिलाओं तक के साथ दुष्कर्म की वारदात हो रही है। समाजशास्त्री इसके लिए सामाजिक तानेबाने में आए बदलाव को जिम्मेदार मान रहे हैं। उनके अनुसार पुलिस, सरकार व समाज तीनों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा। स्कूलों के साथ अभिभावकों को भी इस दिशा में आगे आकर बच्चों को जागरूक करना होगा। क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त एसबीके सिंह बताते हैं कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में बाहरी लोगों का हाथ बहुत कम होता है। दुष्कर्म और छेड़छाड़ जैसी वारदातों में तो 96 प्रतिशत परिचित ही शामिल होते हैं। समाज को महिलाओं के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। जहां तक पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने की बात है उस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली की मंत्री किरण वालिया ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे मामलों की स्थिति चिंता की बात है। इस पर रोक लगाने के लिए टॉस्क फोर्स बनाए जाने की जरूरत है। सरकार स्तर पर हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। पुलिस विभाग से भी लगातार बैठकें जारी हैं।

शर्मनाक: मेडिकल में दुष्कर्म की पुष्टि, चार्जशीट में बताया प्रयास

सामूहिक दुष्कर्म के बाद नाबालिग की मौत के मामले में अदालत ने पुलिस की ओर से आरोप पत्र दायर करने के तरीके पर नाराजगी जताई है। रोहिणी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ की अदालत ने कहा कि यह दुखद पहलू है कि मामले में जांच एजेंसी पीड़िता की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की दिशा को अब तक आगे नहीं बढ़ा सकी है। मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ है, जबकि पुलिस ने आरोपपत्र में दुष्कर्म के प्रयास करने की बात कही है।

अदालत ने कहा कि पीड़िता ने कार में दुष्कर्म का विरोध किया था। ऐसे में आरोपी ने उसकी पीठ पर वार किया था। इससे उसकी कमर में लकवा मार गया। आरोपी ने वारदात के बाद जानबूझकर कार को गड्ढे में दुर्घटनाग्रस्त कर दिया, जिससे सबूतों को मिटाया जा सके। दुर्घटना के दौरान कार से कूदने के दौरान पीड़िता जख्मी भी हो गई थी। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने वारदात के 16 दिन बाद अस्पताल में उसका बयान दर्ज किया। ऐसे में परिस्थितियों को देखते हुए प्रथम दृष्टया यह लगता है कि पीडि़ता की मौत इन्हीं कारणों से हुई है, लेकिन मामले को पुलिस ने हल्के में लेते हुए केवल दुष्कर्म के प्रयास का आरोपपत्र दायर किया है। अदालत ने कहा कि पुलिस अब तक फोरेंसिक सबूतों को भी एकत्रित नहीं कर सकी है, जिससे उसकी मौत के कारण का पता चल सके।

मामले की सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि वे और सबूतों को एकत्रित करने की प्रक्रिया में जुटे हैं। बाद में वे पूरक आरोपपत्र अदालत को सौंपेंगे। मामले में हितेश पर आरोप है कि 19 मार्च, 2010 को बवाना में 15 वर्षीय पीड़िता को जबरन कार में बिठा लिया और अपने दोस्त मोनू के साथ उसके साथ दुष्कर्म किया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी।

मणिपुर में क‌र्फ्यू हटते ही सड़क पर उतरे लोग

नगा उग्रवादियों द्वारा फिल्म अभिनेत्री मोमोको के साथ छेड़छाड़ और पत्रकार की मौत को लेकर विरोध को देखते हुए मणिपुर घाटी में सोमवार सुबह हटा क‌र्फ्यू फिर लगा दिया गया। दरअसल, इंफाल पूर्व और पश्चिम में रविवार दोपहर दो बजे लागू क‌र्फ्यू सोमवार सुबह खत्म हुआ। इसके तुरंत बाद विभिन्न सामाजिक संगठन पत्रकार की मौत की न्यायिक जांच की मांग करते हुए सड़क पर निकल आए और जाम लगा दिया। मणिपुर सरकार ने फायरिंग में शामिल पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। वहीं, पीड़ित अभिनेत्री मोमोको ने लोगों से आरोपियों को पकड़ने में पुलिस की मदद करने की अपील की है।

सोमवार सुबह क‌र्फ्यू हटते ही प्रदर्शनकारियों ने इंफाल पूर्व व पश्चिम के अलावा बिशेनपुर और थोउबल जिले में रैली निकाली और टायरों को जलाकर सड़क जाम कर दी। प्रदर्शनकारी रविवार को पुलिस फायरिंग में मारे गए पत्रकार के मामले में न्यायिक जांच और दोषी पुलिसकर्मियों को सजा की मांग कर रहे थे। इसके बाद इंफाल पूर्व व पश्चिम के साथ ही बिशेनपुर और थोउबल जिलों में सुबह 11 बजे से फिर क‌र्फ्यू लगा दिया गया। रविवार को मणिपुर फिल्म फोरम [एमएफएफ] के अध्यक्ष सूरजकांत शर्मा ने क्रिसमस को देखते हुए 26 दिसंबर की मध्यरात्रि तक आम हड़ताल में छूट की घोषणा की थी। हालांकि, एमएफएफ का एक धड़ा इससे सहमत नहीं हुआ और बताया कि हड़ताल में छूट का सवाल ही नहीं उठता।

राज्य सरकार ने प्रदेश के प्रधान सचिव सुरेश बाबू के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन की घोषणा करते हुए एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट तलब की है। राज्य के गृहमंत्री ने मणिपुर फिल्म फोरम से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मोमोको ने मणिपुर घाटी और पहाड़ी के लोगों से अपील की है कि वे आरोपियों को पकड़ने में पुलिस की मदद करें।

गैंगरेप केस: कामकाजी महिलाओं का आत्मविश्वास डगमगाया

सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध पर देश भर में गुस्सा उबल रहा है, संसद से लेकर सड़कों पर लोग अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। इस घटना के बाद राजधानी दिल्ली व एनसीआर समेत देश के अधिकांश प्रमुख महानगरों में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली कामकाजी महिलाएं घर से बाहर निकलने के दौरान खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

एसोचैम द्वारा किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट में यह बात निकल कर आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे के दौरान अधिकांश ने कानून व्यवस्था में जोरदार बदलाव की वकालत की हैं। सर्वे के दौरान दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, सोनीपत व फरीदाबाद में स्थित विभिन्न कार्यालयों में काम करने वाली महिलाएं अपना काम समाप्त करने के बाद तुरंत कार्यस्थल से निकलने की तैयारी में जुट जाती है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे समय निकलता जाता है वैसे-वैसे मुश्किलें बढ़ने लगती हैं।

साउथ दिल्ली में पारामेडिकल की छात्रा के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद अधिकांश ने बल देते हुए कहा कि इस तरह के मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द करने की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि पीड़िता को शीघ्र ही न्याय मिल सकें। सर्वे के दौरान अधिकांश महिलाओं ने कहा कि इस घटना के बाद कार्यालय में काम करने के दौरान उनके अभिभावक, पतियों एवं अन्य रिश्तेदारों की ओर से सुरक्षा संबंधी चिंताओं को लेकर फोन कॉल किए जाते रहते हैं।

एसोचैम की ओर से देश के विभिन्न शहरों में 2500 महिलाओं और पुरुषों पर सर्वे के बाद यह रिपोर्ट जारी किया गया है। सर्वे में कहा गया है कि मेट्रो में सफर करने के दौरान महिलाएं खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती है लेकिन वह भी तभी तक अपने आप को सुरक्षित मानती है जबतक वह मेट्रो परिसर के अंदर होती है। अधिकांश ने कहा कि पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती भी थोड़े समय तक के लिए ही की गई हैं। बाद में सब कुछ पहले की तरह ही दिखने लगेगा।

इस मामले पर एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि कानून का डर उन लोगों के बीच जरूर पहुंचना चाहिए जिन्हें इस तरह का अपराध करने में हिचक महसूस नहीं होती हैं।

दिल्ली गैंगरेप: दुनिया भर में हो रही भारत की फजीहत

भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर किरकिरी के बाद अब दिल्‍ली गैंगरेप के मामले को लेकर दुनियाभर में भारत की थू-थू हो रही है। खासतौर पर अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया ने भारत में हुई इस शर्मनाक घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। अमेरिकी और ब्रिटिश समाचार पत्रों न केवल इस घटना को अपने यहां जगह बल्कि इससे जुड़े आंदोलन और बलात्‍कार की शिकार लड़की से जुड़ी पल-पल की खबरें प्रकाशित की हैं। इस घटना के कारण अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारत की छवि और खराब हो गई। ध्‍यान रहे कि महिलाओं की सुरक्षा के मामले में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारत की छवि पहले से बहुत खराब है। आइए जानते हैं अखबारों ने भारत के बारे में क्‍या लिखा है?

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने न्‍याय व्‍यवस्‍था पर ली चुटकी

न्यूयॉर्क टाइम्स ने 'बलात्‍कार मामले पर प्रदर्शन के दौरान झड़प' को हेडलाइन बनाया। समाचार पत्र ने लिखा है कि हजारों प्रदर्शनकारी दिल्ली के वीआईपी इलाके में न्याय की मांग और बेहतर पुलिसिंग की मांग को लेकर उमड़ पड़े। अखबार ने आगे लिखा कि इस समस्या की जड़ कट्टरपंथी समाज में है, जिसे हमेशा घर में बंद रहने वाली शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते वर्चस्व से दिक्कत है। जनसांख्यिकी की भी इसमें एक अहम भूमिका है। भारत की आधी जनसंख्या 25 साल से कम उम्र की है और कन्या भ्रूण हत्या तथा लड़कियों को नजरअंदाज करने से लैंगिक असमानता आ रही है। अखबार का कहना है कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली अपूर्ण, भ्रष्ट है और इसमें राजनीतिक प्रभाव बना हुआ है।

अन्‍य चैनलों और अखबरों ने भी दी प्रमुखता

दूसरी ओर सीएनएन ने अपनी खबर में कहा है कि पुलिस का कहना है कि नई दिल्ली में चलती बस में एक युवती के साथ रेप हुआ और उसे मरणासन्न स्थिति तक पीटा गया। वह अस्पताल के आईसीयू में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले 40 सालों में रेप के मामलों में तकरीबन 875 फीसदी का इजाफा हुआ है। लॉस एंजिलिस टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारों प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को नई दिल्ली में भारतीय राष्ट्रपति के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। गैंगरेप पीड़ित युवती को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन कर लोगों ने बैरिकैड तोड़ डाले और पुलिस के साथ संघर्ष किया। पुलिस ने लोगों को हटाने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा ब्रिटिश टेब्‍लॉयड डेली मेल ने भी इस घटना को पूरी कवरेज दी है। अखबार बलात्‍कार की शिकार लड़की के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी पूरी जानकारी अपने पाठकों दे रहा है।

...जब 'वॉशिंगटन पोस्ट'ने लिखा था मनमोहन भ्रष्‍ट सरकार के पीएम

विदेशी मीडिया द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा था। इस बार अमेरिकी अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने भारत के प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए लिखा था कि भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की साख गिरी है। अखबार ने लिखा था कि प्रधानमंत्री भ्रष्ट सरकार के मुखिया हैं। अखबार ने साफ लिखा कि मनमोहन सिंह की गिरती साख इतिहास में एक असफल प्रधानमंत्री के तौर पर दर्ज हो रही है।

'टाइम' पत्रिका ने कहा था मनमोहन को 'अंडरअचीवर'

अखबार में यह भी लिखा था कि मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल ने उनकी छवि खराब की। इस दौरान देश की स्थिति भी खराब होती गई। आर्थिक मामलों में देश पहले से और नीचे चला गया है। भ्रष्टाचार के लगातार हो रहे खुलासे की वजह से मनमोहन सिंह की छवि खराब हुई है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने अमेरिकी अखबार की टिप्पणी पर अफसोस जताया है। सोनी ने कहा कि प्रधानमंत्री पर ऐसे आरोप लगाना सरासर गलत है। सोनी ने कहा कि सरकार इस बारे में विरोध जताएगी। सोनी ने कहा कि प्रधानमंत्री के बारे में पहले भी ऐसा कहा गया था और बाद में माफ़ी मांगी थी। 'द वॉशिंगटन पोस्ट' को हमारे प्रधानमंत्री के बारे में इस तरह की बात करने का उन्हें कोई हक नहीं है।

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