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Sunday, December 30, 2012

बंगाल में बलात्कार के अपराधी पकड़े नहीं जाते, बारासात में फिर सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या



बंगाल में बलात्कार के अपराधी पकड़े नहीं जाते, बारासात में फिर सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के विरोध मं मुखर है कोलकाता भी। मां माटी मानुष सरकार की मुखिया अग्निकन्या ममता बनर्जी ने दिल्ली की पीड़िता की मौत पर शोक जताते हुए कहा कि बंगाल में ऐसा हुआ, तो कड़ी कार्रवाई करेंगी। उन्होंने इससे पहले दावा किया कि महिलाओं पर अत्याचारों के मामले में जजा दिलाने में बंगाल अव्वल नंबर पर है। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। जहां महिलाओं पर अत्याचारों के मामले में बंगाल एक नंबर पर है, वहीं सजा दिलाने में पंद्रहवें नंबर पर। दिल्ली सामूहिक बलात्कार की शिकार पीड़िता की मौत से जब सारा देश शोकस्तब्ध था, कोलकाता में भी मोमबत्तियों के साथ सड़कों पर उतर रहे थे लोग, तब कोलकाता से कुछ ही दूरी पर बारासात में ४५ साल की एक महिला की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी ​​गयी। पत्नी को बचाने में नाकाम पति पर भी जानलेवा हमला किया गया और वे मौत से जूझ रहे हैं। इसी दिन तृणमूल सांसद काकोली घोष​
​ दस्तिदार ने सरकार समर्थक रंगकर्मी अर्पिता घोष के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पार्क सर्कस में बलात्कार तो  हुआ ही नहीं, यह मामला तो एक य़ौन कर्मी ौर उसके ग्राहक के बीच सौदेबाजी का है। इससे पहले बंगाल के सांसद और राष्ट्रपति पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने दिल्ली में प्रदरशनकारी महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की। लगभग ११ महीने बीत जाने के बाद भी पार्क स्ट्रीट बलात्कारकांड में चार्ज शीट ही तैयार नहीं हो पायी और न ​​मुख्य अभियुक्त को ही पुलिस पकड़ सकी।

उत्तर चौबीस परगना जिला मुख्रायालय बारासात यौन उत्पीड़न के लिए कुख्यात है। वहां महिलाओं के लिए रात को गर से बाहर निकलना मुश्किल है।शनिवार शाम को बैरकपुर बारासात मुख्यसड़क के पास बारासात थाना अंतर्गत नीलगंज रोड के निकट एक ईंट भट्ठे पर तालाब के किनारे पैंतालीस साल की एक महिला की लाश पुलिस ने बरामद की।उस महिला से उसके पति के सामने ही सामूहिक बलात्कार किया गया।अपराधियों का मुकाबला करते हुए पति गंभीर रुप से जख्मी है।उसे तेजाबी जहर जबरन पिलाकर अपराधी फरार हो गये,तब जाकर कहीं मौके पर पहुंचकर पुलिस ने खून से लथपथ महिला की लाश बरामद की। पति को पहले बारासातसदर अस्पताल ले जाया गया, फिर वहां हालत बिगड़ने पर उन्हें कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में सथानांतरित किया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। रात को ईंटभट्ठा में छापा मारकर पांच युवकों समेत आठ अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

उत्तर चौबीस परगना के पुलिस सुपर सुगत सेन ने इस सिलसिले में कहा कि  मामले की जांच हो रही है, पर पोस्टमार्टम रपट आने तक कुछ कहना मुश्किल है।बंगाल में पुलिस राजनीतिक हरी झंडी से पहले कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। पार्क सर्कस बलात्कारकांड में मामले को मुक्यमंत्री ने खारिज कर दिया था , पर तफतीश करके खफिया अधिकारी दमयंती सेन ने जब बलात्कार के सबूत जुटा लिये तो उन्हें तुरत फुरत हटा दिया गया। सुगत बाबू और दूसरे पुलिस अफसरान की मुश्किल समझ में आने वाली है क्योंकि इस राज्य में हर अपराधी गिरोह को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। किस पर कार्रवाई हो और किस पर नहीं. यह पुलिस नहीं, राजनीति तय करती है।टीवी पर दिल्ली बलात्कारकांड की पीड़िता की मौत से गुस्साय़े लोगों ने जब अपने ही शहर में वैसी ही वारदात की खबर सुनी, तो वे भारी संख्या में सड़क पर निकल आये और मृतका के घर, वारदात की जगह और अस्पताल में जमा होने लगे। इससे निपटने के लिए पुलिस ने हालांकि तुरंत ही भारी तादाद में फोर्स लगी दी।

बलात्कार की शिकार मृतका जगन्नाथपुर सोनाखरकि ईंटभट्ठे में ही काम करती थी। शाम को जब उसके लौटने में देरी हो गयी, तो पति छह बजे के आसपास  मौके पर पहुंच गये। वहां उन्होंने अपनी पत्नी को असहाय बलात्कारियों के शिकंजे में फंसा देखा। बलात्कारियों को बाधा दने की उन्होंने कोशिश की तो वहीं खड़े दूसरे अपराधी उन पर झपट पड़े। पति को एक तरफ मारा पीटा जा रहा था तो दूसरी ओर अपराधी मानवता  के विरुद्ध जघन्यतम अपराध को अंजाम दे रहे थे।पत्नी की जान लेने के बाद आतताइयों ने पति को तेजाबी जहर जबरन पिला दिया।वे मौके पर बेहोश हो गये।अस्पताल की बिस्तर पर लेटे आपबीती बयान करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह  होश लौटने पर वे किसी तरह घर पहुंचे। तब तक उन्हें खून की उल्टियां लग गयी थी। महिला के बेटे ने कहा कि तब उसके पिता के मुंह से खून आ रहा था। हादसे के बारे में मालूम होते ही बेटा मोटरबाइक पर सवार मौके की तरफ निकला। साथ में अड़ोस पड़ोस ​​के लोग थे।उन्होंने ही पुलिस को खबर की।

मालूम हो कि पांच साल पहले इसी ईंट भट्ठे पर एक सामूहिक बलात्कारकांड हुआ था।

बारासात शहर में ही २०११ में १४ फरवरी की रात कचहरी मैदान के पास रेलवे स्टेशन से घर जाते हुए अपनी कामकाजी दीदी को बचाने की​
​ कोशिश में माध्यमिक परीक्षार्थी राजीव दास की हत्या कर दी गयी थीष फर्क इतना ही है कि तब राज वाम मोरचा का था। पर सत्ता में बदलाव के बाद बारासात में गुंडाराज पर कोई फर्क नहीं पड़ा। गुंडों के संरक्षक जरुर बदल गये।

नेशनल क्राइम ब्यूरो की रपट के मुताबिक महिलाओं पर अत्याचारों के मामले में बंगाल ्व्वल है और सजा दिलाने में पंद्रहवें नंबर पर।

चलती बस में बलात्कार की शिकार 23 वर्षीय युवती की सिंगापुर के अस्पताल में मौत के बाद महिलाओं के प्रति यौन अपराध के बढ़ते मामलों पर गंभीर चर्चा के बीच एक सचाई यह भी है कि दिल्ली में प्रतिदिन बलात्कार की औसतन 1 से अधिक घटनाएं सामने आ रही हैं. कडी़ सुरक्षा के बावजूद देश के 6 मेट्रो शहरों में से बलात्कार के सर्वाधिक मामले दिल्ली में ही सामने आए हैं.गृह मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक, 2012 में दिल्ली में बलात्कार के 635 मामलों में 348 में जांच अभी जारी है, जबकि अभी तक केवल एक मामले में सजा हुई है। वहीं, 2012 में यहां लड़कियों से छेड़छाड़ करने के 193 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोई भी अभ्‍यारोपित नहीं किया गया।बंगाल में अदालतों में जितने बलात्कार के मुकदमे चल रहे है, उनमे से एक तिहाई मामलों में पुलिस चार्जशीट ही दाखिल नहीं कर पायी।स्टेट क्राइउम ब्यूरो के ांकड़ों के मुताबिक बंगाल में २००७ से लेकर २०११ तक अदालतों में बलात्कार के १३,०३२ मुकदमे चल रहे हैं।इनमे से चार हजार मामलों में पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। चालू साल के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।

पिछले साल महिलाओं के खिलाफ देश भर में हुए अपराधों के मामले में पश्चिम बंगाल पहले नंबर पर रहा। दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश रहा। नेशनल क्राइम ब्यूरो की ताजा रपट में यह जानकारी दी गई है। हाल में नेशनल क्राइम ब्यूरो ने 2011 में देश भर में हुए अपराधों के आंकड़े जारी किए हैं। इस बीच 2012 में भी सात महीने गुजर गए हैं और आठवां महीना शुरू हो गया है। ब्यूरो के सूत्रों का मानना है कि मौजूदा साल के आंकड़ों में भी फेरबदल की गुंजाइश नहीं दिख रही है। हालांकि साल पूरा होने के बाद आधिकारिक तौर पर राज्यों के आंकड़े मिलने के बाद ही साफ तौर पर कुछ कहा जा सकेगा। ब्यूरो राज्य सरकारों की ओर से भेजे गए आंकड़ों के आधार पर ही अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। अगर किसी मामले में राज्य अपराधों का ब्योरा नहीं भेजते हैं तो ब्यूरो  उनकी छानबीन करता है और फिर आंकड़े प्रकाशित करता है।  आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल की आबादी देश की साढ़े सात फीसद है, लेकिन पिछले साल यहां महिलाओं के खिलाफ कुल मिला कर अपराध की 29133 घटनाएं हुई हैं। यह अपराध के मामलों में देश का 12.7 फीसद है। दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है। जनसंख्या के मामले में सात फीसद आबादी वाले आंध्र प्रदेश में 12.4 फीसद यानी 28246 अपराध हुए। ब्यूरो का मानना है कि राज्य सरकार के आंकड़ों की तुलना में वास्तविक आंकड़े कहीं ज्यादा हैं। इसका कारण यह है कि आंकड़े पुलिस थानों में दर्ज अपराध के बारे में बताते हैं, लेकिन अपराध की तुलना में थानों में दर्ज नहीं होने वाले आंकड़ों की संख्या कहीं ज्यादा होतीहै।

ब्यूरो के आंकड़े जारी होने के पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि पश्चिम बंगाल में बलात्कार की घटनाएं देश के दूसरे राज्यों की तुलना में औसतन ज्यादा हैं। आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने पत्रकारों को बताया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के खिलाफ होने वाली अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पहले राज्य में आपराधिक घटनाएं धीरे-धीरे बढ़ रही थीं, लेकिन बीते दो महीनों के दौरान इनमें भारी वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल में वानसुन सायन के नेतृत्व में महिला आयोग के तीन सदस्यों के एक दल ने बलात्कार के मामले में जांच अधिकारी के तबादले पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि जांच के लिए निष्पक्ष अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए और पीड़ित महिला की आर्थिक और दूसरी तरह की मदद राज्य सरकार को करनी चाहिए।

महिला आयोग के प्रतिनिधिमंडल ने पार्क स्ट्रीट और बांकुड़ा बलात्कार मामले में जांच अधिकारी की बदली पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उनकी बदली क्यों की गई, इसका राज्य सरकार को अच्छी तरह पता है। मुख्यमंत्री ने पार्क स्ट्रीट बलात्कार कांड को फर्जी बताते हुए कहा था कि राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए इसका प्रचार किया जा रहा है। इसके बाद हावड़ा जिले में जगाछा थाना के सांतरागाछी और उत्तर चौबीस परगना के बारासात में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। राज्य के बुद्धिजीवियोंका भी कहना है कि महिला मुख्यमंत्री के होनेके बावजूद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध लगातार जारी हैं। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कई लोगों ने नाराजगी जताई है।

दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार युवती की मौत की खबर से मैं बहुत आहत हूं। इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। इसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह सर्वदलीय बैठक बुलाकर दुष्कर्म के दोषियों को सख्त सजा का कानून बनाने पर चर्चा करे।

यह कहना है राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का। वे शनिवार को उत्तर बंगाल दौरे से कोलकाता लौटने से पहले बागडोगरा एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात कर रही थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए जरूरी है कि सरकार सभी दलों की बैठक बुलाकर उनकी राय ले। सर्वसम्मति से ऐसा कानून बनाने की पहल हो जिससे इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने कहा कि आईपीसी और सीआरपीसी में संशोधन केंद्र का मुद्दा है। मैं मांग करती हूं कि महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कानून को ज्यादा से ज्यादा कठोर बनाया जाए। इसमें मैं अनुपालन में राज्य सरकार से जो सहयोग चाहिए देने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि मुझे एक कमेटी में रखा गया था उसके तहत मैंने महिलाओं के अधिकार को मजबूत करने की वकालत की थी। उसपर अमल भी हुआ। बनर्जी ने कहा कि ग्रामीण और सुदूर इलाके में इस प्रकार की घटनाएं नहीं के बराबर होती है। देखा जाता है कि शहर और उसके आसपास के इलाके में इस प्रकार की घटनाएं ज्यादा होती है। इसे रोकने के लिए पुलिस को सतर्क और समाज को सजग होना होगा। ऐसे दोषी लोगों को समाज से तिरस्कार किया जाना चाहिए।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के सासंदों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस मांग का शनिवार को मजाक उड़ाया कि केंद्र सरकार को बलात्कार एवं अन्य ऐसे घृणित अपराध करने वालों से निबटने के लिए और कठोर कानून बनाना चाहिए।

रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी की एक बैठक में कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि यदि हेतल पारेख बलात्कार कांड के दोषी को मौजूदा कानून के तहत ही फांसी पर चढ़ाया जा सकता है तो सरकार पार्क स्ट्रीट घटना के मुख्य आरोपी को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं कर पाई।उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार अब पार्क स्ट्रीट बलात्कार कांड पर लीपापोती का प्रयास कर रही है।

चौधरी ने कहा कि दस महीने पहले यह मामला हुआ लेकिन राज्य सरकार मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने में विफल रही है। अन्य कांग्रेस सासंद दीपा दासमुंशी ने भी ऐसी ही बात कही।उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री चाहती हैं कि केंद्र कठोर कानून बनाए। मैं पूछना चाहती हूं कि क्या मौजूदा कानून सरकार को गिरफ्तारी करने की इजाजत देता या नहीं।

दिल्ली की सामूहिक बलात्कार कांड की पीड़िता की सिंगापुर में मौत के बाद ममता ने कहा था कि केंद्र को कठोर कानून बनाना चाहिए क्योंकि वर्तमान कानून पुराने पड़ चुके हैं।

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री एवं माकपा नेता अनीसुर्रहमान के उस बयान पर बवाल मच गया जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछा है कि यदि कोई उनका बलात्कार कर दे तो वे कितना मुआवजा लेंगी?

अनीसुर्रहमान ने कहा, 'सरकार कहती है कि वो लड़कियों, किसानों और गरीबों सबका ख्याल रखती है। तो लड़कियों का ख्याल किस तरह रखा जा रहा है, रोज लड़कियों से बलात्कार किया जा रहा है। ममता बनर्जी बलात्कार पीड़ितों से अपने घर को सजा रही हैं।

उन्होंने कहा कि जब हम सत्ता में थे तब ममता बनर्जी बलात्कार पीड़ितों को लेकर रॉयटर्स बिल्डिंग आती थीं और न्याय मांगती थी। तब हम कहते थे कि इन लड़कियों से काम नहीं चलेगा, किसी और अच्छी लड़की को लाओ, असल में खुद को ही ले आओ, तुम लोगों के बीच जाकर कह सकती हो कि मेरा बलात्कार हुआ है।

उन्होंने कहा कि मैं दीदी से पूछता हूं कि वो बलात्कार पीड़ितों को 20 हजार रुपए का मुआवजा दे रहीं हैं। लेकिन यदि कोई उनका बलात्कार कर दे तो फिर मुआवजा कितना होगा?'

हालांकि रहमान ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए माफी मांगते हुए कहा कि मैंने राज्य के दुष्कर्म के कई मामलों के जिक्र करने के दौरान गलती से ऐसी टिप्पणी कर दी जिसका मुझे खेद है।

उन्होंने कहा कि मेरा किसी व्यक्ति अथवा किसी व्यक्ति विशेष का अपमान करने का कतई इरादा नहीं था। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री और राज्य की जनता से बिना शर्त मांफी मांगता हूं।

सजा की दर काफी कम

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2009 से 2011 के बीच देश में बलात्कार के 67 हजार 769 मामले दर्ज किये गए हैं। . बलात्कार की इन घटनाओं में करीब 26 प्रतिशत मामलों में ही दोषी अभ्‍यारोपित हुए या उन्हें सजा मिल पायी है और 74 प्रतिशत मामलों में जांच कार्य अंजाम तक नहीं पहुंच पाया।


देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और ऐसी घटनाओं को रोकने एवं दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए सख्त कानून बनाये जाने की मांग तेज हो गई है।
लोकसभा में ऐसे ही एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि 2012 में दिल्ली में बलात्कार के 635 मामले दर्ज किये गए हैं, जिनमें केवल एक मामले में सजा हुई. इन मामलों में 754 लोगों को गिरफ्तार किया गया।


राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि सामूहिक बलात्कार की पीड़ित लड़की महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'शहीद' हुई है और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सरकार एवं सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करने की जरूरत है।

महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा कि सिविल सोसायटी को महिला के खिलाफ यौन उत्पीड़न संबंधी कानून में संशोधन को लेकर सरकार से सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने कहा, यह लड़की महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर शहीद हुई है। सरकार और सिविल सोसायटी सभी को मिलकर काम करना चाहिए और महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न संबंधी कानून में संशोधन में मदद करनी चाहिए। ममता ने कहा कि यह हर एक का कर्तव्य है कि वह भविष्य में ऐसी घटनाओं को होने से रोके।

बीते 16 दिसंबर को चलती बस में छह लोगों ने 23 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने के साथ ही उसके साथ हैवानियत का व्यवहार किया था। करीब एक पखवाड़े तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ने के बाद शनिवार को इस पीड़िता ने तड़के सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया।

सोनिया ने कहा कि इससे उन व्यापक शर्मनाक सामाजिक नजरियों और मनोवृत्तियों से लड़ाई की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत होती है, जो पुरुषों को महिलाओं और लड़कियों के साथ इतनी बेदर्दी से बलात्कार और छेड़छाड़ की अनुमति देता है। इस त्रासदी को लेकर आज देशभर में गुस्सा फूटा और लोग सड़कों पर उतर आए।

सोनिया ने कहा कि आप जिन लोगों ने अपने गुस्से का इजहार सार्वजनिक रूप से किया है, जो लोग उस लड़की के समर्थन में उतरे, मैं सभी को आश्वासन देना चाहती हूं कि आपकी आवाज सुनी गई है। उन्होंने कहा कि एक महिला और मां होने के नाते मुझे पता है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं।

उन्‍होंने कहा, मैं आपसे अपील करती हूं कि शांति बनाए रखें और महिलाओं के खिलाफ हिंसा से लड़ाई के सामूहिक इरादे को मजबूत करने में मदद करें। सामूहिक बलात्कार घटना पर पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया में सोनिया ने शुक्रवार को कहा था कि ऐसा बर्बर हमला करने वालों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई थी कि सिंगापुर में इलाज करा रही युवती ठीक हो जाएगी।

कांग्रेस के 127वें स्थापना दिवस के मौके पर पारंपरिक रूप से नए साल की शुभकमानाएं देनी वाली सोनिया ने शुक्रवार को इससे परहेज किया। आज ऐसा नहीं होगा, क्योंकि हमें युवती की चिन्ता है, जो बर्बर हमले के बाद जीवन के लिए संघषर्रत है। हमारी आज यही इच्छा है कि वह ठीक हो और हमारे पास लौटे और इस बर्बर काम को अंजाम देने वालों को दंडित करने में समय नहीं लगे।

राज्य में 65 महिला थाने खुलेंगे : ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों से निपटने के लिए उनकी सरकार राज्य भर में 65 महिला पुलिस थाने स्थापित कर रही है।

जलपाईगुड़ी के पास रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, 'बंगाल में 65 महिला पुलिस थाने होंगे जिनमें सभी महिला पुलिसकर्मी होंगी। इनमें से 10 पहले ही स्थापित किये जा चुके हैं।' आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रत्येक थाने में स्वीकृत पदों के तहत एक निरीक्षक, आठ उप निरीक्षक, आठ सहायक उप निरीक्षक और 30 कांस्टेबल होंगे। उन्होंने कहा कि 19 मानवाधिकार अदालतें और 158 फास्ट ट्रैक अदालतें भी स्थापित की गई हैं।

6 मेट्रो शहरों में दिल्‍ली आगे

बलात्कार के मामलों में देश के छह मेट्रो शहरों में दिल्ली का स्थान शीर्ष पर रहा जहां 2012 में 635 मामले दर्ज किये गए हैं. गृह मंत्रालय के डाटा के अनुसार दिल्ली में 2011 में बलात्कार के 450 मामले दर्ज किए गए, जबकि मुंबई में 221, बेंगलूर में 97, चेन्नई में 76, हैदराबाद में 59 और कोलकाता 46 मामले दर्ज किए गए.

आंकड़े दे रहे हैं गवाही

दिल्ली में साल 2011, 2010 और 2009 में बलात्कार के क्रमश: 450, 414 तथा 404 मामले दर्ज किए गए. 2010 में मुंबई पुलिस ने 194 मामले, बेंगलूर पुलिस ने 65, चेन्नई और हैदराबाद पुलिस ने 47 और कोलकाता पुलिस ने 32 मामले दर्ज किए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2009 में देश में बलात्कार के 21 हजार 397 मामले 2010 में 22 हजार 172 मामले और 2011 में 24 हजार 200 मामले दर्ज किये गए.

हर वर्ग से उठी कठोर कानून की मांग

महिलाओं के खिलाफ यौन प्रताड़ना और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि के बीच समाज के अनेक वर्ग के लोगों ने ऐसे मामलों में दोषियों को दंडित करने के लिए सख्ता कानून बनाने की मांग की है. जया बच्चन, अमिताभ बच्चन, आमिर खान, सलमान खान सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, न्यायाधीशों, पत्रकारों, वकीलों, नेताओं ने सख्त कानून बनाने की मांग की है.

कानून में किया जाएगा संशोधन

सरकार ने ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए हाल ही में लोकसभा में अपराध कानून (संशोधन) विधेयक 2012 पेश किया है, जिसमें ऐसे मामलों में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. हालांकि समाज का एक वर्ग बलात्कार करने वालों को फांसी की सजा दिये जाने की मांग कर रहा है.



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