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Thursday, December 20, 2012

क्या कांग्रेस भाजपा के खेल में मायावती भी शामिल?

क्या कांग्रेस भाजपा के खेल में मायावती भी शामिल?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

सरकारी नौकरी कर रहे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक सपा और भाजपा सदस्यों के अलग अलग कारणों से कड़े विरोध के कारण आज लोकसभा में पारित नहीं हो सका। राज्यसभा हालांकि इस विधेयक को पारित कर चुकी है। बाद में संसद के बाहर बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा में पदोन्नति में आरक्षण विधेयक पारित कराने में विफलता के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि कांग्रेस गंभीर होती तो विधेयक कल ही पारित हो जाता। उधर केंद्र सरकार ने मायावती का आरोप खारिज करते हुए कहा कि वह कोटा विधेयक पारित कराने की इच्छुक थी।जैसा कि होना ही था, वैसा ही हुआ। मायावती को पाले में घसीटकर वित्तीय विधेयकों को पास कराने की रणनीति थी। अनुसूचितों को​ ​ प्रोन्नति में आरक्षण देने की सत्तावर्ग की कोई योजना न थी। सुधारों के लिए सत्तावर्ग के पक्ष विपक्ष की एकता अपना वर्चस्व ही खत्म कर​​ दे, ऐसा मानकर मायावती ने कंपनी बिल और बैंकिंग संशोधन बिल तो पास करवा दिया। पर राज्यसभा में अल्पमत सरकार जिस खूबी से आरक्षण विधेयक पास करा ल गयी, उसमें भाजपा का साथ ही बताता था कि आरक्षण विरोध का असली खेल तो लोकसभा में ही होना है। कांग्रेस ​​की भाजपा से हुई सौदेबाजी में यह खेल न रहा होता तो भाजपा राज्यसभा में आरक्षण के समर्थन में वोटिंग की व्हिप जारी करके सव्रण वोट बैंक को नाराज करने का खतरा हरगिज नहीं लेती। कांग्रेस, भाजपा और सपा त को खेल मालूम था।सवाल यह है कि क्या मायावती भी इस​ ​ सौदेबाजी में शामिल थी या नहीं या क्या वह भी दूसरी पार्टियों की तरह अपने चुलावी समीकरण ही साध रही थी और अनुसूचितों को ​ ​पदोन्नति में आरक्षण दिलाने का उनका भी कोई इरादा नहीं था।

प्रमोशन में आरक्षण बिल पर बुधवार को लोकसभा में खूब ड्रामा हुआ। समाजवादी पार्टी सांसद यशवीर सिंह ने नारायणसामी के हाथ से बिल छीन लिया। यशवीर सिंह के बिल छीनते ही सोनिया गांधी ने उनसे बिल वापस छीन लिया। इस पूरे ड्रामे के बाद लोकसभा को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।बुधवार को सुबह ही प्रमोशन में एससी/एसटी को आरक्षण दिलाने वाला ये बिल सदन में पेश किया गया था। समाजवादी पार्टी के भारी विरोध के बावजूद ये बिल राज्य सभा में पास हो गया है।बीजेपी ने राज्य सभा में तो इस बिल का समर्थन कर दिया लेकिन अब वो इसे लेकर असमंजस की स्थिति में है। क्योंकि कुछ ब्राह्मण नेताओं का कहना है कि अगर पार्टी इस बिल का समर्थन करेगी तो उसके हाथ से उच्च वर्ग के वोट निकल जाएंगे। गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वो लोकसभा में प्रमोशन में आरक्षण बिल का विरोध करेंगे।

पदोन्नति में आरक्षण का शुरुआत से ही विरोध कर रही सपा के सदस्यों ने जहां विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की, वहीं भाजपा ने सदन में व्यवस्था नहीं होने के नाम पर और अपने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को उनकी बात रखने का अवसर नहीं दिए जाने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हंगामे के कारण सदन की बैठक 6 बार के स्थगन के बाद अंतत: अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

प्रश्नकाल के तुरंत बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी से संविधान 117वां संशोधन विधेयक 2012 विचार के लिए पेश करने को कहा। लेकिन नारायणसामी जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए, सपा सदस्य आसन के सामने आकर विधेयक के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। वे नारे लगा रहे थे, 'प्रमोशन में आरक्षण नहीं चलेगा नहीं चलेगा।Ó इस दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी अपने स्थान पर खड़े होकर विरोध जताते नजर आए। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में मतदान करने वाली भाजपा में भी इस विधेयक को लेकर मतभेद सामने आए। पार्टी सांसदों मेनका गांधी और योगी आदित्यनाथ ने संसद के बाहर विधेयक के विरोध में खुलकर टिप्पणियां कीं। मेनका ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश से भाजपा का कोई भी सांसद इस विधेयक के पक्ष में नहीं हैं। साढ़े पांच बजे सदन की बैठक शुरू होने पर मीरा कुमार ने शीतकालीन सत्र में हुए कामकाज का ब्यौरा रखा और फिर वंदे मातरम की धुन के बाद सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

इस बीच बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2012 गुरुवार को राज्य सभा में पारित हो गया। इसके साथ ही नए बैंक लाइसेंस जारी होने और क्षेत्र में विलय का रास्ता भी साफ हो गया। दो दिन पहले लोकसभा में भी विधेयक पारित हो चुका है।विधेयक में निजी क्षेत्र के बैंकों में निवेशकों का मताधिकार 10 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी करने का प्रावधान है। इसके कारण विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बैंकिंग क्षेत्र आकर्षक हो जाएगा और क्षेत्र में विलय की सम्भावना बढ़ सकती है।नए कानून से भारतीय रिजर्व बैंक को नए बैंक लाइसेंस जारी करने का अधिकार मिल गया है। सदन में बहस के दौरान वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि इससे भारत में विश्व स्तरीय बैंक के उभरने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, "हमें और अधिक बैंक की जरूरत है। यह सही है कि हम शाखाओं की संख्या बढ़ा रहे हैं, लेकिन यह काफी नहीं है। हमें दो-तीन वैश्विक आकार के बैंक चाहिए।"

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