सरकारी आंकड़ों के चमत्कार का यह अद्भुत नजारा!बैंकिंग बिल पर सरकार, बीजेपी में सहमति!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आर्थिक सुधारों की मुहिम तेज होते ही, एफडीआई को हरी झंडी मिलते ही औचक औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि का आंकड़ा पेश कर दिया सरकार ने।अक्टूबर महीने में इंडस्ट्री की रफ्तार 16 महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। विनिर्माण क्षेत्र कोई शेयर बाजार तो है नही कि तुरत फुरत नीतिगत फैसलों के असर से या विदेशी वित्तीय संस्थाओं के निवेश से उत्पादन में वृद्धि हो जाये। ढांचागत व्यवस्था में सुधार एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। सरकारी आंकड़ों के चमत्कार का यह अद्भुत नजारा है।विनिर्माण क्षेत्र ने अक्टूबर में दहाई के करीब विकास दर क्या हासिल की, औद्योगिक उत्पादन भी दौड़ पड़ा। इस महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) सबको हैरत में डालते हुए 8.2 फीसदी बढ़ गया। पिछले 16 महीने में आईआईपी की यह सबसे ज्यादा रफ्तार है। पिछले साल अक्टूबर में आईआईपी 5 फीसदी गिरा था। हालांकि आईआईपी की यह चाल बरकरार रहने की उम्मीद लोगों को कम ही है। लेकिन ऐसा हुआ तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े भी सुधर जाएंगे, जिनमें उद्योगों का 19-20 फीसदी योगदान है। आज जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीनों में महज तीसरी बार औद्योगिक उत्पादन में इजाफा देखा गया है। यही वजह है कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच आईआईपी की वृद्घि दर केवल 1.2 फीसदी रही, जो पिछली बार इसी दरम्यान 3.6 फीसदी थी।आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र का तकरीबन 75.5 फीसदी भारांक है। इसकी विकास दर इस बार 9.6 फीसदी रही, जबकि पिछले अक्टूबर में इसमें 6 फीसदी गिरावट आई थी। विनिर्माण क्षेत्र में ही ड्यूरेबल उपभोक्ता वस्तुएं 16.5 और गैर ड्यूरेबल उपभोक्ता वस्तुएं 10.1 फीसदी की दर से बढ़ीं। पूंजीगत वस्तुओं में भी लगातार सात महीने की गिरावट के बाद अक्टूबर में पहली बार 7.5 फीसदी इजाफा देखा गया, जो अच्छी खबर है।
वॉलमार्ट पर सरकार ने जांच की मांग मान ली है। इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच बैंकिंग रेगुलेशन बिल पर भी समाधान निकलने के आसार बढ़ गए हैं।
बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि बैंकिंग संशोधन बिल पर सरकार के साथ मिलकर समाधान संभव है। बैंकिंग रेगुलेशन बिल सोमवार को ही लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन नए क्लॉज जोड़े जाने की वजह से बीजेपी ने इस पर ऐतराज जताया था। और बैंकिंग रेगुलेशन बिल पर दोबारा स्थायी समिति के पास भेजे जाने की मांग की है।
सूत्रों का कहना है कि बैंकिंग बिल में फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स के क्लॉज हटाए जाने पर ही सरकार और बीजेपी में सहमति बन पाई है। सरकार ने बीजेपी को बैंकिंग बिल से फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स के क्लॉज को हटाने का भरोसा दिया है। बैंकिंग बिल को लेकर वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बीच बैठक हुई है। लेकिन लोकसभा में वित्त मंत्री का बयान आने के बाद ही बैंकिंग बिल पर कोई फैसला हो सकता है।
सरकार ने सिक्योराइटेजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी (एसएआरएफएईएसआई) कानून में बदलाव किया है। सोमवार को लोकसभा में एसएआरएफएईएसआई कानून में संशोधन प्रस्ताव पास हुआ। एसएआरएफएईएसआई कानून में संशोधन के बाद अब डिफॉल्ट करने वाली कंपनी के कर्ज को शेयर में कन्वर्ट किया जाएगा। एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) कर्ज को शेयर में कन्वर्ट करेगी।
आर्सिल के एमडी एंड सीईओ पी रुद्रन का कहना है कि इस एक्ट के तहत कर्ज को इक्विटी में बदलने का फैसला उचित है। साथ ही इस एक्ट से बैंकों को अपने एनपीए में रिकवरी के लिए मदद मिलेगी। सरकार ने कर्ज की रिकवरी के लिए ये कानून बनाया है। नया कानून बैंक और कर्जदार दोनों के लिए बेहतर होगा। नए कानून के जरिए डेट रीकंस्ट्रक्शन में आसानी होगी।
पी रुद्रन के मुताबिक नए एक्ट से बैंकों के कार्टेलाइजेशन को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही कर्जदार के संपत्ति की उचित कीमत तय हो पाएगी। चल और अचल दोनों संपत्ति के जरिए क्लेम सेटल होंगे। नए एक्ट से कर्जदार कंपनी का बोझ थोड़ा कम होगा। हालांकि अभी आरबीआई की गाइडलाइंस आने के बाद ही आगे की तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी।
एसएआरएफएईएसआई कानून के तहत कर्ज न चुकाने पर बैंकों को प्रॉपर्टी की नीलामी का अधिकार मिल गया है जिससे एनपीए कम करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय बैंकों का कुल एनपीए आंकड़ा 1.23 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि बैंकिंग संशोधन बिल पर मंगलवार को विपक्ष से चर्चा की गई है। विपक्ष के साथ सभी 5 बिल पर चर्चा हुई। लिहाजा सरकार ने बैंकिंग संशोधन बिल में नया क्लॉज शामिल करने का फैसला किया है। वैसे इस सप्ताहांत विपक्ष के साथ इंश्योरेंस बिल और पेंशन बिल पर भी चर्चा करेंगे। हालांकि इस हफ्ते संसद में इंश्योरेंस बिल पेश होने के आसार नहीं हैं।
आईआईपी के आंकड़ों से जोश में आए वित्त मंत्री चिदंबरम ने इसे अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत बताया। इक्रा की वरिष्ठï अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि आईआईपी में यह तेजी जारी रहने की उम्मीद कम है और नवंबर में इसमें अच्छी खासी कमी आ सकती है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, 'अक्टूबर में आईआईपी बढऩे की उम्मीद तो शायद सभी को थी, लेकिन इतनी ज्यादा बढ़ोतरी की नहीं। पिछले साल के कम आधार को देखें तब भी 8.2 फीसदी की उछाल सबको हैरत में डाल गई है।'
इसके विपरीत,देश के शेयर बाजारों में बुधवार को मिला-जुला रुख रहा। सुबह के सत्र में प्रमुख सूचकांक जहां तेजी के साथ खुले वहीं कारोबार समाप्त होने के समय ये गिरावट के साथ बंद हुए। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 31.88 अंकों और निफ्टी में 10.80 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह बढ़त के साथ 19,432.54 पर खुला और 31.88 अंकों यानी 0.16 फीसदी की गिरावट के साथ 19355.26 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 19478.79 के ऊपरी और 19317.23 के निचले स्तर को छुआ। मंगलवार को सेंसेक्स 19,387.14 पर बंद हुआ था।बेहतर आईआईपी आंकड़े और रिटेल महंगाई न घटने की वजह से आरबीआई द्वारा दरें घटाने की संभावना कम हो गई है। इसी वजह से बाजार में निराशा नजर आई।सबसे ज्यादा गिरावट कैपिटल गुड्स शेयरों में आई। बीएसई कैपिटल गुड्स इंडेक्स 1 फीसदी टूटा। पीएसयू, मेटल, पावर, बैंक शेयरों में 0.8-0.3 फीसदी की कमजोरी दिखी। एफएमसीजी और रियल्टी शेयर भी फिसले।
ताज्जुब की बात है कि उत्पादन वृद्धि का असर बाजार पर हुा ही नहीं! भले ही रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) को भारत की आर्थिक तरक्की को लेकर संदेह हो, लेकिन मूडीज का मानना है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अगले साल का मौसम भारत के लिए खुशनुमा रहेगा।दरअसल, एसएंडपी ने अनुमान लगाया है कि साल 2013 में भारत की आर्थिक विकास दर में किसी तरह की बढ़ोतरी देखने को नहीं मिलेगी। वहीं, मूडीज ने कहा है कि आने वाले समय में भारत के ऋण का बोझ हल्का हो जाएगा।
रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने मंगलवार को कहा कि मुल्क में जिस तरह से राजनीति में फिलहाल घमासान मचा हुआ है, इसे देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में अभी समय लगेगा। पिछली तिमाही में आर्थिक तरक्की की रफ्तार गिरी। वहीं, निवेश के मामले में भी पिछले दो साल सुस्त रहे। जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर 5 फीसद के करीब रही। इससे वित्त वर्ष 2013 में आर्थिक ग्रोथ 5 फीसद के नीचे आने की आशंका है। अगर ऐसा होता है तो आर्थिक तरक्की के मोर्चे पर यह वित्त वर्ष इस दशक का सबसे खराब साल होगा।
एसएंडपी के मुताबिक मौजूदा सरकार के लिए आर्थिक ग्रोथ में तेजी लाना काफी मुश्किल है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में यूं ही बढ़ोतरी होती रही तो सरकार के लिए अपने टारगेट हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
वहीं मूडीज ने भारत की अर्थव्यवस्था पर बिल्कुल विपरीत टिप्पणी की है। मूडीज के मुताबिक कांग्रेस सरकार के मंत्रिमडंल में फेरबदल हुआ है। इससे देश में ज्यादा निवेश आने की संभावनाएं हैं। वित्त वर्ष 2013 में देश की विकास दर बढ़ सकती है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में अक्टूबर, 2012 में 8.2 फीसदी वृद्धि से उत्साहित वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि यह 'अर्थव्यवस्था में नई कोंपलें फूटने का संकेत है।' औद्योगिक उत्पादन के आज जारी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं उत्पादन के लिहाज से अर्थव्यवस्था में नई कोंपलों के संकेत से बहुत उत्साहित हूं। औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े बहुत उत्साहजनक हैं।'
अक्टूबर में औद्योगिक वृद्धि 8.2 फीसदी रही जो 16 महीने की उच्चतम दर है। पिछले साल इसी दौरान औद्योगिक उत्पादन में सालाना आधार पर पांच फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। चिदंबरम ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब तक आईआईपी में सिर्फ मई में (2.5 फीसदी) और अगस्त (2.3 फीसदी) में ही वृद्धि दर्ज की गई।
मंत्री ने कहा, 'देखते हैं अगले चार महीने में क्या होता है। निवेश हो रहा है, क्षमता बढ़ रही है और टिकाऊ व गैर टिकाऊ उपभोक्ता श्रेणी में खपत हो रही है।' उन्होंने कहा कि मध्यवर्ती उत्पादों के क्षेत्र में 9.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है जो भावी उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा, 'पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन 7.5 फीसदी बढ़ाना बहुत उत्साहजनक है। अप्रैल से यह क्षेत्र गिरावट में था। इसमें वृद्धि का यह पहला महीना है।'
अक्टूबर में आईआईपी ग्रोथ 8.2 फीसदी रही है, इसप्रकार इंडस्ट्री की रफ्तार 16 महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। साल 2012 के सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार सिकुड़कर -0.4 फीसदी रही थी। पिछले साल अक्टूबर में आईआईपी ग्रोथ सिकुड़कर -5 फीसदी रही थी।
वहीं इस साल की सितंबर महीने में संशोधित आईआईपी ग्रोथ -0.4 फीसदी से बढ़कर 0.7 फीसदी हो गई है। साल दर साल आधार पर वित्त वर्ष 2013 के अप्रैल-अक्टूबर छमाही में आईआईपी ग्रोथ 3.6 फीसदी से घटकर 1.2 फीसदी रही।
अक्टूबर 2012 में कैपिटल गुड्स सेक्टर की ग्रोथ बढ़कर 7.5 फीसदी पर पहुंच गई है। अक्टूबर 2011 में कैपिटल गुड्स की ग्रोथ सिकुड़कर -26.5 फीसदी रही थी। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में भी अच्छी बढ़ी है। इस साल अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ बढ़कर 9.6 फीसदी रही। पिछले साल अक्टूबर महीने में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ सिकुड़कर -6 फीसदी रही थी।
माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ में भी सुधार दिखा है लेकिन अब तक रफ्तार पकड़ने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। साल दर साल आधार पर अक्टूबर में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ -5.9 फीसदी से बढ़कर -0.1 फीसदी रही। सालाना आधार पर अक्टूबर में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ मामूली सी घटकर 5.6 फीसदी से 5.5 फीसदी रही।
अक्टूबर में कंज्यूमर गुड्स सेक्टर की ग्रोथ बढ़कर 13.2 फीसदी रही। पिछले साल अक्टूबर में इस सेक्टर की ग्रोथ 0.1 फीसदी रही थी। सालाना आधार पर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर की ग्रोथ -0.4 फीसदी से बढ़कर 16.5 फीसदी रही। कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स सेक्टर की ग्रोथ 0.5 फीसदी से बढ़कर 10.1 फीसदी रही। बेसिक गुड्स सेक्टर की ग्रोथ 1.2 फीसदी से बढ़कर 4.1 फीसदी रही।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि अक्टूबर में आईआईपी ग्रोथ के आंकड़े उत्साहजनक रहे हैं। आईआईपी आंकडों से इकोनॉमी में रिकवरी के साफ संकेत मिल रहे हैं। अप्रैल-नवंबर में डायरेक्ट टैक्स वसूली संतोषजनक रही है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन सी रंगराजन का कहना है कि अक्टूबर में आईआईपी ग्रोथ उम्मीद से बेहतर रही। वित्त वर्ष 2013 की जीडीपी ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के ग्रोथ पर निर्भर रहने वाली है। जीडीपी ग्रोथ 8-9 फीसदी तक पहुंचने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 4 फीसदी तक पहुंचनी जरूरी है। मौजूदा वित्त वर्ष के अक्टूबर-मार्च छमाही में आईआईपी ग्रोथ 7 फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है।
सी रंगराजन के मुताबिक महंगाई दर में भी गिरावट आना जरूरी है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर में गिरावट आने पर आरबीआई की तरफ से जनवरी में दरों में कटौती संभव है। आरबीआई के लिए महंगाई दर पर नियंत्रण सबसे ज्यादा जरूरी है। महंगाई दर में बढ़ोतरी से आरबीआई के लिए दरों में कटौती करना मुश्किल होगा।
जानकार मानते हैं कि आईआईपी में सुधार के बाद तुरंत आरबीआई दरों में कटौती नहीं करेगा। जनवरी के बाद मार्च तक दरों में 0.5 फीसदी की कटौती मुमकिन है। कोटक महिंद्रा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर उदय कोटक का कहना है कि अक्टूबर आईआईपी में उछाल त्यौहारों की वजह से आई है। कम बेस इफेक्ट की वजह से आईआईपी में सुधार हुआ है। अक्टूबर में आमतौर पर जमकर खरीदारी होती है इसीलिए अभी से ज्यादा उम्मीद करना ठीक नहीं होगा।
ऑर्बिट कॉर्प के चेयरमैन पुजित अग्रवाल का कहना है कि अच्छे आईआईपी की वजह से अभी दरों में कटौती टलने का खतरा बना हुआ है। फिक्की के इकोनॉमिक्स एंड रिसर्च के डायरेक्टर-हेड सौम्यकांति घोष का कहना है कि पूरे साल भर में आईआईपी 2.5-3 फीसदी के बीच रह सकती है। आने वाले महीनों में अच्छे आंकड़ों की उम्मीद है।
विपक्ष का सहयोग जरूरी
सरकार आर्थिक सुधारों को नई गति देने की कोशिश में लगे चिदंबरम ने संसद के दोनों सदनों के प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं से मुलाकात कर उनके साथ अहम वित्तीय विधेयकों को पारित कराने के बारे में चर्चा की। चिदंबरम ने आज यहां कहा कि उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ आर्थिक सुधारों से जुड़े पांच अहम विधेयकों पर विचार विमर्श किया और उम्मीद है कि उन्हें संसद के चालू सत्र में ही पारित करा लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, 'मैंने आर्थिक सुधारों से जुड़े पांच विधेयकों पर विपक्ष के दोनों नेताओं (सुषमा स्वराज और अरुण जेटली) के साथ विचार विमर्श किया। उन्होंने माना कि इसकी काफी जरूरत है। मैंने उनसे फिर मिलने की पेशकश की है। मुझे पूरा विश्वास है कि प्रमुख विपक्षी पार्टी सहयोग करेगी।'
चिदंबरम ने यहां कहा कि सरकार में कोई भी आए उन्हें इन विधेयकों को पारित कराना होगा। वित्तीय क्षेत्र के सुधारों से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण विधेयक संसद में लंबित हैं। इनमें बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक, बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, सूक्ष्म वित्त संस्थान (विकास और नियमन) विधेयक, पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण विधेयक, प्रमुख हैं।
इस बीच सरकार ने बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक को हरी झंडी दे दी। इस विधेयक में शेयरधारकों को हिस्सेदारी के अनुपात में मताधिकार दिए जाने का प्रस्ताव है।इस समय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में एक शेयरधारक को हद से हद एक प्रतिशत और निजी क्षेत्र के बैंक में 10 प्रतिशत मताधिकार हो सकता है। भले ही उसमें उसकी हिस्सेदारी कितनी ही ऊंची क्यों न हो।
केंद्रीय कैबिनेट की गुरुवार को हुई बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गई। अब इसे संसद में पेश किया जा सकेगा। विधेयक के कानून बन जाने के बाद बैंकों में शेयरधारकों को उनके शेयर के अनुपात में मताधिकार होगा।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने बजट भाषण में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने के प्रस्ताव का उल्लेख किया था। यह उन 7 विधेयकों में से एक है जिन्हें सरकार ने वित्तीय क्षेत्र में सुधार के लिए संसद में मंजूर कराना चाहती है। इनमें बीमा कानून संशोधन विधेयक - 2008, जीवन बीमा निगम संशोधन विधेयक - 2009 और संशोधित पेंशन कोष विनियमन एवं विकास प्राधिकरण विधेयक - 2005 शामिल हैं।
दूसरी ओर, खुदरा कारोबार करने वाली करीब 444 अरब डॉलर की अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने अमेरिकी सीनेट के सामने वर्ष 2008 और 2012 के बीच घरेलू और विदेशी बाजारों में किए गए 29 लॉबीइंग मामलों का खुलासा किया है। इस समयावधि के दौरान कंपनी भारत में भी पांव पसारने की कोशिशें कर रही थी। खुदरा कारोबार करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ने वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही में किए गए कुल 12 विषयों में से भारत में एफडीआई का विषय भी एक था। सूची में सप्लाई चेन और सुरक्षा संबंधी विषय, विदेशों में हिस्सेदारी समझौते, महिलाओं का आर्थिक सुदृढ़ीकरण, विदेशी निवेश और निर्यात जैसे विषय शामिल थे। वॉलमार्ट ने वर्ष 2007 में भारती के मिलकर पचास फीसदी की हिस्सेदारी के साथ एक संयुक्त उद्यम शुरू किया और वर्ष 2009 में देश में पहला कैश ऐंड कैरी स्टोर शुरू किया। इसके बाद अमेरिकी कंपनी ने भारतीय बाजारों में पैठ बढ़ाने के लिए अमेरिका में लॉबीइंग शुरू की। स्पष्ट रूप से कंपनी भारत में भी अपने सुपरमार्केट स्टोर शुरू करना चाहती थी लेकिन सितंबर 2012 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले से पहले ऐसा संभव नहीं था। वर्ष 2008 की चौथी तिमाही के दौरान लॉबीइंग के बारे में कंपनी द्वारा अमेरिकी सीनेट में किए गए खुलासे में 'चीन और भारत निवेश को बढ़ावा' भी एक विषय के रूप में शामिल था। तब से कंपनी भारत में पहुंच बढ़ाने के लिए वर्ष 2009 की कुछ तिमाहियों को छोड़कर लगातार लॉबीइंग कर रही है। वॉलमार्ट उन हजारों अमेरिकी कंपनियों में शामिल है जो अमेरिकी सीनेट को लॉबीइंग संबंधी जानकारियां सौंपती हैं। हाउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव की वेबसाइट पर एक साल में ऐसी करीब 20,000 जानकारियां देखने को मिल सकती हैं। भारतीय बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए वॉलमार्ट वर्ष 2008 से अब तक 2.5 करोड़ डॉलर खर्च कर चुकी है। भारती वॉलमार्ट ने एक बयान में कहा, '11,500 करोड़ डॉलर से अधिक का सालाना कारोबार करने वाली और एक लॉबीइस्ट से काम लेने वाली हर एक कंपनी को प्रत्येक तिमाही में इस संबंध में जानकारियां सौंपनी पड़ती हैं।' कंपनी का तर्क है, 'अमेरिकी सीनेट में किए गए खुलासे से यह बात कतई साबित नहीं होती कि कंपनी ने भारत में कोई गलत तरीका अपनाया है। ऐसे तमाम आरोप गलत हैं। इन जानकारी का भारत में किसी राजनीतिक या सरकारी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।' भारती वॉलमार्ट के मुताबिक, 'इस जानकारी से स्पष्टï होता है कि भारत के कारोबार में हमारी रुचि के बारे में हम अमेरिकी अधिकारियों से बात कर रहे थे। इन तीन महीनों के दौरान इसके अलावा हमने 50 अन्य विषयों पर भी लॉबीइंग की है।' वॉलमार्ट भारत और अन्य देशों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहा है। भारती ने इस बावत पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया है लेकिन जांच जारी है।
हालात ठीक हो जाएंगे : वॉलमार्ट
वालमार्ट के सीईओ माइकड्यूक ने कहा है कि वह सब्र रखेंगे और उन्हें भरोसा है कि भारत में कंपनी के लिए अनुकूल हालात होंगे। ड्यूक ने एक समारोह में कहा, 'मुझे अभी भी लगता है कि भारत में हालात अनुकूल होंगे। मुझे भरोसा है कि भारत ऐसा देश है जिसके पास किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को मदद करने का मौका है।' वालमार्ट के अध्यक्ष ने कहा कि अगले 10 से 50 साल में भारत, चीन और लैटिन अमेरिका जैसे देशों में उभरता मध्यम वर्ग वालमार्ट के कारोबार के लिए बड़ा मौका होगा।
जेट-किंगफिशर की किस्मत पर फैसला जल्द
सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि इसी हफ्ते निवेश विकल्पों की समीक्षा के लिए एतिहाद के अधिकारी भारत आने वाले हैं। एतिहाद जेट एयरवेज और किंगफिशर एयरलाइंस के साथ बैठक करेगा।
सूत्रों के मुताबिक एतिहाद जेट एयरवेज में हिस्सेदारी खरीदने के पक्ष में है। जेट एयरलाइंस ही एकमात्र भारतीय एयरलाइंस है, जिसके साथ एतिहाद का कोड शेयरिंग करार है।
जेट एयरवेज प्रमोटरों का हिस्सा बेचकर और नए शेयर जारी कर एतिहाद को 20 फीसदी तक हिस्सा बेचने के विचार में है। सौदे से कंपनी को 15 करोड़ डॉलर मिलने की उम्मीद है।
वहीं, किंगफिशर एयरलाइंस की एतिहाद को बड़ा हिस्सा बेचकर कम से कम 40 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना है।
एनएमडीसी ओएफएस सफल, जुटे 5828 करोड़ रु
ऑफर फॉर सेल की प्रक्रिया सरकार के लिए बड़े काम की साबित हो रही है। एनएमडीसी की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर सरकार ने 5828 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं।
ऑफर फॉर सेल के जरिए सरकार एनएमडीसी के 39.6 करोड़ शेयर बेचना चाहती थी। जबकि सरकार को 49.6 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मिली।
सरकार ने एनएमडीसी के ओएफएस का फ्लोर प्राइस के लिए 147 रुपये प्रति शेयर रखा था, जो बाजार भाव से 7 फीसदी कम था। सरकार हिंदुस्तान कॉपर की हिस्सेदारी भी इसी तरीके से बेच चुकी है।
निर्यातकों को रियायत देने की तैयारी
निर्यात के गिरते आंकड़ों ने सरकार को चौकन्ना कर दिया है। निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से निर्यातकों को बड़ी राहत देने की तैयारी की जा रही है। सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए फार्मा, इंजीनियरिंग और जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर पर फोकस कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की बेहतर निर्यात करने वालों को ज्यादा रियायत देने की योजना है। माना जा रहा है कि सरकार इंक्रीमेंटल एक्सपोर्ट सपोर्ट स्कीम का ऐलान कर सकती है। इस स्कीम के तहत चुनिंदा एक्सपोर्ट सेक्टर्स को 2 फीसदी ब्याज छूट भी दी जा सकती है।
हालांकि इस स्कीम को वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलना बाकी है। स्कीम के तहत पिछले साल के मुकाबले इस साल जितना ज्यादा निर्यात होगा उसपर 2 फीसदी छूट दी जा सकती है। हालांकि फोकस प्रोडक्ट स्कीम का दायरा बढ़ाने पर वित्त मंत्रालय की मंजूरी जरूरी नहीं होगी।
Wednesday, December 12, 2012
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