Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Friday, December 7, 2012

केंद्र सरकार को आर्थिक सुधारों के नरमेध यज्ञ में पूर्णाहुति देने का मौका मिल गया! इस सुनामी से​ ​ बचना मुश्किल ही नहीं ,नामुमकिन है!

केंद्र सरकार को आर्थिक सुधारों के नरमेध यज्ञ में पूर्णाहुति देने का मौका मिल गया! इस सुनामी से​ ​ बचना मुश्किल ही नहीं ,नामुमकिन है!

पलाश विश्वास

धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए संघ परिवार को सत्ता से दूर रखने के घोषित लक्ष्य के साथ मायावती और मुलायम के अंबेडकरवादी और ​​समाजवादी, अनुसूचित, पिछड़े व अल्पसंख्यक सांसदो के वोट से केंद्र सरकार को आर्थिक सुधारों के नरमेध यज्ञ में पूर्णाहुति देने का मौका मिल गया है। सुधारों की सुनामी आने वाली है। बार बार भूकंप और सुनामी के शिकार जापान की जनता तो फिरभी बच जाती है, पर इस सुनामी से​ ​ बचना मुश्किल ही नहीं ,नामुमकिन है। सारे वित्तीय कानून पास होने हैं। खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश के लिए फेमा में जरुरी संसोधन को संसद की हरी झंडी मिल गयी है।अब कर्मचारियों की बीमा और पेंशन को शेयर बाजार में डालने की पूरी तैयारी है। बैंकिंग को फिर पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के हवाले करने के लिए बैंकिंग संशोधन कानून आने वाला है। पेंशन और बीमा संशोधन कानून पास होने के रास्ते में मायावती और ​​मुलायम के रहते कोई अड़चन  नहीं आनेवाली। भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून भी पारित होगा। कंपनी बिल और कंपिटीशन बिल के​ ​ साथ जीएसटी को पास कराया जायेगा।जिस धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन की डंका बजाते थकते नहीं राजनेता, उसका यह हाल है कि गुजरात नरसंहार, बाबरी विध्वंस, सिख जनसंहार, भोपाल गैस त्रासदी समेत तमाम बड़े  अपराधों के अभियुक्त भारतीय राजनीति के भाग्यविधाता बने हुए हैं और किसी को सजा नहीं होती। इनमें से प्रधानमंत्रित्व के दावेदार भी है, जिनके साथ यही राजनेता सत्ता की मलाई खायेंगे। मानवाधिकार, नागरिकता और नागरिक अधिकारों के हनन के मामले में कुछ नहीं होता। मणिपुर, पूर्वोत्तर , कश्मीर और देश के आदिवासी इलाके गवाह है। सत्ता और विपक्ष उग्रतम हिंदुत्व की राह पर है।किसे बचाकर किसे रोक रहे हैं? और क्यों?

गौर करें क्या क्या सुधार के एजंडे पर हैं:

भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून
पेंशन और बीमा संशोधन कानून
जमीन के इस्तेमाल संबंधी कानून
कंपनी कानून और प्रतियोगिता कानून
बैंकिंग संशोधन कानून
श्रम कानून
पर्यावरण कानून और स्थानीय निकाय कानून
डायरेक्ट टैक्स कोड लागू हो गया, अब जीएसटी की बारी है।
ड़ी रिटेल कंपनियों के एकाधिकार के लिए यूनिफार्म लाइसेंसिंग प्रणाली

बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में भी जीत दर्ज कराकर केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सम्प्रग) सरकार ने इस मुद्दे पर अंतिम जंग जीत ली। लेकिन विपक्ष ने यह कहकर सरकार की इस जीत को खारिज कर दिया कि सदन की व्यापक भावना एफडीआई के खिलाफ थी। सरकार ने लोकसभा में दो दिन पहले ही इस मुद्दे पर हुए मतदान में जीत हासिल कर ली थी।कयास लगाया जा रहा था कि ऊपरी सदन में सरकार को इस मुद्दे पर हार का मुंह देखना पड़ सकता है। लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मदद से सरकार ने यहां भी आसानी से जीत हासिल कर ली। सपा ने जहां सदन से बहिर्गमन कर सरकार की मदद की, वहीं बसपा ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। रिटेल में एफडीआई पर संसद की मुहर लग जाने के बाद आर्थिक सुधारों का सिलसिला रफ्तार पकड़ सकता है। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से देश में निवेश का महौल बनेगा और रिटेल के साथ-साथ दूसरे क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा। वैसे आर्थिक सुधार से जुड़े कुछ अहम बिलों को संसद से पास करवाना, सरकार के लिए अब भी चुनौती बना हुआ है।
मनमोहन सरकार के कमजोर होते जाने की डुगडुगी के बीच अचानक उसकी ताकत के गीत सुनाई देने लगे। डगमगाते आर्थिक हालात और लचर होते वित्तीय प्रबंधन को पटरी पर लाने की कोशिश में लगी सरकार को रिटेल में एफडीआई के फैसले पर संसद की मुहर लग जाने से बड़ी राहत मिली है।इस फैसले के बाद सरकार को फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद बंधी है। स्वीडन की फर्नीचर निर्माता कंपनी आइकिया का 10 हजार 500 करोड रुपये के निवेश का प्रस्ताव सरकार के पास है। हालांकि अब तक वॉलमार्ट, टेस्को या सेल्सबरी जैसी कंपनियों की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है।

डायरेक्ट टैक्स कोड लागू हो गया, अब जीएसटी की बारी है।बड़ी रिटेल कंपनियों के एकाधिकार के लिए यूनिफार्म लाइसेंसिंग प्रणाली भी आने वाली है। खुदरा कारोबार में विदेसी निवेशके निर्मय की राज्यों की स्वतंत्रता इस कानून से स्वतः खत्म हो जाएगा क्योंकि खुदरा कारोबार की लाइसेंसिंग का केंद्रीयकरण हो जायेगा।केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की अंतिम डिजाइन से राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने के लिए आज वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने दो उप समितियां बनाने की घोषणा की। ये दोनों समितियां तेजी से काम करेंगी और 31 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। उसके बाद जीएसटी पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति सिफारिशों पर विचार-विमर्श करेगी।जीएसटी अप्रैल 2010 में पेश किया गया था, लेकिन इसने कई अंतिम समय सीमा पार किया है। सीएसटी का संग्रह केंद्र सरकार करती है और इसका बंटवारा राज्यों में किया जाता है। जीएसटी लागू करने के पहले केंद्र व राज्य सरकारों के बीच अप्रैल 2007 में सहमति बनी थी कि सीएसटी को चरणबद्ध तरीके से 3 साल के भीतर खत्म किया जाएगा। इसके तहत पहले सीएसटी दरें घटाकर 3 प्रतिशत और उसके बाद 2 प्रतिशत की गईं। केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को 2010-11 तक हुए नुकसान का मुआवजा दे दिया है। केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू करने में हो रही देरी की अवधि का मुआवजा राज्यों को देने से इनकार कर दिया।

अब खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश सकी वजह से महज पांच करोड़ व्यापारी ही नहीं मारे जायेंगे, जिन २० करोड़ किसानों की दुहाई दे रहे हैं समाजवादी मुलायम, उनकी भी आफत आने वाली है। न सिर्फ भूमि अधिग्रहण कानून बदलेगा, बल्कि कंपनी कानून और प्रतियोगिता कानून के तहत प्रकृतिक संसाधनों​  की खुली लूट के चाक चौबंद बंदोबस्त के तहत जल जंगल जमीन आजीविका से बेदखली हर मायने में जायज हो जायेगी। जमीन के इस्तेमाल संबंधी कानून भी बदला जाना है, जिससे बंधुआ खेती के जरिये किसानों से बाजार की जरुरत और मांग के मुताबिक वालमार्ट जैसी कंपनियां उपज पैदा कर सकेंगी। खाद्यसुरक्षा कानून बेमतलब हो जायेगा क्योकि बंधुआ खेती के कारण नकद फसलों की उपज के लिए मजबूर हो जायेंगे किसान और खाद्यान्न उत्पादन में किसी की दिलचस्पी नहीं होगी। चौबीसों घंटे महा किराना शापिंग माल खुला रखने के मकसद से श्रम कानून बदला जा रहा है।राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गुडगांव के निकट मानेसर में मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड में हुई हिंसा के बाद उद्योग जगत ने देश के 44 श्रम कानूनों में संशोधन की सरकार से मांग की है। पेंशन बिल पास होने से पहले ही भविष्यनिधि कंपनियां जमा कराये, इसके जिम्मेदारी ईपीएफ बोर्ड ने वापस कर दी है।कैबिनेट द्वारा मंजूर पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण विधेयक में पेंशन क्षेत्र में विदेशी निवेश का प्रावधान है। बीमा कानून (संशोधन) विधेयक बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता है। पहले ही भविष्य निधि बाजार में डालने का फैसला हो चुका है।सुधारों की दूसरी लहर चलाते हुए सरकार ने पेंशन क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने का प्रस्ताव मंजूर किया। जीवन बीमा का प्रीमियम शेयर बाजार में डालकर नौ करोड़ ग्राहकों को चूना लगाया गया है, अब विश्वस्तरीय बैंकों के लिए कारपोरेट घरानों व पूंजीपतियों को इजाजात के साथ ही स्टेट बैंक आफ इंडिया का बाजा बजना तय है।बैंकों पर फिर राष्ट्रीयकरण से पहले की तरह पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों का ही कब्जा होगा। पर्यावरण कानून और स्थानीय निकाय कानून बदलकर लंबित परियोजनाओं को चालू किया जायेगा। नकद सब्सिडी के बहाने जनवितरण प्रणाली खत्म होगी। सुधारों के लिए जरुरी और नागरिकों की खुफिया निगरानी के लिए उससे भी जरूरी बायोमैट्रिक नागरिकता कानून और आधार कार्ड कारपोरेट योजना से किस पैमाने पर बेदखली होगी, इसका अंदाज ही नहीं है। अंबेडकरवादी, समाजवादी और वामपंथी जिस सर्वहारा बहुजनसमाज की बात करते हैं, मनुस्मृति अनुशासन के तहत वह संपत्ति और समान अवसर के अधिकारों से फिर वंचित हो जायेगा।फिलहाल ख्तम हो जायेगी जनवितरणप्रमणाली। कैश सब्सिडी से बढ़ेगा उपभोक्ता बाजार क्योंकि इससे क्रयशक्ति विहीन वंचितों में नकदी का प्रवाह होगा और जाहिर है कि वे बुनियादी जरुरतों या उत्पादके कार्यों के बजाय इसे उपभोक्ता बाजार में खर्च करेंगे।उपभोक्ता बाजार को बढ़ावा देने के लिए, कच्चा माल की निकासी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तेज होगा। खुदरा बाजार में एकाधिरकार के लिए शहरी संरचना भी बदलेगी और इसके लिए भी कानून आ रहा है।

जानकार भी मानते हैं कि इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। आईसीआईसीआई की सीईओ चंदा कोचर के मुताबिक इससे निवेश का माहौल बनेगा। वैसे सरकार का इम्तिहान अभी खत्म नहीं हुआ है। शीतकालीन सत्र के बाकी बचे दिनों में आर्थिक नीतियों से जुड़े कई अहम विधेयकों को पारित करना सरकार की प्राथमिकता होगी।

पेंशन, बीमा और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार से जुड़े 3 विधेयक संसद में लंबे समय से अटके पड़े हैं। भूमि अधिग्रहण विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। राष्ट्रीय निवेश बोर्ड का प्रस्ताव भी कैबिनेट में अटका पड़ा है। हालांकि सरकार ने आंकड़े दुरुस्त कर लिए हैं, लेकिन विपक्ष इतनी आसानी से हार नहीं मानेगा। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी कहते हैं कि इन विधेयकों पर पहले से ही विरोध रहा है आगे भी विरोध करेंगे।

पिछले दिनों जिस तरह से आर्थिक विकास दर और औद्योगिक विकास दर में गिरावट आई, उससे देश की साख को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में देखना होगा कि क्या सरकार आर्थिक सुधारों को राजनीतिक एजेंडा बना पाती है या नहीं।



केंद्र सरकार ने अब ‌निर्णय कर लिया है कि वह आर्थिक सुधारों के बूते अपना बेड़ा पार लगायेगी। विरोधी एवं सहयोगी दलों की परवाह किये बगैर कांग्रेस ने एक के बाद एक आर्थिक सुधारों संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लेने शुरू कर दिये हैं। बाजार भी इन निर्णयों को सकारात्मक ढंग से ले रहा है। कहना होगा कि कुछ हद तक सकरार की रणनीति सफल भी रही है क्योंकि पिछले काफी लंबे अरसे से भ्रष्टाचार एवं अन्य मुद्दों पर घिरी सरकार दबाव में और निराश-‌शिथिल नजर आ रही थी। लेकिन इन धड़ाधड़ फैसलों से चर्चा का केंद्र बिंदू बदल गया है और विरोधी दलों को भी भ्रष्टाचार के बजाय पहले इन मुद्दों पर सरकार का विरोध करके अपनी उपस्थिति का अहसास कराना पड़ा रहा है। दूसरी बात यह है कि पिछले दिनों हुए जनआंदोलनों के बाद सरकार की स्थिति यह हो गई है कि उसके पास गंवाने को कुछ नहीं। लोकचर्चा कभी की है कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए के लिये रास्ता बेहद कठिन है। ऐसे में इन सुधारों के बूते ही सही हो सकता है साल भर में आर्थिक मोर्चे पर देश की हालत सुधरे तो जोड़तोड़ की राजनीति के वर्तमान दौर में कांग्रेस का बेड़ा पार भी हो जाए।

भविष्य निधि खातों में गड़बड़ी के मामलों में नियोक्ताओं के खिलाफ जांच करना और मुश्किल होगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने ऐसे मामलों में जांच पर सात साल की सीमा लागू कर दी है।

केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीएफसी) आरसी मिश्रा द्वारा अपने कार्यकाल के आखिरी दिन (30 नवंबर) जारी परिपत्र में मामले खोलने पर समय की सीमा लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसका आशय उन प्रावधानों में बदलाव करना है जिनके बारे में नियोक्ता और प्रतिष्ठानों की शिकायत रही है कि इनका इस्तेमाल उन्हें परेशान करने के लिए किया जाता है। हालांकि परिपत्र से नाखुश मजदूर संगठनों ने इसे वापस करने के लिए सरकार पर दबाव डालने का फैसला किया है।

ईपीएफओ ने इसी के साथ श्रमिकों के हित में इसी परिपत्र में भविष्य निधि अंशदान की गणना हेतु 'मूल वेतन' को पुनर्परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है, 'कर्मचारियों को सामान्यत:, अनिवार्यत: और समान रूप से भुगतान की जाने वाले सभी भत्तों को मूल वेतन माना जाएगा।' जांच के बारे में इस परिपत्र में कहा गया है कि नियोक्ताओं के खिलाफ भविष्य निधि खातों में गड़बड़ी के मामले में तभी जांच शुरू की जाएगी जबकि अनुपाल अधिकारियों के पास कार्रवाई और जांच योग्य सूचना पेश की जाएगी।

इसमें कहा गया कि नियोक्ताओं के लिए अनुपाल अधिकारियों की मदद के लिए अपने प्रतिष्ठान का पूरा इतिहास उपलब्ध कराना होगा। इसमें जो सूचना मुहैया करानी उनमें जमा राशि और कर्मचारियों की संख्या शामिल है। जांच शुरू करने की अवधि के बारे में इसमें कहा गया ''कोई भी जांच सात साल से ज्यादा समय तक नहीं चलेगी, अर्थात इसमें गड़बड़ी पिछले सात साल के अंतद की होनी चाहिए।'

केंद्र सरकार ने कहा कि एक से अधिक एलपीजी गैस कनेक्शन रखने वाले जिन उपभोक्ताओं ने इस महीने के अंत तक अपने ग्राहक को जानिए कनेक्शन जमा नहीं कराया है , उन्हें सब्सिडी पर एलपीजी सिलेंडर नहीं मिलेंगे और उन्हें बाजार दर वसूल की जाएगी।

सरकारी खजाने पर बढ़ते बोझ से परेशान सरकार बजट में टैक्स में बढ़ोतरी का फैसला ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय टैक्स वसूली में बढ़ोतरी के लिए इसे एक ठोस विकल्प के तौर विचार कर रही है। आम लोगों पर टैक्स का बोझ मगरदूरसंचार क्षेत्र पर गठित मंत्रिसमूह ने चार सर्किलों में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य 30 प्रतिशत तक घटा दिया। इससे सरकारी खजाने में 6,200 करोड़ रुपये आ सकते हैं।ये चार सर्किल दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक और राजस्थान हैं। पिछले महीने हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में इन चारों सर्किलों के लिये कोई बोली नहीं मिली।

सूत्रों का कहना है कि अगले बजट में एक्साइज ड्यूटी में 2 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। साथ ही सर्विस टैक्स में भी 2 फीसदी की बढ़ोतरी पर विचार मुमकिन है। फूड प्रोसेसिंग की चुनिंदा मशीनों पर बेसिक कस्टम ड्‌यूटी में बढ़ोतरी मुमकिन है। फुटवियर समेत कुछ आइटम पर एक्साइज ड्यूटी में छूट की सीमा घटाने पर विचार किया जा रहा है।

दरअसल चुनावी साल में सरकार की तरफ से भारी खर्चे की संभावना है। वहीं सरकार के इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में करीब 35,000 करोड़ रुपये की कमी आने की आशंका है जिस कारण ही टैक्स दरों में बढ़ोतरी संभव है। लेकिन टैक्स दरें बढ़ाने से औद्योगिक विकास पर उल्टा असर पड़ सकता है।

राज्यसभा में मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर यूपीए सरकार की जीत हो गई है। यूपीए ने राज्यसभा में भी रिटेल एफडीआई वोटिंग में बहुमत हासिल किया। राज्यसभा में भी रिटेल एफडीआई के खिलाफ विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया। विपक्ष के मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर वोट कराने का प्रस्ताव 123 के मुकाबले 109 वोटों से गिर गया है।

राज्यसभा में मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के पक्ष में 123 वोट पड़े, जबकि विपक्ष को 109 वोट हासिल हुए। इससे पहले राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के 9 सांसदों ने मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर वोटिंग से पहले सदन से वॉकआउट कर लिया था। लिहाजा सरकार को राज्यसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 118 वोटों की जरूरत थी।

मायावती के गुरुवार को ऐलान के बाद सरकार की जीत पक्की लग रही थी। बहुजन समाज पार्टी के 15 सांसदों के समर्थन से ही सरकार को 123 सांसदों का जरूरी आंकड़ा मिला है। हालांकि समाजवादी पार्टी ने लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी वॉकआउट किया।

राज्यसभा में मिली जीत से सरकार खुश है। सरकार के मंत्रियों ने अपनी पीठ तो थपथपाई ही, साथ ही विपक्ष को भी धोने की कोशिश की। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा का कहना है कि विपक्ष को लगता है कि हम अल्पमत हैं तो वो अविश्वास प्रस्ताव लाए। वहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने कहा कि सरकार की मेहनत का ही नतीजा रहा कि संसद में रिटेल एफडीआई पर बहुमत हासिल हो पाया है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष, मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि अब भी इकोनामी का रिवाइवल नहीं हुआ है। लेकिन ग्रोथ मौजूदा स्तरों से और नहीं गिरेगी।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक अगले 6 महीने में जीडीपी विकास दर 5.5 फीसदी से ज्यादा रहने की उम्मीद है।

वहीं, दूसरी ओर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि वित्त वर्ष 2013 में बाजार से अतिरिक्त पूंजी जुटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने आने वाले दिनों में मौद्रिक नीति में नरमी के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में काफी नरमी आई है और मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही और तिमाही समीक्षा में इस पर गौर किया जाएगा। सुब्बाराव ने आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में कहा कि आर्थिक वृद्धि निश्चित तौर पर कम हुई है। जीडीपी वृद्धि पिछले दो साल में 8.5 फीसद और 6.5 फीसद से 5.5 फीसद और 5.3 फीसद (पिछली दो तिमाही में) पर आ गई है। उन्होंने कहा कि आरबीआई में हम हमेशा वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश करते हैं।

बैंक ऑफ अमेरिका मेरल लिंच ने सेंसेक्स के लिए लक्ष्य बढ़ा दिया है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरल लिंच के मुताबिक मार्च के अंत तक सेंसेक्स 21750 तक चढ़ सकता है।

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच को उम्मीद है कि साल 2013 में आर्थिक सुधार, ब्याज दरों में कटौती और कंपनियों की अच्छी आय से बाजार को सहारा मिलने वाला है। वित्त वर्ष 2014 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। आरबीआई की ओर से प्रमुख ब्याज दरों में 1-1.25 फीसदी की कटौती संभव है।

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने डीएलएफ, आईसीआईसीआई बैंक, मारुति सुजुकी और ल्यूपिन जैसे शेयरों में खरीदारी की सलाह दी है। साथ ही मिडकैप शेयरों में हैवेल्स इंडिया, मदरसन सूमी, यस बैंक, बीईएल और ग्लेनमार्क फार्मा जैसे शेयरों में खरीदारी की सलाह दी है। हालांकि एचयूएल, हीरो मोटोकॉर्प और एनटीपीसी के शेयरों में दबाव देखने को मिलेगा।




No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors