का लिखें? कुछ बुझा ही नहीं रहा है....जबसे सुने हैं शरीफ साहब पाकिस्तान के हिन्दुस्तान में विलय का प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं और बिना लहसुन प्याज का खाना खाने का पिरेक्तिस सुरु कर दिए हैं मन एकदम्मे गार्डेन गार्डेन हो गया है। इहो सुना है कि चीन ससुरा सब कब्ज़ा ओब्जा छोड़ के भाग गया है और बोला है कि खाली बीजिंग छोड़ के जो चाहे ले लें। हम तो ई भी सुन रहे हैं कि ओबमवा बड़ा परेसान है और कह रहा है कि अगली बार साहेब की लहर अटलांटिक में भी उठने वाली है।
एतना सब सुन रहे हैं और इहाँ घुरहू काका कह रहे हैं - अबकी सही बरखा नहीं हुआ न तो त्राहि त्राहि मच जाएगा बबुआ...का देख रहे हैं भकुआ के। - ई गाँव का बुरबक मनई लो कब्बो गुड काहें नहीं फील करता है?
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