तलाश की रहस्यकथा में आमीर की मेधा की चमक!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
फिल्म: तलाश
कलाकार: आमिर खान, करीना कपूर, रानी मुखर्जी
निर्देशक: रीमा काग्ती
तीन साल के लंबे इंतजार के बाद बड़े परदे पर आमीर खान की वापसी से बड़ी उम्मीदें थीं और चुंकि इसबार सामाजिक सरोकार के अपने ब्रांडेड इमेज से इतर उन्होंने सस्पेंस कथा के जरिये वापसी की है तो भारी उत्सुकता थी कि इसका क्या अंजाम होगा।आमिर ख़ान की फ़िल्मों का हर सिनेमा प्रेमी को इंतज़ार रहता है। अगर कुछ खास ना हो तो भी सिर्फ़ इस वजह से कि उनका किसी भी किरदार के प्रति पूरा समर्पण होता है। कोई शक नही कि अपनी साख एकबार फिर मजबूत करते हुए उन्होंने फिर एकबार एक बेहतरीन फिल्म पेश की है।सामाजिक सरोकार के साथ ही मनोरंजन के बुनियादी गुण आमीर की पिल्मों की विशेषता है, इसलिए तकनीक की चकाचौंध के बावजूद युवा दर्शकों के ह्रदय सम्राट बने हुए हैं, उनकी यह हैसियत बदस्तूर कायम है। हाल ही में प्रदर्शित स्सपेंस फिल्म कहानी का अनुभव दर्शकों के पास है, इसे देखते हुए आमीर को अपने को साबित करने की भी चुनौती भी थी, जिसे उन्होंने बखूब निपटाया है।निर्देशक रीमा कागती ने आमीर के साये में जी तोड़ मेहनत की है।रीमा की पिछली फिल्म रॉक ऑन थी। अब वे 4 साल बाद 'तलाश' लेकर आयी हैं।'तलाश' में आमिर खान सुर्जन सिंह शेखावत नाम के पुलिस अधिकारी की भूमिका निभायी हैं। फिल्म के निर्माता रीतेश सिद्धवानी, फरहान अख्तर और आमिर खान हैं।आप सोच रहे होंगे कि विक्रम भट्ट जैसी फ़िल्मों में आमिर क्या कर रहे हैं। फरहान अख्तर, रितेश सिदवानी और आमिर ख़ान प्रोडक्शन्स की पेशकश तलाश एक ऐसी सस्पेंस फ़िल्म है जो बहुत साल के बाद बॉलीवुड में आई है।विद्या बालन की फ़िल्म कहानी के बाद सस्पेंस से भरपूर ये दूसरी ऐसी कहानी है जो कुछ अलग है।तलाश एक तेज़ गति की ना सही पर एक बेहद पहेलीनुमा मौलिक कहानी है।
फिल्म `तलाश` के रहस्य ने हर किसी को हैरान कर दिया। लेकिन फिल्म का यह आखिरी दृश्य लेखिका जोया अख्तर के साथ घटी एक वास्तविक घटना पर आधारित है। जोया के मुताबिक उनके इस अनुभव ने फिल्म `तलाश` की रूपरेखा तैयार की।
जोया ने कहा कि मेरा एक ऐसा अनुभव था जो न मैं खुद से बयां कर सकती थी और न दूसरों के साथ। जब मैं दक्षिण मुम्बई की एक दावत से वापस लौट रही थी। हम सभी छह लोग हाजी अली के नजदीक थे। जिस अनुभव से मैं गुजरी वह `तलाश` की कहानी का महत्वपूर्ण अंश बन गया। मैंने रीमा कागती से इस बारे में बात की और यह कहानी के शुरुआत का मुख्य केंद्र बन गया जो हमने साथ-साथ लिखी।
इस फिल्म में आमीर के अलावा गैंगस्टार आफ वासेपुर में धमाल मचाने वाले नवाजुद्दीन शिद्दीकी और दो बेहतरीन अभिनेत्रियां रानी मुखर्जी और करीना कपूर भी हैं, बाक्स आफिस की कामयाबी के अलावा अदाकारी के मोर्चे पर आमीर इनके जरिये क्या गुल खिलाते हैं, यह भी देखना था।आमिर पूरी फ़िल्म में छा जाने के बावजूद फ़िल्म को सारे सीन में जमे नहीं रहते हैं. फ़िल्म में करीना और रानी को भी उतना ही फुटेज़ मिला है जितना ज़रुरी था।एक गंभीर पुलिस इंस्पेक्टर होने के कारण जो उनका चालढाल और समर्पण होना चाहिए था वो आमिर में दिखाई दिया।रानी भी बेहद भावुक किरदार में नज़र आई हैं और उनकी एक-एक भावाभिव्यक्ति काबिले तारीफ है।करीना भी अपने किरदार के साथ न्याय करती हैं। हाल से निकलते हुए दर्शकों को मजा जरूर आया है और आमीर की डंका फिर से बजने लगी है।तलाश एक मनोवैज्ञानिक रहस्यकथा है जो अंतिम क्षणों तक आपको अपनी सीट से बांधे रखता है। गौरतलब है कि इस फिल्म के प्रोमोशन में चालू फैशन के मुताबिक आमीर यीम ने कोई ज्यादा शोर शराबा नहीं किया और बिना हो हल्ला बाक्स आफिस पर कहर ढाने के लिे तलाश रिलीज हो गयी।फ़िल्म एक सस्पेंस कहानी के सारे पहलुओं पर खरी तो उतरती है साथ ही एक मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर जैसी फ़िल्मों से कहीं हटकर है।फ़िल्म में और सब कुछ होते हुए कहानी के कई किरदारों की निजी जिंदगी की कहानी भी कही जा सकती है जिसमें प्रेम, लालच और एक घातक आकर्षण भी है,पर इन सबमें भी एक नयापन है।आमिर खान फिल्म में एक इंस्पेक्टर सुरजन सिंह शेखावत के किरदार में है। एक होशियार और ईमानदार आमिर को हाई प्रोफाइल एक्सीडेंट के केस को सुलझाना होता है। इस केस की तफतीश करने में आमिर को लगातार डेड एंड से गुजरना पड़ता है। आखिर में उनको केस में मदद करती है कॉल गर्ल करीना कपूर। हत्यारे तक पहुंचने की कहानी इतनी दिलचस्प बनायी गयी है कि आपका शक हर किरदार की ओर जाता है।पिछली फिल्मों की तरह आमिर खान ने इस फिल्म में भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है। उन्होंने एक इंस्पेक्टर और दुखी बाप के भाव को बारीकी से दर्शाया है। फिल्म को देखकर साबित होता है कि अभिनय में आमिर वास्तव में दोनों खान से काफी आगे हैं। करीना कपूर एक बेहद खूबसूरत कॉलगर्ल की भूमिका में दिखी है। फिल्म में उनके आने से सस्पेंस और बढ़ जाता है।
रहस्यकथा पेश करने के बहाने नामी गिरामी स्टारों को लेकर झैसी घटिया, उबाऊ फिल्मे परोसने का रिवाज रहा है, उससे कहानी के जरिये दर्शकों को निजात मिलने के आसार पैदा हो गये थे, आमीर के इस धमाके के बाद तो लगता है कि नया सिलसिला ही शुरु हो गया है।कथा और पटकथा के अद्बुत निर्वाह का कमाल है कि छोटे छोटे किरदार जैसे शर्नाज पटेल,राज कुमार यादव और शिबा चड्ढा इस फिल्म में चमकते हुए नजर आते हैं।कथा में कोई सनसनी के बजाय सादगी है, जो आमीर की फिल्मों की खासियत है, पर कथा के निर्वाह का अंदाज अनोखा है और यहीं आमीर बाजी मार ले जाते हैं।खास बात तो यह है कि रीमा कागती और जोया अख्तर की साझा कथा ने खूबसूरत गुल खिला दिये, जो आंखों के अलावा दिलोदिमाग को भी
भाते हैं।छोटे छोटे सारगर्भित उपाख्यानों का कोलाज तैयार करने में महारत दीखती है।अतीत के झरोखों को खोलते हुए वर्तमान का निर्वाह बेहद कलात्मक है और रहस्यकथा की बुनियादी शर्त की परत दर परत रहस्य गहराते जाने का मजा भी गजब का है।चरित्रों में रंग भरने में कारामात दिखायी है आमीर ने।दल्ला की भूमिका निभा रहे लवाजुद्दीन हो या फिर बूढ़़ी हो चली वेश्या की काया में शिबा चड्ढा, सारे रंग बहुत कायदे से भरे गये हैं, जो इस पिल्म की सबसे बड़ी कामयाबी है।पारसी विधवा शरनाज पटेल का आत्मा से संवाद की स्थितियां दिलचस्प हैं।नौसिखिये सिपाही बतौर राजकुमार यादव भी खूब जमे हैं।
आमीर तो सिपाही है ही, पर मनोवैज्ञानिक उलझनों में कैद उनकी रूह की तस्बीर इतनी लहूलुहान है, कि हिलना ही पड़ता है।उनींदी रातों को झेलते हुए आमीर के जज्बात दिखने लायक हैं।पत्नी रानी मुखर्जी की टूटन और उनकी हताशा,वेश्या के रुप में चमकीली करीना से आमीर के सुलगते रिश्ते में चुंबकीय तत्व भी बखूब हैं।रहस्यकथा में परिवेश और माहौल का महत्व होता है। रहस्य गहराने लायक पृष्ठभूमि अनिवार्य है।खास बात यह है कि इस फिल्म की शूटिंग मुंबई के उन इलाकों में की गई है, जिन्हें धीरे-धीरे तोड़ा जा रहा है। असली मुंबई का अहसास कराने के लिए आमिर खान अभिनीत इस फिल्म की शूटिंग चारनी रोड, लोअर परेल, कोलाबा, ग्रांट रोड और मध्य मुंबई में की गई है। लोअर परेल स्थित चाल एवं मिलों को तोड़ने की इजाजत मिल चुकी है।रीमा कागती ने कहा कि इस फिल्म में वास्तविक स्थानों खासतौर पर पुरानी इमारतों का प्रयोग किया गया है जो मुंबई में तेजी से खत्म होते जा रहे हैं।इस फिलम की शूटिंग के लिए 520 स्थानों को छांटा गया था जिनमें से केवल 47 का चयन किया गया।
फिल्म की कहानी में पुलिस इंस्पेक्टर सृजन सिंह शेखावत (आमिर खान) अपनी सुंदर वाइफ रोशनी (रानी मुखर्जी) और प्यारी बेटी के साथ खुशी-खुशी रह रहा है। शेखावत एक दबंग इंस्पेक्टर है जो किसी भी मुश्किल से मुश्किल केस की तह तक पहुंचना जानता है। अचानक कहानी में मोड़ आता है। एक दिन सुबह शेखावत को फोन पर ऐक्सिडेंट और हत्या के बारे में सूचना मिलती है। ऐक्सिडेंट और हत्या के इस केस की तह तक जाने के लिए शेखावत को वेश्या रोजी (करीना कपूर) से मिलने मुंबई की बदनाम गलियों तक पहुंचना पड़ता है। शेखावत जब भी इस केस की तह तक जाने में कामयाब होने लगता है, तभी उसके साथ बहुत कुछ अजीब घटता है। इस केस की छानबीन के दौरान शेखावत की फैमिली लाइफ इस हद डिस्टर्ब होती है कि बात तलाक तक जा पहुंचती है। फिल्म में सस्पेंस है। हम थ्रिलर फिल्म की कहानी को ज्यादा विस्तार से नहीं बतायेंगे। क्योंकि इससे दर्शकों का मजा किरकिरा हो जायेगा। इंस्पेक्टर शेखावत के किरदार के लिए आमिर खूब जमे हैं। डिस्टर्ब फैमिली लाइफ, ऐक्सिडेंट, हत्या के केस की छानबीन के दौरान आमिर के चेहरे पर पल-पल बदलते हाव-भाव देखते ही बनते हैं। रानी मुखर्जी एकबार फिर वही टिपिकल वाइफ के किरदार में अपने पुराने अंदाज और लुक में नजर आयी। लेकिन रोजी का रोल करीना कपूर ने अपने अंदाज में निभाया है। गेंग्स ऑफ वासेपुर के नवाजुद्दीन सिद्दीकी का निराला अंदाज सब पर हावी रहा है।
शिकायत तो यह है कि मध्यांतर के बाद फिल्म अपनी लय खो देती है और पटरी से उतरी उतरी नजर आने लगती है। उत्तेजना का शीघ्र पतन जैसे हालात दीखते हैं। यहां आमीर की साख को जरूर धक्का लगता है।अगर पहले आधे घंटे की तरह ही फिल्म आगे बढ़ती तो तलाश मिस्टर पर्फेक्शनिस्ट की तरह ही परफेक्ट होती।शुरुआत में तलाश फिल्म की गति तेज़ रहती है। पहले आधे घंटे में फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है। लेकिन इसके बाद के भाग के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता। इंटरवल से पहले एक अनोखे मोड़ से फिल्म वापस दर्शकों को भौंचक्का कर देती है। उसके बाद फिर फिल्म कछुआ गति से चलती है। जासूसी किताबें पढ़ने वाले और सीरियल्स देखने वाले लोग इसका अंत ताड़ लेंगे, पर बाकी दर्शक इसके क्लाइमेक्स को देखकर अचंभित हो जाएंगे।
रहस्यकथा की परंपरा के मुताबिक एक्शन दृश्यों की भरमार न होने से कुछ दर्शक निराश जरूर हो सकते हैं। नायकक आमीर का बलप्रयोग से परहेज और रिवाल्वर से एक भी गोली चलाये बिना अपने मिशन को बखूब अंजाम देना रहस्यकथा में मस्तिष्क की निर्णायक भूमिका को ही रेखांकित करती है, जो हिंदी पिल्म दर्शकों के लिए नया और सुखद अनुभव है।एक्शन के बजाय मानवीय रिश्तों और संवेदनाओं, टूटन और किरचों की तरह बिखरते जज्बात को आमीर ने तरजीह देकर वाकई चमत्कार
कर दिया है।
तलाश हिट होने जा रही है।इसने रिलीज के पहले ही दिन करीब 15 करोड़ रुपये कमा लिये है। ट्रेड एनालिस्ट कहते हैं कि इस सप्ताह किसी त्योहार या छुट्टी के न पड़ने की वजह से यह कमाई बहुत अच्छी है। इससे पूर्व फिल्म राज 10.50 करोड़, बोल बच्चन 11.75 करोड़, कॉकटेल 10.75 करोड़, राजनीति 10.50 करोड़ और बर्फी 8.5 करोड़ जैसी फिल्मों के पहले दिन के आंकड़े को फिल्म तलाश आसानी से पीछे छोड़ती दिख रही है। ये फिल्में भी शुक्रवार को रिलीज हुई थीं और उस दिन छुट्टी नहीं थी। रिलीज के पहले दिन आमिर खान की फिल्म तलाश देखने के लिए मल्टीप्लेक्स में दर्शकों की भीड़ देखी गयी, लेकिन दिल्ली के सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमा हॉल में यह फिल्म नहीं दिखाई गयी। मल्टीप्लेक्स के मालिकों ने पांच दिन पहले से यानी 25 नवंबर से ही तलाश की अडवांस बुकिंग शुरू कर दी थी।
Tuesday, December 4, 2012
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