जनसंहार पर आमादा कारपोरेट सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कितनी परवाह?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
जनसंहार पर आमादा कारपोरेट सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कितनी परवाह?कारपोरेट राज में अपनी संप्रभुता खो देने वाली सत्ता ने संसद और संविधान की हत्या को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रखी है ताकि आर्थिक सुधारों के बहाने जनसंहार अश्वमेध बिना प्रतिरोध जारी रहे। लोकतांत्रिक तमाम संस्थाओं के बारह बज चुके हैं।मीडिया पालतू बन चुका है और राजनीति कारपोरेट लाबिइंग निर्भर। नीति निर्धारण में कारपोरेट ही निर्णायक ताकि क्रयशक्ति धारक वर्ग को खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में नरसंहार की अर्थ व्यवस्था के तहत सांसाधनों और अवसरों की खुली लूट मिल सकें। न्ययपालिका भारतीय लोकतंत्र की नियामक व्यवस्था है और संविधान व कानून का संरक्षक भी। २ जी स्पेक्ट्रम की नीलामी का आदेश सुप्रीम कोर्ट का था। १२२ लाइसेंस भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किये।पर अब नये सिरे से नीलामी के फ्लाप हो जाने पर सरकार जिस तरह से कैग को ही रफा दफा करने पर उतारु है, उससे न्यायिक प्रक्रिया और इसके सर्वोच्च संस्थान की मर्यादा की अवमानना का सीधा मामला बनता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2जी मामले को हल्के में लेने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है। शीर्ष अदालत ने लाइसेंस रद होने के बाद बचे पूरे स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं करने और स्पेक्ट्रम बचा लेने की जानकारी नहीं देने पर गहरी नाराजगी जताई है। 2जी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 सर्किलों में रद्द 122 लाइसेंसों में से सभी को दोबारा नीलामी के जरिए आवंटित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने के लिए सोमवार को केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का पात्र बनना पड़ा। यही नहीं,सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। याचिका में सभी कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने तथा कथित घोटाले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की गई है।जनहित याचिका में कहा गया है कि आवंटन मनमाने तरीके से किए जाने के कारण कथित रूप से राजकोष को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए इस घोटाले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की गई है।कोयला घोटाले में सरकार में शामिल कई मंत्रियों के तार जुड़े हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खान के लाइसेंस पर रोक लगाने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब 24 जनवरी को अगली सुनवाई में सरकार और सुप्रीम कोर्ट से विस्तार से जवाब मांगा है।कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का कहना है सरकार सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जल्द जवाब देगी। वैसे तो इस सरकार के समय में कई घोटाले हुए हैं। इन सभी घोटालों के बीच 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और कोयला आवंटन घोटाला भी है। कोयला घोटाला जहां 1.76 लाख करों का बताया गया वहीँ कोयला आवंटन घोटाला 1.86 लाख करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। अभी हाल में ही 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की भरपाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नीलामी शुरू हुई थी, जो नाकामियाब साबित हुई । इस नीलामी में 1.76 लाख करोंड तो बहुत दूर, इसके आधे का आधी रकम भी वसूल नहीं हो पायी। तब सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ के नुकसान को काल्पनिक करार दिया।वहीँ अब केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि कोल ब्लॉक आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की बात भी काल्पनिक साबित होगी।2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में सवालों का जवाब देने के लिए खुद को इसकी जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश करने की बजाय चिदंबरम कैग पर 2जी और कोयला ब्लाक आवंटन को लेकर बेशर्म आक्षेप लगा रहे हैं।
मालूम हो कि 2010 में पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने जिस तरह बिना बोली के 9 टेलिकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन किया, उससे सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का संभावित नुकसान हुआ। इस घोटाले की जांच कैग ने की थी और अनुमान लगाया था कि सरकारी खजाने को इससे 1.76 लाख करोड़ रुपये का संभावित नुकसान हुआ है। और इस साल दूसरी रिपोर्ट जारी कर 2004 के बाद से कोयला खानों के आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।कोयला आबंटन घोटाला (Coal Mining Scam) भारत में राजनैतिक भ्रष्टाचार का एक नया मामला है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि देश के कोयला भण्डार मनमाने तरीके से निजी एवं सरकारी आबंटित कर दिये गये जिससे सन् २००४ से २००९ के बीच 10,67,000 करोड़ (US$219.8 बिलियन) की हानि हुई। संसद में पेश कैग रिपोर्ट में जुलाई 2004 से अब तक हुए 142 कोयला ब्लाक आवंटन से 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों के ठेके देने में अनियमिताएं बरती गईं. बेहद सस्ती कीमतों पर बगैर नीलामी के खदानों से कोयला निकालने के ठेके निजी कंपनियों को दिए गए. इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है. भारत के लोकतान्त्रिक काल में पहली बार हुआ है कि किसी मामले में देश के प्रधानमंत्री पर ऊँगली उठाई गयी हो. भाजपा कोल ब्लॉक आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही है।
भारत का उच्चतम न्यायालय या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायिक प्राधिकरण है जिसे भारतीय संविधान के भाग ५, अध्याय ४ के तहत स्थापित किया गया है। भारतीय संघ की अधिकतम और व्यापक न्यायिक अधिकारिता उच्चतम न्यायालय को प्राप्त हैं। भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की भूमिका संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान के संरक्षक की है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद १२४ से १४७ तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। उच्चतम न्यायालय सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, राज्यों के बीच के विवादों या मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर उच्च्तम न्यायालय के समक्ष सीधे रखा जाता है। भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी, 1950 को हुआ और उसके बाद से इसके द्वारा 24,000 से अधिक निर्णय दिए जा चुके हैं।
2जी से भी बड़ा है कोयला खदान घोटाला। नियमों को ताक पर रखकर किए आवंटन से देश के खजाने को करीब 10.7 लाख करोड़ का नुकसान पहुंचा है।कैग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कोयले की खदान के आवंटन में नियमों को ताक पर रख कर काम किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे सरकार को करीब साढ़े दस लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। कैग रिपोर्ट की माने तोयह अब तक सबसे बड़ा घोटाला है, जो 2जी मामले से करीब छह गुना ज्यादा बड़ा है।
2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के विफल होने के बाद चिदंबरम ने कहा कि कोयला खान क्षेत्रों के आवंटन में जिस बड़े नुकसान की बात की गई है, वह भी एक और मनगढ़ंत आंकड़ा हैं। ताजा नीलामी को इस बात की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था कि क्या सरकार स्पेक्ट्रम नीलाम कर उतनी राशि हासिल कर सकती है, जिस स्तर के संभावित नुकसान की बात कैग ने की थी। इस नीलामी में सरकार को टारगेट से एक तिहाई कीमत के बाराबर ही बोलियां मिलीं। 2008 में स्पेक्ट्रम नीलामी की बजाय पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित किए गए थे।आज तक जितनी भी बातें घोटाले के संबंध में सामने आई हैं और सुप्रीम कोर्ट ने जहां-जहां टिप्पणी की, चाहे वह ए. राजा का मामला हो या सोसायटी का घोटाला हो या ओलंपिक खेलों का मामला हो, उसमें तो कार्रवाई हुई है, लेकिन कोयला घोटाले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यूपीए सरकार अपनी गलती तक मानने को तैयार नहीं है और अब इस गड़बड़ी को बचाने और दबाने की कोशिश कर रही है।
चिदंबरम ने एक औद्योगिक घराने के द्वारा उनसे कही गयी बात को बताते हुए कहा कि कोयला खान क्षेत्रों के आवंटन में जिस बड़े नुकसान की बात की गई है, वह भी एक और मनगढ़ंत आंकड़ा हैं। ताजा नीलामी को इस बात की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था कि क्या सरकार स्पेक्ट्रम नीलाम कर उतनी राशि हासिल कर सकती है, जिस स्तर के संभावित नुकसान की बात कैग ने की थी। इस नीलामी में सरकार को टारगेट से एक तिहाई कीमत के बाराबर ही बोलियां मिलीं। 2008 में स्पेक्ट्रम नीलामी की बजाय पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम नीलामी के मामले में सरकार के जवाब पर नाराजगी जाहिर की है। कुछ दिन पहले कंपनियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वो रद्द हुआ पूरा स्पेक्ट्रम क्यों नहीं नीलाम कर रही है। सरकार ने आज इस पर अपना हलफनामा दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हलफनामे को स्वीकार नहीं किया क्योंकि इसे एक अंडर सेक्रेटरी स्तर के अफसर ने दाखिल किया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने रविवार को आरोप लगाया कि इस बात की संभावना है कि हाल में असफल स्पेक्ट्रम बिक्री में 'जानबूझकर गड़बड़ी' की गई ताकि यह दिखाया जा सके कि सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान होने का कैग का आकलन गलत था।जोशी ने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा,'इसकी संभावना है कि इस नीलामी में जानबूझकर गड़बड़ी की गई।' उन्होंने 'प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के हिस्सा नहीं लेने' पर हैरानी जताते हुए बोली लगाने की पूरी प्रक्रिया की जांच की मांग की।उन्होंने कहा,'केंद्र सरकार अब देश के प्रमुख लेखा परीक्षक कैग पर हमला बोल रही है और उनका मुख्य तर्क 2जी स्पेक्ट्रम पर उसकी रिपोर्ट को लेकर है जिस पर लोकलेखा समिति में भी चर्चा हुई थी।'सरकार ने पूरे भारत में स्पेक्ट्रम की 14 हजार करोड़ रुपए का आरक्षित मूल्य रखा था लेकिन गत सप्ताह हुई नीलामी में उसे मात्र 9407.64 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
इस बीच खबर है कि वोडाफोन और टेलीनॉर को हाल में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में एयरवेव मिलने से दोनों कंपनियों की साख में सुधार होगा। वोडाफोन को जहां इससे कवरेज सुधारने में मदद मिलेगी वहीं टेलिनॉर की बाजार हिस्सेदारी बढ़ेगी।मूडीज ने एक रपट में कहा,'नीलामी में स्पेक्ट्रम मिलने के कारण टेलिनॉर की भारत में बाजार हिस्सेदारी बढ़ेगी जो सितंबर अंत तक 10 फीसद से कुछ कम पर थी।' मूडीज के अनुसंधान नोट के मुताबिक,'इस नीलामी से वोडाफोन की भी साख बढ़ेगी क्योंकि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम से उसे अपेक्षाकृत कम लागत पर भारत में ग्रामीण इलाकों समेत अन्य क्षेत्रो में अपना दायरा (कवरेज) बढ़ाने में मदद मिलेगी।'रपट में कहा गया कि टेलिनॉर की भारतीय बाजार से होने वाली आय अगले तीन साल में दोगुनी हो सकती है। फिलहाल टेलिनॉर की कुल आय में भारत का योगदान करीब पांच फीसद है जो 2015 तक बढ़कर करीब 10 फीसद हो जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर डी सुब्बाराव ने सोमवार को दिल्ली की अदालत में चल रहे टू जी स्पैक्ट्रम घोटाला मामले में गवाही देते हुए कहा कि उन्होंने वर्ष 2007 में अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क को लगभग 1600 करोड़ रूपए रखने पर सवाल उठाया था।
वर्ष 2007 से सितंबर 2008 तक वित्तीय सचिव रहे सुब्बाराव इस मामले में एक मुख्य गवाह हैं। इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और अन्य लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
इस बयान की रिकॉर्डिंग के दौरान सुब्बाराव ने अदालत को बताया कि उन्होंने 22 नवंबर 2007 को तत्कालीन दूरसंचार सचिव डी.एस.माथुर को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क को लगभग 1600 करोड़ रूपए रखने पर सवाल उठाया था।
उन्होंने कहा कि उन्होंने तब यह सवाल भी उठाया था कि वर्ष 2001 में तय किए गए स्पेक्ट्रम शुल्क 1600 करोड़ रूपयों की राशि को वर्ष 2007 पर भी कैसे लागू किया जा सकता है? सुब्बाराव ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी को बताया कि मैंने यह सवाल भी उठाया कि बीते 2001 में तय किए गए 1600 करोड़ की दर को वर्ष 2007 में दिए जाने वाले लाइसेंसों पर लागू कैसे किया जा सकता हैं।
सीबीआई वकील ए.के. सिंह ने भी सुब्बाराव के बयान की रिकॉर्डिंग के दौरान विभिन्न संबंधित विभागों की कई फाइलें और नोट दिखाए। इनमें वह नोट भी शामिल था जो दूरसंचार और वित्त विभाग की ओर से सुब्बाराव को भेजा गया था। सुब्बाराव के बयान की रिकॉर्डिंग पूरे दिन चलने की संभावना है। बीते 11 नवंबर तक अदालत ने सीबीआई के कुल 77 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। इस मामले में ए.राजा मुख्य आरोपी हैं। राजा के अलावा द्रमुक सांसद कनिमोई, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर. के. चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनीटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के तीन उच्च कार्यकारी अधिकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर भी इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, कैलेगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और बॉलीवुड निर्माता करीम मोरानी भी इस मामले में आरोपी हैं।
इन 14 आरोपी लोगों के अलावा स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनीटेक वायरलेस:तमिलनाडु: लिमिटेड नामक तीन टेलीकॉम कंपनियां भी इस मामले में मुकदमे का सामना कर रही हैं। इन्हें सीबीआई द्वारा पिछले साल दो अप्रैल और 25 अप्रैल को दाखिल पहले दो आरोप पत्रों में आरोपी दिखाया गया है।
अदालत ने 22 अक्तूबर 2011 को 17 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, झूठे दस्तावेज, आधिकारिक पद का दुरूपयोग, जनसेवक द्वारा आपराधिक व्यवहार और रिश्वत लेने जैसे अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप दर्ज किए हैं।
इन अपराधों के लिए छह माह की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की पीठ ने दूर संचार विभाग [डॉट] के अनुसचिव [अंडरसेक्रेट्री] का हलफनामा खारिज करते हुए विभाग के सचिव को दो दिन में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कम से कम सेक्रेटरी स्तर के अफसर 2 दिन में ये हलफनामा दाखिल करें। वहीं फरवरी में दिए 2जी स्पेक्ट्रम आदेश को लागू करने के मामले की सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 2जी लाइसेंस रद्द करने के ऑर्डर को लागू करने की जांच की जा रही है। सरकार को 900 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की भी नीलामी करनी चाहिए थी।
सरकार ने 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में केवल एक तिहाई स्पेक्ट्रम की नीलामी की है। हालांकि सरकार को पूरे 1,800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी करनी थी। रद्द किए गए लाइसेंस वाली टेलिकॉम कंपनियों के पास 1,800 मेगाहर्ट्स में से 431 मेगाहर्ट्ज था। सरकार ने 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में 295 मेगाहर्ट्ज ही नीलामी के लिए रखा। भारती एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन के पास 900 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मौजूद है।
2जी मामले में याचिका दायर करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार की एकमुश्त और रीफार्मिंग फीस के कारण टेलिकॉम कंपनियों ने 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में हिस्सा नहीं लिया। दिल्ली और मुंबई में विस्तार का कोई स्कोप नहीं इसिलिए कोई बोली नहीं लगी।
पीठ ने कहा है कि सचिव हलफनामे में बताएं कि कोर्ट के आदेश का पूरी तरह पालन हो रहा है या नहीं। केंद्र सरकार ने 12 नवंबर को 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की थी, लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट से निरस्त लाइसेंसों के बचे पूरे स्पेक्ट्रम को शामिल नहीं किया गया था। सरकार ने कुल 431 मेगाहार्ट्स में सिर्फ 295 मेगाहार्ट्स की ही नीलामी की थी। सोमवार को केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव ने कोर्ट को बताया कि 12 नवंबर को सिर्फ 800 और 1800 मेगाहार्ट्स बैंड के स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई है। इस पर पीठ ने कहा कि तीन तरह के बैंड थे 800, 900 और 1800 मेगाहार्ट्स। इन तीनों की नीलामी होनी चाहिए थी। राव ने कहा कि 900 मेगाहार्ट्स कभी भी नीलामी प्रक्रिया में शामिल नहीं था। इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस मामले को बहुत हल्के में लिया है। कोर्ट को कभी नहीं बताया गया कि सिर्फ 800 और 1800 मेगाहार्ट्स की ही नीलामी की जाएगी। पीठ ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी के मसले पर केंद्र का पक्ष 26 नवंबर को सुना जाएगा। साथ ही स्पष्ट किया कि 0.1 फीसद स्पेक्ट्रम रोका जाना भी स्वीकार्य नहीं होगा।
पीठ ने हलफनामा नकारते हुए कहा कि जब पहले आदेश दिया जा चुका है कि हलफनामा सिर्फ सचिव स्तर के अधिकारी का होना चाहिए, तो अनुसचिव का हलफनामा क्यों दाखिल किया गया। इस बीच याची गैरसरकारी संगठन की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण नीलामी में कम राजस्व आया है। प्रतिस्पर्धी कंपनियों ने नीलामी में भाग नहीं लिया, क्योंकि जिन कंपनियों के पास पहले से स्पेक्ट्रम था, अगर वे नीलामी में हिस्सा लेतीं तो उनसे सारे स्पेक्ट्रम पर 8 फीसद की दर से शुल्क वसूला जाता। इसके अलावा पहले जो स्पेक्ट्रम 20 साल के लिए दिया जाता था, वह अब दो साल के लिए दिया गया है। इसके बाद उसकी फिर समीक्षा होगी।
घोटालों को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] के रवैये के खिलाफ सरकार का हमलावर रुख जारी है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि कोयला घोटाले की रकम भी उसी तरह फुस्स साबित होगी जिस तरह से स्पेक्ट्रम घोटाले में हुआ है। फिलहाल, उन्होंने सस्ते सिलेंडर की गेंद मोइली के पाले में डाल दी है। चिदंबरम का कहना है कि सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने पर कोई भी फैसला पेट्रोलियम मंत्रालय लेगा।
2जी मोबाइल स्पेक्ट्रम की अभी हाल ही में खत्म हुई नीलामी के बाद चिदंबरम ने कहा कि कोयला खान आवंटन में जिस बड़े नुकसान की बात की गई है, वह भी एक मनगढ़ंत आकड़ा साबित होगा। स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान को काल्पनिक करार दे चुके चिदंबरम ने कहा कि अब कोयला ब्लॉक आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपये केनुकसान के दावे के साथ भी यही होगा। ताजा नीलामी को इस बात की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था कि क्या सरकार स्पेक्ट्रम नीलाम करके उतनी ही राशि हासिल कर सकती है, जिसकी बात कैग ने की थी और नुकसान के तौर पर दिखाया था? चिदंबरम ने कहा कि हाल में संपन्न हुए स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए आरक्षित मूल्य को 14 हजार करोड़ रुपये रखा गया था। इस नीलामी से सरकार को लक्ष्य से एक तिहाई कीमत के बराबर ही बोलिया मिलीं। यह सरकार की बात की पुष्टि करता है। वैसे, इससे खुश होने की जरूरत नहीं है। 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में स्पेक्ट्रम के आवंटन में नीलामी की बजाय पहले आओ पहले पाओ की नीति अपनाई गई थी। चिदंबरम ने बताया, 'एक औद्योगिक घराने ने मुझसे कहा कि उन्हें सात-आठ साल पहले एक कोयला ब्लॉक आवंटित हुआ था, लेकिन कई कारणों से अब तक वह क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सके हैं। लिहाजा, अब यह कहने का क्या मतलब है कि वहां कुछ नुकसान हुआ है। यदि कोयला खान आवंटन में कोई गड़बड़ी हुई है तो यह अलग मुद्दा है। लेकिन, नुकसान कहा हुआ?'
रियायती दरों पर मिलने वाले सिलेंडरों की संख्या बढ़ाए जाने के मसले पर उन्होंने साफ किया कि पेट्रोलियम मंत्रालय ही इस पर विचार कर सकता है। यदि पेट्रोलियम मंत्रालय को लगता है कि प्रति वर्ष सब्सिडीयुक्त सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है तो वह इस बारे में प्रस्ताव ला सकता है। काग्रेस केभीतर प्रति परिवार हर वर्ष सब्सिडी वाले सिलेंडर की सीमा बढ़ाए जाने की माग के बीच चिदंबरम ने यह बात कही है। सितंबर महीने में मंत्रिमंडल ने प्रति परिवार साल में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या छह करने का फैसला किया था। यहा तक कि नए पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली भी स्वीकार कर चुके हैं कि उनके पूर्ववर्ती एस जयपाल रेड्डी के निर्णय से लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी।
सेबी के खिलाफ सैट की शरण में सहारा
सहारा समूह ने शेयर बाजार नियामक सेबी के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में सोमवार को अपील करते हुए समूह की दो कंपनियों से जुड़े मामले में करीब तीन करोड़ निवेशकों से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए और मोहलत मांगी।
सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईारईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) ने सैट से संपर्क किया है।
आम निवेशकों से धन जुटाने संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा सहारा समूह की इन दोनों कंपनियों को अपने बांड धारकों को सालाना 15 प्रतिशत ब्याज के साथ 24,000 करोड़ रुपए लौटाने का निर्देश दिया गया है।
समूह की कंपनियों ने सैट से अपील की है कि वह सेबी को निर्देश जारी कर कंपनियों को मामले से जुड़े दस्तावेज जमा करने के लिए 31 जनवरी तक की मोहलत दिलाए।
Monday, November 19, 2012
जनसंहार पर आमादा कारपोरेट सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कितनी परवाह?
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