एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के बांड निर्गम को एलआईसी तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खरीद लिया!
अपने विनिवेश अभियान को अंजाम देने के लिए वित्तमंत्री के निर्देशन में गैर कानूनी ढंग से ग्राहकों को सूचना दिये बिना स्टेट बैंक आफ इंडिया और जीवन बीमा निगम के अलावा भविष्य निधि में निवेश को विदेशी पूंजी नियंत्रित शेयर बाजार में खपाया जा रहा है। विदेशी पंजी निवेश पर घमासान कर रही राजनीति ने आम आदमी की जेब पर ऐसी डकैती पर खामोश है। इस पर तुर्रा यह कि वित्तमंत्री बजट घाटा घटाने के बहाने रेटिंग एजंसियों का हव्वा खड़ा करके आम लोगों की कीमत पर बाजार की सेहत सुधारने में लगे हैं।दूसरी ओर, गैर कानूनी आधार कार्ड के जरिये कारपोरेट सरकार आपके खातों में पैसा पहुंचाने की योजना लागू कर रही है। माना कि तमाम तकनीकी दिक्कतों के बाद ऐसा करिश्मा हो गया तो यह रकम भी बाजार के हवाले नहीं होगी, इसकी गारंटी कौन देगा?आपका पैसा किस शेयर पर खपाया जा रहा है, इसकी जानकारी आपको नहीं होती। आईपीओ के जरिये पैसा बटोरने वाली संस्थाओं की साख का अता पता नहीं। फिर जब जरुरत के मुताबिक आपको पैसा निकालना हो, तो बाजार के मुताबिक टाइमिंग निकालकर आप फायदे का सौदा बी नहीं कर सकते। पता चला कि जिस दिन बाजार में लाल बत्ती जल रही है, उसी दिन के मूल्यांकन के हिसाब से आपको भुगतान का चेक जारी कर दिया गया। यानी मंदी और घाटे का ठिकरा हर हाल में आपके मत्थे पर फूटना है!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के बांड निर्गम को एलआईसी तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खरीद लिया!वित्तीय तंगी से उबरने की कोशिश में लगी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के 7,400 करोड़ रुपये के बॉंड पत्रों को भारतीय जीवन बीमा निगम :एलआईसी: और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन :ईपीएफओ: ने खरीद लिया!भविष्य निधि जमाओं (पीएफ फंड) पर बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश के प्रस्ताव पर औपचारिक तौर पर सहमति जता दी है।ईपीएफओ निवेश के लिए मौजूदा गाइडलाइंस के तहत अपने फंड का बड़ा हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है। इसके परिणास्वरूप 2011-12 में पीएफ खाताधारकों को 8.25 फीसदी रिटर्न ही मिल सका था। इससे पहले ईपीएफओ ने बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश के तौर-तरीकों में ज्यादा स्वायत्तता दिए जाने की मांग की थी। हालांकि, ट्रेड यूनियनों के पुरजोर विरोध को देखते हुए सीबीटी ने संगठन की यह मांग ठुकरा दी थी।पिछले कुछ माह से वित्त मंत्रालय इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में फंड का प्रवाह बढ़ाने के लिए बीमा सेक्टर और पीएफ फंड को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख रहा है। मौजूदा समय में पीएफ फंड में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये हैं। वित्त मंत्रालय चाहता है कि फंड का एक हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश किया जाए।
भारतीय जीवन बीमा निगम के पालिसीधारकों को तो शेयर में खपे प्रीमियम से काफी पहले से चूना लगता आ रहा है, अब कर्मचारी भविष्यनिधि का पैसा भी बाजार में खपाया जा रहा है। अपने विनिवेश अभियान को अंजाम देने के लिए वित्तमंत्री के निर्देशन में गैर कानूनी ढंग से ग्राहकों को सूचना दिये बिना स्टेट बैंक आफ इंडिया और जीवन बीमा निगम के अलावा भविष्य निधि में निवेश को विदेशी पूंजी नियंत्रित शेयर बाजार में खपाया जा रहा है। विदेशी पंजी निवेश पर घमासान कर रही राजनीति ने आम आदमी की जेब पर ऐसी डकैती पर खामोश है। इस पर तुर्रा यह कि वित्तमंत्री बजट घाटा घटाने के बहाने रेटिंग एजंसियों का हव्वा खड़ा करके आम लोगों की कीमत पर बाजार की सेहत सुधारने में लगे हैं।दूसरी ओर, गैर कानूनी आधार कार्ड के जरिये कारपोरेट सरकार आपके खातों में पैसा पहुंचाने की योजना लागू कर रही है। माना कि तमाम तकनीकी दिक्कतों के बाद ऐसा करिश्मा हो गया तो यह रकम भी बाजार के हवाले नहीं होगी, इसकी गारंटी कौन देगा?सीधे नकदी हस्तांतरण के जरिये सब्सिडी देने की योजना बस शुरू होने को है। नए साल में 51 जिलों में इसे शुरू किया जाना है। जाहिर है कि इसमें महज एक महीने से कुछ अधिक वक्त बचा है, जबकि पूरे देश में इसे लागू करने में चार महीने का समय बाकी है।नकदी हस्तांतरण सीधे तौर पर बैंकों से जुड़ी हुई है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रामीण भारतीयों में महज 18 फीसदी के पास ही बैंक खाते हैं। हालांकि बैंक माइक्रो एटीएम से लैस कारोबारी प्रतिनिधियों की मदद से इस अंतर को पाटने की कवायद करने में लगे हैं लेकिन व्यापक वित्तीय समावेशन अभी दूर की कौड़ी है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि जहां आधार नहीं है वहां आधार के पूरा होने तक मतदाता पहचान पत्र को केवाईसी दस्तावेज माना जा सकता है।
सरकार ने 30,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के क्रम में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को किसी कंपनी में 30 फीसदी तक हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति दे दी है, जबकि पूर्व में यह सीमा 10 फीसदी थी।
वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने रविवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से कहा है कि वे अपने अधिशेष धन को निवेश करें या उन्हें इसे गंवाना पड़ेगा।
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और सरकारी बैंकों के भरपूर समर्थन से सरकार ने आज हिंदुस्तान कॉपर के शेयरों की बिक्री पेशकश को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। हालांकि इस पेशकश (ओपन फॉर सेल) को बड़े विदेशी संंस्थागत निवेशकों और म्युचुअल फंडों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली। पेशकश के तहत औसतन 156.83 रुपये प्रति शेयर की बोली लगी, जबकि सरकार ने इसके लिए न्यूनतम भाव 155 रुपये तय किया था। हिंदुस्तान कॉपर की 4 फीसदी पेशकश के लिए 5.85 फीसदी शेयरों के लिए बोली लगी, जिससे सरकार को 800 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। यह पेशकश गुरुवार के बंद भाव 266 रुपये से 41 फीसदी कम दाम पर की गई थी। कंपनी में सरकार की 99.59 फीसदी हिस्सेदारी है।वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, 'हिंदुस्तान कॉपर से विनिवेश प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है और पेशकश की सफलता से हम खुश हैं।Ó हिंदुस्तान कॉपर के शेयरों के लिए बोली लगाने वाले बड़े निवेशकों में एलआईसी, भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नैशनल बैंक प्र्रमुख रहे। मामले से जुड़े एक ब्रोकर ने कहा कि कारोबार के शुरुआती तीन घंटे में हिंदुस्तान कॉपर को निवेशकों की ओर से 31 करोड़ रुपये की ही बोली मिली। लेकिन अंतिम 30 मिनट में ज्यादातर बोली लगी और पेशकश सफल रही। हिंदुस्तानकॉपर का शेयर 20 फीसदी गिरकर 213 रुपये पर बंद हुआ।
आपका पैसा किस शेयर पर खपाया जा रहा है, इसकी जानकारी आपको नहीं होती। आईपीओ के जरिये पैसा बटोरने वाली संस्थाओं की साख का अता पता नहीं। फिर जब जरुरत के मुताबिक आपको पैसा निकालना हो, तो बाजार के मुताबिक टाइमिंग निकालकर आप फायदे का सौदा बी नहीं कर सकते। पता चला कि जिस दिन बाजार में लाल बत्ती जल रही है, उसी दिन के मूल्यांकन के हिसाब से आपको भुगतान का चेक जारी कर दिया गया। यानी मंदी और घाटे का ठिकरा हर हाल में आपके मत्थे पर फूटना है!
जबकि हालत यह है कि संगठित क्षेत्र के कर्मचारी पेंशन स्कीम में किया गया योगदान 10 वर्ष से पहले नहीं निकाल सकेंगे। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इंप्लाइज पेंशन स्कीम (ईपीएस) विदड्राल बेनीफिट वापस लेने पर विचार कर रहा है। पेंशन फंड में बड़े पैमाने पर घाटे को देखते हुए संगठन इस प्रस्ताव को आगे बढ़ा सकता है। एक्चयुरियल आधार पर पेंशन फंड का घाटा 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ज्यादातर लोग पेंशन स्कीम से पैसा निकाल रहे हैं। इससे स्कीम का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा मौजूदा समय में ईपीएस स्कीम के तहत दिए जा रहे बेनिफिट जारी रखने के लिए इस तरह का कदम उठाना जरूरी हो गया है। ईपीएस के तहत कोई भी व्यक्ति 6 माह से लेकर 9 वर्ष तक सेवा की अवधि में विदड्राल बेनिफिट ले सकता है। स्कीम के तहत विदड्राल की रकम सेवा अवधि पर निर्भर करती है। अधिकारी के मुताबिक पेंशन फंड के घाटे का आकलन दो तरह से किया जाता है। एक्चुरियल आधार पर और कैश फ्लो के आधार। कैश फ्लो के आधार पर पेंशन फंड बेहतर स्थिति में हैं लेकिन एक्चुरियल आधार पर घाटा बढ़ रह है। 2006 में एक्चुरियल आधार पर किए गए आकलन के मुताबिक पेंशन फंड का घाटा 26,000 करोड़ रुपये था। सरकार द्वार नियुक्त किए गए पेशेवर एक्चुरी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पेंशन फंड का घाटा 50,000 करोड़ रुपये के पार हो गया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की आगामी बैठक में यह रिपोर्ट पेश की जाएगी। अधिकारी के मुताबिक घाटे के कारण ईपीएस के तहत मिलने वाले बेनिफिट लगातार कम किए गए हैं। 2000 के बाद पेंशन धारकों को 4 फीसदी राहत नहीं दी गई है। इसके अलावा 2008 में रिटर्न ऑन कैपिटल (आरओसी) और कम्युटेशन बेनिफिट भी बंद कर दिया गया है। पेंशन फंड का घाटा कम करने के लिए पेंशन योग्य उम्र 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने और घटती पेंशन का विकल्प 50 वर्ष की उम्र के बजाए 55 वर्ष में देने के विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। ईपीएस के तहत अगर कोई व्यक्ति नौकरी में नहीं है तो उसे 50 वर्ष की उम्र पूरा करने पर पेंशन शुरू की जा सकती है। हालांकि यह पेंशन सालाना 3 फीसदी की दर से घटती जाती है। अधिकारी के मुताबिक इंप्लाइज पेंशन स्कीम स्कीम 1995 में लागू की गई थी। उस समय ब्याज दरें 12 फीसदी थीं जबकि मौजूदा समय में ब्याज दरें 8 फीसदी हैं। ऐसे में बिना सरकारी मदद के सारे बेनिफिट जारी रखना संभव नहीं है।
सरकार ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष के अंत तक ऐसी 87 'लापता' कंपनियां थीं जिन्होंने आईपीओ के जरिए राशि जुटाईं लेकिन बाद में उनका पता नहीं लग सका। कारपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लापता कंपनियों की सूची में 238 कंपनियां हैं। इन कंपनियों में से 151 का पता लगा लिया गया है जबकि अन्य 87 कंपनियों का अभी तक पता नहीं चल सका है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2012 के आंकड़ों के अनुसार 87 कंपनियां ऐसी थीं जिन्होंने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश आईपीओ) के जरिए राशि जुटाई थी।
देश के शहरों में किसी तरह गुजर बसर करने वाले अत्यंत गरीब भारतीय और विभिन्न इलाकों में काम कर रहे प्रवासियों के पास तो अपने आवास के नाम पर कुछ होता ही नहीं।सब्सिडी के नकदी हस्तांतरण की योजना गरीबों के लिए बनाई गई है लेकिन गरीबों की पहचान करने में आधार की कोई भूमिका नहीं है।केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2013 से देश के 51 जिलों में यूआईडीएआई (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के 'आधार' कार्ड से सुनिश्चित पहचान के जरिये लाभार्थियों को विभिन्न तरह की सब्सिडी, छात्रवृत्ति और मनरेगा जैसी स्कीमों का भुगतान उनके बैंक खातों में ट्रांसफर करने की योजना बनाई है। लेकिन सिर्फ सवा महीने के बाद एक जनवरी 2013 से सरकारी भुगतान बैंक खातों में ट्रांसफर करने की योजना लागू करना खासा मुश्किल लग रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत चुने गए देश के 51 जिलों में भी सभी परिवारों के न तो बैंक खाते खुल पाए हैं और न ही आधार कार्ड बन पाए हैं।
क्या प्रत्यक्ष नकद सब्सिडी का विचार बेहतर है? इस सवाल पर हार्वर्ड के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी ने सवाल उठाया कि क्या जिन लोगों को यह नकदी दी जाएगी वे उसे खर्च करने के मामले में भी बेहतर हैं। उल्लेखनीय है कि बनर्जी गरीबों की चाहत और उनके द्वारा अपनाए गए नवाचार के बारे में काफी काम कर चुके हैं। उनके सवाल के नजरिये से देखें तो दिमाग में सबसे पहला सवाल यही आता है कि ऐसे परिवारों में मुखिया प्राप्त नकदी को जरूरी कामों के बजाय देसी दारू खरीदने में खर्च कर देगा। लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस में लीकेज के स्तर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अगर थोड़े बहुत धन को गलत जगह खर्च किया जा रहा है तो भी इससे योजना के लाभ पर खास नकारात्मक असर नहीं होता।
उद्योग संगठन एसोचैम ने संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइंस के लिए राहत पैकेज का सुझाव देते हुए कहा है कि एयर इंडिया तथा किंगफिशर की वित्ती दिक्कतों में कोई अंतर नहीं है। सरकार ने संकट से जूझ रही सरकारी कंपनी एयर इंडिया को मदद देने का फैसला किया है। यह सुझाव ऐसे समय में आया है, जबकि रपटों के अनुसार एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के बांड निर्गम को एलआईसी तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खरीद लिया है। एसोचैम ने एक बयान में कहा है कि अगर एयर इंडिया को राहत पैकेज दिया जा सकता है तो इसकी कोई वजह नहीं है कि बैंक तथा सरकारी संगठन किंगफिशर से अलग तरह से व्यवहार करें।
मॉर्गन स्टैनली ने वर्ष 2013 के लिए विकास के दृष्टिकोण को अजीबोगरीब की श्रेणी में डाला है क्योंकि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी और विस्तार के बीच झूल रही है। उसका मानना है कि वर्ष 2013 में वैश्विक आर्थिक विकास महज 3.1 फीसदी की गति से होगा। यह रफ्तार वर्ष 2012 के समान ही है। यह दर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए मंदी के दौर की 2.7 फीसदी की विकास दर के अनुमान और 3.7 फीसदी की अधिकतम विकास दर के बीचोबीच है। एक ओर जहां वर्ष 2013 का विकास दृष्टिïकोण वर्ष 2012 के समान ही है वहीं मुख्य आंकड़ों में कुछ बदलाव छिपे हुए हैं।
सबसे पहली बात, वर्ष 2013 के लिए विकसित देशों के लिए मॉर्गन का जीडीपी विकास संबंधी दृष्टिïकोण तेजी से घट रहा है। वर्ष 2012 में जहां यह 1.2 फीसदी था वहीं वर्ष 2013 में यह 0.7 फीसदी जताया गया है। अमेरिका के लिए इसे 2.2 फीसदी से घटाकर 1.4 फीसदी किया गया है जबकि यूरो क्षेत्र 0.5 फीसदी की ऋणात्मक दर के साथ मंदी में उलझा हुआ है। जापान की बात करें तो उसकी जीडीपी विकास दर भी वर्ष 2012 में 1.7 फीसदी से घटकर वर्ष 2012 में 0.4 फीसदी रहने की बात कही गई है। ये कमजोरी भरा प्रदर्शन मुख्य रूप से महत्त्वपूर्ण नीतिगत कदमों पर निर्भर करता है। अगर ये कदम नहीं उठाए गए तो प्रदर्शन और अधिक खराब हो सकता है। अमेरिका के लिए वर्ष 2013 में 0.7 फीसदी की विकास दर का अनुमान तब जताया गया है जबकि वह आसन्न राजकोषीय चुनौतियों से पार पा लेता है। अगर नीतिगत कदम नहीं उठाए जाते हैं (खुदा खैर करे) तो मॉर्गन ने उम्मीद जताई है कि विकसित देशों की विकास दर वर्ष 2013 में और अधिक घटकर 0.5 फीसदी की ऋणात्मक दर में परिवर्तित हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका, यूरोप और जापान सभी पूरी तरह मंदी की चपेट में आ जाएंगे। वहीं दूसरी ओर अगर नीति निर्माता बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहे तो मॉर्गन का अनुमान है कि हालात बेहतर हो सकते हैं। उसके मुताबिक ऐसी स्थिति में 2013 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 4 फीसदी की दर से विकसित हो सकती है।
Monday, November 26, 2012
एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के बांड निर्गम को एलआईसी तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खरीद लिया!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
Blog Archive
-
▼
2012
(6784)
-
▼
November
(161)
- सीमा विवाद को लेकर अग चीन सकारात्मक है तो छायायुद्...
- Get ready for more repression as Lok Sabha passed ...
- মা মাটি মানুষের সরকারী পরিবর্তনের নূতন শ্লোগান- রা...
- Change your ways Emperor-has-no-clothes moment, tw...
- I K Gujral no more
- Mamata keeps Singur programmes indoors Public meet...
- Bengal whispers get a voice
- Fwd: Israel's Holy War - Triggering the Palestinia...
- शेर की पीठ से तो उतरो, दीदी!
- FDI crusade blasted despite voting on FDI in retai...
- পুঁজিলগ্নির, শহরীকরণ ও শিল্পায়নের অন্ধ দৌড়ের বিরু...
- Fwd: Bal Thackeray: Politics of Identity
- Fwd: PRESS RELEASE: INTERNATIONAL PALESTINE SOLIDA...
- Fwd: [Marxistindia] Discuss Issues Raised by Delhi...
- Fwd: Tony Cartalucci: Al Qaeda "Virtue Police" Sho...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) तो मुलायम सिंह को प्रधानमन्त्...
- दूसरे चरण के आर्थिक सुधार लागू करने का फार्मूला ईज...
- Rule of Law absent! India ranks 78th among 97 coun...
- ভারতীয় রাজনীতির বর্ণহিন্দু,কুলীন নেতৃত্ব ও নিয়ংন্ত...
- Fwd: Shamus Cooke: Humanitarian Coverup - Why is O...
- Fwd: Cut Through the Spin: Support Independent Media
- Fwd: [initiative-india] CORRECTION Invitation Nove...
- Fwd: PRESS CONFERENCE: TO ANNOUNCE THE INTERNATION...
- Fwd: संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान 28-11-2012
- Fwd: Press note on Rihai Manch dharna at Vidhan sa...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) डीजीपी ही हो जब सांप्रदायिक त...
- ভারতের অর্থনীতিকে শেষ পর্যন্ত কোথায় রেখে গেলেন প্রণব?
- एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के बांड निर्गम को ए...
- Detection of suspicious trading activity fails aga...
- শেষ পর্যন্ত এফডিআইঝুলির বিড়াল বেরিয়ে পড়ল
- Fwd: Stephen Lendman: Abbas: Collaborating with th...
- বিদেশী পূঁজি লগ্নির বিরোধিতা করব, অথচ উগ্রতম ধর্মা...
- लेकिन जल जंगल जमीन आजीविका नागरिकता और मानवअधिकार ...
- अंबेडकर स्मारक राजनीतिक वर्चस्ववाद की दांव पर
- 'धरोहर' का लोकार्पण
- उग्रतम हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस को मोदी का क्या...
- Consolidation in the banking system means disaster...
- রাষ্ট্র, তোমার হাতে রক্তের দাগ।
- Fwd: [media_monitor5] Fw: Girish Karnad's Outburst...
- Fwd:
- Fwd: Richard Becker: Gaza Ceasefire - Palestine Ho...
- इसीके लिए सर्वदलीय सहमति की कवायद हो रही है!
- Storm over FDI stalls the parliament and the corpo...
- যারা যুগে যুগে ছিল খাটো হয়ে, তারা দাঁড়াক একবার মাথ...
- जब डालरों की बरसात हो रही हो तो बाजार का विरोध क्या?
- জাতের নামে বজ্জাতি সব জাত-জালিয়াৎ খেলছ জুয়া
- জয়ী কিন্তু কেবল চরমপন্থীরাই নতুন গাজা সংকটের ফলে ...
- संप्रभु राष्ट्र का क्या हुआ?
- हंगामेदार तो रहेगा संसद सत्र, पर आम आदमी को हासिल ...
- With Kasab hanged in topmost secret mission, Congr...
- বাজার যখন সুবোধ রায়কে খুঁজে পেল প্রচারবিমুখ মানুষ...
- ।পঞ্চায়েত ভোটের পর এরা কি করবেন, এটাই বরং দেখতব্য।
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) कॉरपोरेट हिन्दू मीडिया ने तोड...
- Fwd: press release and photo of effigy burning of ...
- Fwd: Paul Craig Roberts: Puppet State America
- কিন্তু ইন্দিরার নীতি বিসর্জন দিয়ে ভারত সরকার মধ্য ...
- जनसंहार पर आमादा कारपोरेट सरकार को सुप्रीम कोर्ट क...
- But it remains a mystery why India should behave b...
- Fwd: Girish Karnad's Outburst against Naipaul is d...
- Fwd: Press Release: India should snap its military...
- Fwd: PRESS STATEMENT OF THE PALESTINE SOLIDARITY-P...
- भारत सरकार को भी लोकसभा और जनताके बजाय कारपोरेट आस...
- বাইরের জগতে কি ধরনের রবীন্দ্র পরিচিতি আমাদের স্বার...
- Post Bal Thackeray, Sena and son Uddhav on test re...
- Balasaheb Thackeray's early life, political career...
- नम आंखों से दी गई बाला साहेब को आखिरी विदाई फोटो LIVE
- बाल ठाकरे की चिता जलते ही रोने लगे राज
- हळवा 'हृदयसम्राट'!
- दादरमध्ये लोटला अभूतपूर्व जनसागर
- लोकतंत्र थांबा !
- निष्पक्ष कोई नहीं
- Fwd: FW: Clinton: US forced open India's retail trade
- Fwd: death in Gaza
- Fwd: WHY THE WAR ON GAZA NOW!! - Election Politics?
- Fwd: Nile Bowie: Gaza and the Politics of "Greater...
- গাজায় হামলা অব্যাহত, আবারো উত্তপ্ত হয়ে উঠেছে মধ্য...
- ईंधन संकट बढ़ने से देश की अर्थ व्यवस्था का क्या हो...
- विष्णु खरे के इस लेख पर बखेड़ा हुआ है शुरूc
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) पीएम की डिनर डिप्लोमेसी मेहनत...
- बाल ठाकरे के निधन के साथ ही मुंबई में तनाव, 20 हजा...
- समयपूर्व चुनाव की तैयारी में जुटी राजनीति, लेकिन ज...
- What an Exclusive economy branded with inclusive p...
- कृष्णचंद्र लोकलुभावन राजनीति से हमेशा बचते रहे!
- तो युवराज की ताजपोशी हो ही गयी, अब नीतियों की निरं...
- धर्म राष्ट्र के एजंडा और खुले बाजार का लोकतंत्र
- म्यांमार में लोकतंत्र बहाली की कोशिश और भारत में?
- Parliament Updates
- Promoters to get your Pension and PF!
- Fwd: Subeer Goswamin added a new photo
- Fwd: Hindu Leaders are taking Hindu Community to T...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) सवाल यह है, इन बच्चों को कौन ...
- मंहगाई के साथ साथ उत्पादन प्रणाली के ध्वस्त होने क...
- “Phule-Sahu-Ambedkar ideology marketing”
- Happy Diwali Mango Men!The Banana republic gifts y...
- My Body My Weapon - INDIA
- Fwd: press note on sp govt statement regarding rel...
- Fwd: Michel Chossudovsky: China and Russia are Acq...
- अपने लोकतंत्र का चेहरा सार्वजनिक शौचालय जैसा हो रह...
- इस जड़ यथा स्थिति का मुरजिम कौन?
- अब राहत के गाजर का इंतजार कीजिये, बाकी तो भगवान की...
-
▼
November
(161)
No comments:
Post a Comment